जातिगत आधारित जनगणना को लेकर कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने
राहुल गांधी ने अब जातिगत आधारित जनगणना को सार्वजनिक करने की मांग कर दी है। अब तक महंगाई, बेरोजगारी, सामाजिक असमानता और सावरकर को लेकर बीजेपी को घेर रहे राहुल गांधी ने अपना गोल पोस्ट बदल लिया है। कर्नाटक में आयोजित जय भारत रैली में उन्होंने जातिगत आधारित जनगणना की मांग, जोर-शोर से उठाई।
![]() प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी |
आखिर राहुल गांधी को जातिगत आधारित जनगणना को लेकर बीजेपी और मोदी को घेरने का मंत्र उन्हें कहां से, कैसे और किससे मिली। वर्षों तक इस मुद्दे को लेकर चुप रहे, राहुल गांधी ने आखिर इस मुद्दे को क्यों पकड़ लिया?
दरअसल पिछले सात-आठ महीनों से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्ष की सभी पार्टियों को एकजुट करने में लगे हुए हैं। पिछले साल यानी अगस्त के महीने में भाजपा से अलग होकर नीतीश कुमार महागठबंधन में शामिल हो गए थे। वह एक बार फिर बिहार के मुख्यमंत्री बन गए थे। उसके बाद उन्होंने लगभग 6 महीने पहले दिल्ली का दौरा किया था। दिल्ली दौरे का, उनका मुख्य उद्देश्य, विपक्ष की पार्टी के नेताओं से मिलना और उन सबको एक मंच पर आने के लिए प्रेरित करना था। उस समय नीतीश कुमार ने राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल, शरद पवार और सीताराम येचुरी समेत विपक्षी पार्टी के तमाम बड़े नेताओं से मुलाकात की थीं। सोनिया गांधी उस समय विदेश में थी,लिहाजा उनसे मुलाकात नहीं हो पाई।
नीतीश कुमार की मुलाक़ातें तो बहुत अच्छी हुई थीं लेकिन विपक्षी एकता को लेकर कोई सकारात्मक पहल नहीं हो पाई थी। नीतीश कुमार अभी लगभग एक सप्ताह पहले भी दिल्ली गए थे। अपनी दिल्ली यात्रा के दौरान उन्होंने एक बार फिर विपक्ष के सभी बड़े नेताओं से मुलाकात की थी। विशेषकर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से उनकी घंटों अकेले में बात हुई थी। मुमकिन है कि नीतीश कुमार ने बिहार में चल रही जातिगत आधारित जनगणना की बात, राहुल गांधी और खड़गे को बताई होगी। जातिगत जनगणना के फायदे और नुकसान के बारे में भी उन्होंने विस्तार से चर्चा की होगी।
शायद राहुल गांधी को नीतीश कुमार की बात में कुछ दम लगा होगा। उन्हें लगा होगा कि अन्य मुद्दों के अलावा इस मुद्दे पर भी केंद्र की सरकार या मोदी को घेरा जा सकता है। उन पर दबाव बनाया जा सकता है, लिहाजा राहुल गांधी ने कर्नाटक की रैली में जातिगत आधारित जनगणना की बात को मजबूती से उठा दिया। राहुल गांधी ने सीधे-सीधे मोदी से पूछ दिया कि जातिगत आधारित जनगणना की रिपोर्ट कब तक सार्वजनिक कर रहे हैं। यहां बता दें कि 2011 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने जातिगत, सामाजिक और आर्थिक आधार पर जनगणना करवाई थी। आर्थिक और सामाजिक आधार पर की गई जनगणना का खुलासा कर दिया गया था। उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी गई थी। जबकि उस समय की मनमोहन सरकार ने जातिगत आधारित जनगणना को दबा लिया था। यहां एक बात और बता देना जरूरी है कि 2021 में देश भर की जनगणना होनी थी, लेकिन कोरोना के चलते वह जनगणना हो नहीं पाई।
अब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 2021में होने वाली जनगणना को कराने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र लिख दिया है। इस पत्र में जातिगत आधार पर जनगणना कराने की मांग भी कर दी गई है। उधर राहुल गांधी ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी, ओबीसी, एससी और एसटी के अलावा अन्य धर्मो के लोगों की जनसंख्या के आंकड़ों को सार्वजनिक करें। राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री पर यह भी आरोप लगाया है कि ओबीसी की संख्या की जानकारी ना देकर मोदी देश के करोड़ों अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों का अपमान कर रहे हैं।
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री से यह सवाल तो पूछ दिया है लेकिन यहां पर राहुल गांधी देश की जनता को यह नहीं बता पा रहे हैं कि उनकी सरकार यानी मनमोहन सिंह सरकार ने जब 2011 में जातिगत आधारित जनगणना करवा ली थी, तो उन्होंने उन आंकड़ों को सार्वजनिक क्यों नहीं किया था? उन्होंने उन आँकड़ों को क्यों क्यों दबाए रखा। राहुल गांधी से यह सवाल प्रधानमंत्री मोदी के अलावा देश की जनता भी जरूर पूछेगी।
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