सबसे कम उम्र की महिला पायलट Sakshi Kochar, सोच उम्र से भी ज्यादा बड़े

Last Updated 28 Jun 2023 07:18:25 PM IST

भारत में प्रतिभाशाली बच्चों की कमी नहीं है ,एक से बढ़कर एक प्रतिभावान बच्चियां और बच्चे हैं, लेकिन छोटी सी उम्र में एक लक्ष्य बनाकर कड़ी मेहनत करना और तब तक ना रुकना जब तक की लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाय ,ऐसे बच्चे कम ही मिलते हैं।


Sakshi Kochar

 साक्षी कोचर उन्हीं जैसी बच्चियों में शामिल हैं, जिन्होंने महज दस साल की उम्र में ना सिर्फ अपना लक्ष्य निर्धारित कर लिया बल्कि सबसे कम उम्र में कमर्शियल पायलट का लाइसेंस हासिल कर एक ऐसा रिकार्ड स्थापित कर दिया जिसे अब कोई तोड़ ही नहीं पायेगा। महज 18 वर्ष की उम्र में साक्षी ने कमर्शियल पायलट का लाइसेंस प्राप्त कर लिया है। अब तक यह रिकॉर्ड सूरत की मैत्री पटेल के नाम दर्ज था। जिन्होंने 19 साल की उम्र में यह लाइसेंस प्राप्त किया था। साक्षी सहारा न्यूज नेटवर्क दफ्तर आयीं। यहां उन्होंने सहारा डिजिटल की टीम से बात की। बातचीत के दौरान उन्होंने जो कुछ भी बताया वह सब सुनने में तो अच्छा लग ही रहा था बल्कि बातचीत के दौरान उनका कॉन्फिडेंस लेबल भी देखने लायक था।

 हिमाचल प्रदेश की परवाणू सेक्टर चार की रहने वाली साक्षी एक मध्यम वर्गीय परिवार की बेटी हैं। बचपन से ही इन्हे डांस करने का शौक था। बल्कि तीन साल की उम्र से ही इन्होने डांस करना शुरू कर दिया था। डांस में रूचि रखने वाली साक्षी को उड़ने के भी ख्याल आते थे। डांस करते समय पैरों को थिरकाने और अपनी भाव भंगिमाओं से सबको हैरान करने वाली साक्षी, एक दिन आकाश में उड़ने की बातें करने लगीं। डांस उनका पैशन था लेकिन उन्होंने प्रोफेशन के बारे में भी सोचना शुरू कर दिया। एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें पैशन और प्रोफेशन दोनों में से एक को चुनना था। उन्होंने अपने प्रोफेशन के रूप में पायलट के बारे में सोचना शुरू कर दिया। बल्कि उन्होंने  तय कर लिया कि उन्हें अब पायलट ही बनना है। उनके सपनों के पंख लग गए।

 चंडीगढ़ में इंटर की पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने मुंबई का रुख कर लिया। मुंबई स्थित स्काईलाइन एविएशन क्लब में उन्हें कैप्टन ए डी मानेक मिले, जिन्हे साक्षी अपना गुरु बताती हैं। मानेक के मार्गदर्शन में साक्षी ने एविएशन की बारीकियां सीखीं। वहां की इनिशियल ट्रेनिंग के बाद उनका चयन अमेरिका की एक एविएशन इंस्टीट्यूट में हो गया, जहां उन्होंने 17 महीने की ट्रेनिंग को महज साढ़े सात महीने में कम्प्लीट कर लिया। मजेदार बात यह है कि साक्षी को कमर्शियल पायलट का लाइसेंस उनकी अठारहवीं जन्मदिन पर ही मिला।

यह पूछे जाने पर कि इतनी कम उम्र में लाइसेंस प्राप्त करने की कोई ख़ास वजह ,तो साक्षी ने बताया कि  पायलट बनने से पहले उन्होंने सर्च किया था कि भारत में सबसे कम उम्र में कौन पायलट बना है। सर्च के दौरान उन्हें पता चला कि सूरत की एक लड़की है, जिसने महज 19 साल की उम्र में कमर्शियल पायलट का लाइसेंस प्राप्त कर लिया था। लिहाजा साक्षी ने सोचा कि क्यों ना सबसे कम उम्र में कमर्शियल पायलट का लाइसेंस प्राप्त कर एक ऐसा रिकार्ड बना दिया जाए, जिसे कोई तोड़ ना सके। साथ ही साथ उन्होंने यह भी सोचा कि कुछ ऐसा किया जाए जिससे इण्डिया का मान बढे। देश के लोगों का मान  बढे। कुछ ऐसा किया जाय जिस पर माता-पिता गर्व कर सकें।

 माता-पिता ने क्या शिक्षा दिया, इसको लेकर सवाल करने पर साक्षी ने बताया कि उनके माता-पिता ने हमेशा यही कहा कि बेटे कुछ भी बन जाओ मगर पांव हमेशा जमीन पर ही रखना। वह आज भी कहती हैं कि वह माता-पिता के बताए रास्ते पर हमेशा चलने की कोशिश करेंगी। भले ही वह आसमान में उड़ेंगी, लेकिन उनके पांव हमेशा जमीन पर ही रहेंगे। सहारा डिजिटल संवाददाता के आखिरी सवाल यानि जब उनसे यह पूछ गया कि वह आज के युवाओं को क्या सन्देश देना चाहेंगी, तो साक्षी का जवाब उनकी उम्र से भी कहीं ज्यादा बड़े थे। उन्होंने कहा कि जिसे जो भी बनना है, उसको लेकर एक लक्ष्य निर्धारित कर ले, और उस लक्ष्य का पीछा तब तक करे, जब तक सफलता ना मिल जाए। उन्होंने एक मूल मंत्र का जिक्र किया। Work hard in silence,Make success the noise.यानी चुपके से मेहनत करो,सफलता खुद शोर मचाएगी।

शंकर जी विश्वकर्मा
नई दिल्ली


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