तीन-चार दिन में दिख जाएगी विपक्षी एकता की तस्वीर
विपक्षी एकता की तस्वीर कैसी होगी? कितनी पार्टियां इसमें शामिल होंगी? नेतृत्व कौन सी पार्टी करेगी? कुछ ऐसे ही सवाल देश की राजधानी दिल्ली की राजनीतिक गलियारों में गूंज रहे हैं। ऐसे सवाल उठे रहे हैं, नीतीश कुमार को लेकर। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, इस समय दिल्ली में हैं।
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नीतीश कुमार दिल्ली में तीन दिन रुकेंगे। बुधवार को उनकी मुलाकात सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से हो गई। उम्मीद की जा रही है कि इन तीन दिनों में विपक्ष की तमाम पार्टियों के बड़े नेता नीतीश कुमार से मिलेंगे। संभव है कि इस बार विपक्षी एकता को लेकर कोई ना कोई खाका जरूर तैयार कर ली जाएगी।
यहां बता दें कि लगभग 5 महीने पहले भी नीतीश कुमार दिल्ली आए थे। उस दौरान उन्होंने शरद पवार,राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल, सीताराम येचुरी समेत विपक्ष के कई बड़े नेताओं से मुलाकात की थी। उस समय कांग्रेस ने अपनी तरफ से कोई खास पहल नहीं की थी। डेढ़ दो महीने पहले भी नीतीश कुमार ने प्रत्यक्ष रूप से कह दिया था कि कांग्रेस हालात को समझ नहीं पा रही है। गठबंधन को लेकर वह बहुत गंभीरता से विचार नहीं कर रही है। नीतीश कुमार की बातों को उस समय तो गंभीरता से नहीं लिया गया था, लेकिन अब शायद कांग्रेस ने भी मन बना लिया है।
विपक्षी एकता को मजबूत करने में अब देरी नहीं करनी चाहिए। नीतीश का दिल्ली आना इस बात का संकेत है कि कांग्रेस ने ही कुछ पहल की होगी। वैसे भी पांच-छः महीने पहले जब नीतीश कुमार राहुल गांधी से मिले थे तो उस समय मलिकार्जुन खरगे न तो कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे और ना ही राहुल गांधी की सांसदी गई थी, लेकिन अब परिस्थितियां बदल चुकी हैं। राहुल गांधी पर चारों तरफ से हमले होने लगे हैं। उन्हीं की पार्टी से अलग हुए गुलाम नबी आजाद ने भी राहुल गांधी और उनके परिवार पर विदेशी कारोबारियों से संबंध होने का आरोप लगा दिया है।
जिसके बाद भाजपा उनसे सवाल पूछ राशि है। उधर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी अडानी के खिलाफ कांग्रेस के हमले को गैरजरूरी करार दिया है। जेपीसी की मांग को भी बहुत उचित नहीं बताया है। ऐसे में कहीं न कहीं कांग्रेस को लगने लगा था कि जो भी करना है ,अब जल्दी कर लिया जाए। कहीं ऐसा ना हो कि बहुत देर हो जाए। विपक्ष की सभी पार्टियां भाजपा और मोदी के खिलाफ हैं। सबको यह भी पता है कि अलग-अलग चुनाव लड़कर कोई भी पार्टी भाजपा का मुकाबला नहीं कर पाएगी।
सब को यह भी पता है कि कांग्रेस को माइनस करके विपक्ष चाहे कितना ही मजबूत हो जाए। भाजपा और मोदी मुकाबला भले ही कर लें सफलता ना के बराबर ही मिलेगी। नीतीश कुमार अगर तीन दिन की यात्रा पर दिल्ली आए हैं, तो यह मान लेना चाहिए कि वह पूरी रणनीति बनाकर आए हैं और विपक्ष के कई बड़े नेताओं से बात करके आए हैं। ऐसे में पूरी संभावना है कि अगले तीन-चार दिन में विपक्षी एकता की एक तस्वीर पूरे देश को देखने को मिल जाएगी।
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