इतिहासकारों ने किताबों में संशोधन पर NCERT की आलोचना की, कहा- ये सरकार का विभाजनकारी और पक्षपातपूर्ण एजेंडा
रोमिला थापर, जयंती घोष, मृदुला मुखर्जी, अपूर्वानंद, इरफान हबीब और उपिंदर सिंह जैस शिक्षाविदों व इतिहासकारों ने एनसीईआरटी (NCERT) की आलोचना की है।
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इतिहासकारों ने कहा है कि स्कूल की पाठ्य पुस्तकों से अध्यायों को हटाना विभाजनकारी और पक्षपातपूर्ण कदम है। इतिहासकारों ने इस निर्णय को वापस लेने की मांग की है।
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने हाल ही में इतिहास की किताबों में कुछ अंशों को हटा दिया है। खासकर 12 वीं कक्षा की पाठ्यपुस्तक से मुगलों और 11 वीं कक्षा की किताब से उपनिवेशवाद से संबंधित कुछ अंश को हटाया गया है। इसके अलावा गांधी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े कुछ तथ्य भी पुस्तकों से हटाए गए हैं। एनसीईआरटी की इस कार्रवाई के विरोध में अब रोमिला थापर, जयति घोष, मृदुला मुखर्जी, अपूर्वानंद, इरफान हबीब और उपिंदर सिंह समेत करीब 250 शिक्षाविद व इतिहासकार सामने आए हैं। इन्होंने एक हस्ताक्षर अभियान के द्वारा एनसीईआरटी के इस कदम पर अपना विरोध जताया है। इन इतिहासकारों का कहना है कि एनसीईआरटी की पुस्तकों से इन अध्यायों को हटाना सरकार के पक्षपातपूर्ण एजेंडे को उजागर करता है।
इतिहासकारों ने इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि यह निर्णय भारतीय उपमहाद्वीप के संविधान व संस्कृति के खिलाफ है और इसे रद्द किया जाना चाहिए। वहीं विश्वविद्यालय स्तर के शिक्षकों के संगठन डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट का कहना है कि यदि 'व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी' को भारतीय स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के भक्षण की खुली छूट इसी तरह से दी जाएगी, तो इससे भारतीय लोकतंत्र गंभीर रूप से प्रभावित होगा।
वहीं एनसीईआरटी का कहना है कि स्कूलों की किताबों में किया गया बदलाव किसी को खुश या फिर नाराज करने के लिए उद्देश्य से नहीं किया गया है। एनसीईआरटी के चीफ दिनेश प्रसाद सकलानी ने आईएएनएस से कहा कि यह बदलाव विशुद्ध रूप से एक्सपर्ट एडवाइस के आधार पर किए गए हैं। उनका कहना है कि एनसीईआरटी अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आधार पर सभी कक्षाओं के लिए नई पुस्तकें लाने भी जा रहा है। फाउंडेशन स्तर पर नई पुस्तकें बनाने का कार्य तो पूरा भी हो चुका है।
एनसीईआरटी चीफ के मुताबिक यह बदलाव केवल इतिहास की किताब में ही नहीं किया गया, बल्कि हर विषय में से कुछ सामग्री कम की गई है, ताकि परीक्षा के दौरान छात्रों का बोझ कम हो सके और उन्हें कम सवालों का उत्तर देना पड़े। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि पुस्तकों में किया गया बदलाव किसी केवल खास व्यक्ति, घटना, कालखंड या संस्था आधारित नहीं है, बल्कि इसमें महात्मा गांधी, निराला और मुगल सभी कुछ शामिल हैं।
एनसीईआरटी का कहना है कि यह कोई बहुत बड़े बदलाव नहीं हैं। दूसरी बात यह है कि यह सभी बदलाव बीते वर्ष किए गए थे। सभी ने देखा है कि तब कोरोना की क्या स्थिति थी। छात्रों को पढ़ाई का भारी नुकसान हुआ था। न केवल स्कूल स्तर पर, बल्कि देश और दुनिया भर में विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी स्कूल कॉलेज बंद रहने के कारण छात्रों को पढ़ाई का नुकसान झेलना पड़ा। ऐसे में एनसीईआरटी ने विशेषज्ञों की राय के आधार पर छात्रों का कोर्स कुछ काम करने का निर्णय लिया, ताकि लंबे समय बाद स्कूल आए छात्रों पर पढ़ाई का बोझ कम रहे।
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