250 से 300 सीटों पर कांग्रेस लड़ेगी चुनाव, सीट शेयरिंग फार्मूला हुआ तय !

Last Updated 27 Jun 2023 01:07:46 PM IST

विपक्षी पार्टियों ने कांग्रेस को बड़ा भाई मानकर लोकसभा चुनाव लड़ने का मन बना लिया है। 23 जून को पटना में हुई बैठक के बाद कांग्रेस के बड़े नेताओं ने दिल्ली में मंथन किया। तमाम विपक्षी पार्टियों की तरफ से सीट शेयरिंग को लेकर की गई बातचीत के बाद कांग्रेस यह मान चुकी है कि उसे 250 और 300 के बीच सीटों पर लोकसभा का चुनाव लड़ना है।


Vipakshi Parties Leaders

साथ ही साथ कांग्रस ने यह भी तय कर लिया है कि जिन-जिन राज्यों में स्थानीय पार्टियों का दबदबा है उन्हें वहां ज्यादा सीटें दी जाएंगी, जबकि यह तय हुआ है कि जहां-जहां कांग्रेस की सरकारें हैं वहां, और दक्षिण भारत के राज्यों में विपक्ष की किसी भी पार्टी का कोई भी उम्मीदवार चुनाव मैदान में नहीं होगा। बीते 23 जून को बिहार की राजधानी पटना में विपक्षी पार्टियों की जो मीटिंग हुई थी, उसमें सीट शेयरिंग पर भी खुलकर बात हुई थी। वो अलग बात है कि सीट शेयरिंग को लेकर की गई बातचीत का खुलासा विपक्ष के किसी भी नेता ने नहीं किया था, लेकिन गोपनीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक यह लगभग तय हो गया है कि कांग्रेस 250 और 300 के बीच की सीटों पर चुनाव लड़ेगी। दक्षिण के 4 राज्य आंध्र प्रदेश,तेलंगाना, कर्नाटक और केरल में कांग्रेस अपने दम पर चुनाव लड़ेगी, जबकि तमिलनाडु में डीएमके प्रमुख एम के स्टालिन के साथ सीट शेयरिंग की जाएगी।

राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ में किसी भी विपक्षी पार्टी का उम्मीदवार चुनाव मैदान में खड़ा नहीं होगा। इन चारों राज्यों में कांग्रेस के उम्मीदवार चुनाव मैदान में होंगे। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस से 80 परसेंट उम्मीदवार चुनाव मैदान में होंगे। जबकि बिहार में जनता दल यूनाइटेड और राष्ट्रीय जनता दल के 70 प्रतिशत उम्मीदवार चुनाव मैदान में होंगे। झारखंड में भी हेमंत सोरेन को ज्यादा सीटें दी जाएंगी। महाराष्ट्र में कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की पार्टी और एनसीपी के बीच सीटों की भागेदारी लगभग बराबर- बराबर की होगी। जम्मू कश्मीर और केंद्र शासित प्रदेशों को लेकर अभी कोई ठोस निर्णय नहीं हो पाया है।



 विपक्षियों की बैठक में सबसे बड़ा पेंच फंसा है उत्तर प्रदेश को लेकर। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी दूसरे नंबर की सबसे बड़ी पार्टी है। कांग्रेस के पास वहां एक भी सीट नहीं है। ऐसे में सूत्र से मिली जानकारी के मुताबिक अखिलेश यादव ने 70 प्रतिशत सीटों की डिमांड की है। हालांकि कांग्रेस की तरफ से कोई हरी झंडी नहीं दी गई है। लेकिन इतना तो तय है कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के हिस्से में 50 प्रतिशत से भी ज्यादा सीटें आएंगी।

 दिल्ली को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है लेकिन यहां का फार्मूला भी लगभग तय हो चुका है अरविंद केजरीवाल ने 4 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात की है जबकि कांग्रेस ने 2 सीटें देने का मन बना लिया है। जिस तरीके से बातचीत हुई है उसे देखते हुए पूरी संभावना है कि शायद दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की पार्टी आम आदमी पार्टी 3 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। जबकि कांग्रेस के खाते में 4 सीटें आएंगी।

 विपक्षी पार्टियों की अगली बैठक 12 जुलाई को शिमला में होने जा रही है। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि उस बैठक में सीटों के बंटवारे को लेकर जो मौखिक तौर से बातचीत हुई है उस पर मुहर लग जाएगी। लेकिन उस बैठक के बाद भी शायद इस बात का खुलासा नहीं किया जाएगा कि कौन सी पार्टी कितने सीटों पर चुनाव लड़ेगी। विपक्षी पार्टियों ने एक रणनीति के तहत इन बैठकों का एक प्रारूप तैयार किया है,जो लगातार चलती रहेंगी, और संभवतः इस तरह की  बैठकें तब तक चलती रहेंगी, जब तक कि लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी नहीं हो जाती।

सूत्रों की बात पर यकीन करें तो लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले विपक्षी पार्टियों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर तैयार हुआ फार्मूला लगभग तय हो चुका होगा। विपक्षी पार्टियों ने भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी को मात  देने के लिए जो योजना तैयार की है वह कितनी सफल होती है, वह तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा लेकिन इन्होंने जो भी फार्मूला तैयार किया है उसे देखते हुए एक बात तो आसानी से समझी जा सकती है कि आगामी  लोकसभा चुनाव बड़ा ही दिलचस्प होने वाला है।

 

शंकर जी विश्वकर्मा
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment