ओवैसी ने एक बार फिर जीवित किया नाथूराम गोडसे को
बरसों बाद नाथूराम गोडसे एक बार फिर चर्चाओं में है। चर्चा में लाने का श्रेय AIMIM के अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन ओवैसी को जाता है। पूरी दुनिया जानती है कि नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या की थी। बरसों पहले नाथूराम को फांसी भी दे दी गई थी। यानी नाथूराम की मौत बरसों पहले हो गई थी। बावजूद इसके किसी न किसी बहाने से नाथूराम गोडसे को जीवित किया जाता रहा है।
![]() AIMIM के अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन ओवैसी |
आज भी देश में नाथूराम गोडसे को लेकर दो विचारधाराएं समानांतर चलती रहती हैं। एक विचारधारा के लोग नाथूराम गोडसे को सही करार देते हैं या उसे लेकर स्पष्ट तरीके से अपना जवाब नहीं दे पाते जबकि दूसरे विचारधारा के लोग उसे महात्मा गांधी का हत्यारा मानते हैं। लेकिन इन सबसे इतर ओवैसी ने नाथूराम गोडसे को भारत का सबसे पहला आतंकवादी करार दिया है।
ओवैसी ने कहा है कि रामनवमी के पावन पर्व पर हैदराबाद में जब जुलूस निकाला जा रहा था तो कुछ लोग नाथूराम गोडसे की तस्वीर को लेकर नाच रहे थे। ओवैसी के आरोप में कितनी सच्चाई है यह तो वही जाने या जो प्रत्यक्षदर्शी हैं वह जाने, लेकिन ओवैसी ने इस मुद्दे को छेड़कर एक नई बहस को जन्म दे दिया है। वैसे भी ओवैसी हमेशा कुछ ऐसे ही मुद्दों को उठाने की कोशिश करते रहते हैं, जिन मुद्दों पर बहस करना आसान नहीं होता है। कहना ना होगा, कि सत्ता पक्ष के लोग अच्छी तरह जानते हैं कि नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या की थी, बावजूद इसके लगभग सभी नाथूराम गोडसे के खिलाफ बोलने से कतराते रहे हैं।
बहरहाल ओवैसी ने हैदराबाद में एक सभा को संबोधित करते हुए सरकार से एक सवाल पूछ दिया। उन्होंने सवाल पूछा कि नाथूराम गोडसे की तस्वीर के साथ रामनवमी के जुलूस में नाचने वाले कौन हैं। ओवैसी ने उस सभा में कहा कि अगर ओसामा बिन लादेन की फोटो लेकर कोई नाचता तो पुलिस उस व्यक्ति के दरवाजे तोड़ देती। उसे उठाकर ना सिर्फ जेल में बंद कर देती बल्कि उसके साथ कठोरता से पेश आती।
पूरी दुनिया को पता है 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने दिल्ली में महात्मा गांधी के सीने में तीन गोलियां दाग दी थीं। हत्या के आरोप में उसे फांसी दे दी गई थी। नाथूराम जैसे व्यक्ति को कब का भुला देना चाहिए। उसे आज भी किसी ना किसी बहाने क्यों जीवित किया जाता है, यह बात समझ से परे है। ओवैसी का ओसामा बिन लादेन से नाथूराम गोडसे की तुलना करना भी ठीक नहीं है। बहरहाल ओवैसी ने नाथूराम गोडसे का जिक्र कर एक बार फिर इस मुद्दे को हवा दे दी है। अब देखना यह है कि ओवैसी के इस बयान के बाद वर्तमान सरकार क्या रवैया अपनाती है। सत्ता पक्ष के, खासकर बीजेपी के प्रवक्ता क्या बयान देते हैं।
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