रॉफेल के विदेशी दौरे से कापेंगे चीन और पाकिस्तान
राफेल पहली बार विदेशी दौरे पर जाने वाला है। बल्कि वहां जाने वाला है, जहां से इसकी उत्पत्ति हुई है। यानी जहां इसका निर्माण किया गया है। राफेल को फ्रांस की डसॉल्ट कंपनी ने तैयार किया है। अब यही लड़ाकू विमान फ्रांस की जमीन पर उतरकर वहां के आसमान में अपनी क्षमता और अपनी लड़ाकू कौशल का प्रदर्शन करने वाला है।
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फाइटर जेट विमान राफेल, फ्रांस में गरजेगा। चीन और पाकिस्तान की टेंशन बढ़ेगी। इंडियन एयर फोर्स के बेड़े में शामिल सबसे उत्तम किस्म का लड़ाकू विमान, अप्रैल माह के मध्य में विदेशी दौरा करने वाला है। नाटो देशों के तकरीबन 19000 सैनिकों के साथ राफेल पूरी दुनिया को अपनी धमक दिखाने जा रहा है। साथ ही साथ भारत का तिरंगा पूरे विश्व में फहराने जा रहा है। फ्रांस में चल रहे वार गेम में हिस्सा लेकर राफेल न सिर्फ अपनी धमक दिखाएगा बल्कि पूरी दुनिया को यह एहसास भी कराएगा कि भारत पर बुरी नजर रखने वालों की खैर नहीं।
फ्रांस उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन यानी नाटो का सदस्य है। नाटो एवं रूस के बीच छतीस का आंकड़ा है, जबकि भारत और रूस का संबंध शुरू से ही अच्छा रहा है। वैसे भले ही रूस नाटो को पसंद न करता हो लेकिन भारत की विदेश नीति इस मामले में बहूत क्लियर है। भारत पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि उसके सम्बंध अमेरिका और रूस से अच्छे रहे हैं ,लेकिन वह अपना सैनिक अभ्यास कहीं और किसी भी देश के साथ कर सकता है।
फ्रांस में मल्टीनैशनल वार गेम हो रहा है। इस बार गेम की पृष्ठभूमि रूस और यूक्रेन का युद्ध है। इसमें एक काल्पनिक देश अरलैंड बनाया गया है। यह देश फ्रांस का सहयोगी है। इस काल्पनिक देश पर कई देश मिलकर आक्रमण करते हैं। आक्रमणकारी देशों के हमले के खिलाफ अरलैंड मदद की अपील करता है। जिसके बाद इस गेम में शामिल सभी देशों के सैनिक न सिर्फ मजबूती से लड़ते हैं बल्कि अपनी युद्ध कौशल से अरलैंड पर आक्रमण करने वाले दुश्मन देशों को पराजित भी कर देते हैं।
हालांकि यह वार गेम फ्रांस में फरवरी से चल रहा है, रॉफेल वहां अप्रैल के मध्य में पहुंचेगा। फ्रांस और भारत की वायु सेना पहले से भी शुद्ध अभ्यास करती रही हैं। कुछ महीने पहले राजस्थान के जोधपुर में इंडियन एयर फोर्स के राफेल ने फ्रांसीसी वायु सेना के साथ मिलकर युद्धाभ्यास किया था।
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