सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद अरविंद केजरीवाल का और बढ़ेगा कद!

Last Updated 11 May 2023 03:53:11 PM IST

दिल्ली सरकार को लेकर वीरवार को आए सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद आम पार्टी के कार्यकर्ताओं की बांछें खिल गईं हैं। आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविन्द केजरीवाल ने एक फ़िल्मी पोस्टर के जरिए अपनी ख़ुशी का इजहार किया है। इस आदेश के बाद कहीं न कहीं केंद्र सरकार की किरकिरी भी हुई है।


arvind kejriwal



केंद्र की एनडीए सरकार ने 2021 में जिस गवर्मेंट ऑफ़ एनसीटी ऑफ़ दिल्ली एक्ट में बदलाव कर उप राज्यपाल को अतरिक्त शक्तियां प्रदान की थीं। अब वो वापस ले ली जायेंगीं। यानी अब दिल्ली में किसी भी अधिकारी और कर्मचारी की पोस्टिंग और उसका तबदला करने का अधिकार दिल्ली सरकार को मिल गया। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद संभव है कि केजरीवाल और ज्यादा मजबूत होकर उभरेंगे।

दिल्ली पूर्ण रूप से केंद्र शासित प्रदेश है। कुछ साल पहले तक वहां 1991 का बना कानून लागू रहा। उस पुराने कानून के मुताबिक़ दल्ली सरकार के पास बहुत सारे  अधिकार होते थे। लेकिन केंद्र की सरकार ने उस कानून में कुछ संसोधन कर दिया था। केंद्र की एनडीए सरकार ने 2021में जो संसोधन किया था उसके बाद दिल्ली के उपराज्यपाल की शक्तियां बढ़ गईं थीं। हालांकि आमतौर पर शक्तियां बढ़ने के बाद भी उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार मिलजुलकर काम कर सकते हैं, लेकिन राजनैतिक प्रतिद्वंदिता की वजह से कई बार ऐसा हो नहीं पाता, खास करके तब, जब केंद्र में किसी अन्य पार्टी की सरकार हो और दिल्ली राज्य में किसी और पार्टी की।

दिल्ली में पिछले कई सालों से ऐसा ही देखा जा रहा था। किसी न किसी मामले को लेकर उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच मतभेद की ख़बरें सुनने को मिलती ही रहती थीं। केंद्र और राज्य में अलग-अलग सरकारें होने की वजह से कभी उपराज्यपाल पर मनमानी करने का आरोप लगता था तो कभी दिल्ली सरकार पर उपराज्यपाल की बात ना सुनने का आरोप लगता रहता था। इन मतभेदों के चलते कई बार विकास कार्यों में बाधाएं उत्पन्न हुआ करती थी। इस आदेश के बाद अब यह तय हो गया है कि उपराज्यपाल क्या-क्या कर सकते हैं।

मसलन अब तक दिल्ली सरकार में तैनात अधिकारीयों की नियुक्ति या उनका तबदला करने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री को उपराज्यपाल से मंजूरी लेनी पड़ती थी। कई बार अनुमती मिलने में देरी हो जाती थी। उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री की अहम की लड़ाई में फाइलें कईं हफ्तों तक धूल फांकती रहती थीं, लेकिन अब वैसा नहीं होगा। अब दिल्ली सरकार के किसी भी अधिकारी को रखने या उसे हटाने के साथ उसका तबादला करने सारा अधिकार दिल्ली सरकार के पास होगा।

इस आदेश के दूरगामी परिणाम देखने को, मिलने की संभावना जताई जा रही है। आम आदमी पार्टी के ऊपर भल्ले ही भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हों लेकिन दिल्ली की जनता ने आम आदमी पार्टी का सपोर्ट किया है। उसकी बहुमत की सरकार बनवाई है। अगर ऐसा करने में अरविन्द केजरीवाल सफल हुए हैं तो कहीं न कहीं उन्होंने जनता का विश्वास जीता है। तभी ऐसा हो पाया है। आम आदमी पार्टी इतनी मजबूत नहीं है कि वो कुछ लालच देकर दिल्ली की जनता को अपने पाले में कर सके। वैसे भी दिल्ली के वोटरों को लालच देकर अपने पाले नहीं किया जा सकता। अभी हाल में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली नगर निगम में भी बढ़िया प्रदर्शन किया है। यानी दिल्ली की जनता ने नगर निगम में भी उनकी सरकार बनवाई है।

 इसका मतलब यह हुआ कि अरविन्द केजरीवाल कहीं न कहीं कुछ ऐसा कर रहे हैं जो दिल्ली की जनता को अच्छा लग रह है। लगातार अपनी पार्टी को मजबूत करते जा रहे अरविन्द केजरीवाल इस आदेश के बाद शायद और मजबूत बनकर उभरेंगे। संभव है कि वो कुछ ऐसा करने की कोशिश करेंगे कि दिल्ली जनता उन्हें और ज्यादा सपोर्ट करे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र की सरकार को भी अपना मूल्यांकन करने की जरुरत है। हालाँकि यह आदेश अभी कोई फ़ाइनल नहीं है, इस आदेश के बाद केंद्र की सरकार के पास दुबारा अपील करने का मौका है, लेकिन बेहतर यही होगा कि केंद्र की सरकार दिल्ली सरकार को अपना काम करने दे। क्योंकि केंद्र की सरकार के मंत्री भी तो दिल्ली में ही रहते हैं।
 

 

 

 

शंकर जी विश्वकर्मा
नई दिल्ली


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