संसद सत्र के बाद भी मुद्दे के आधार पर विपक्ष साथ जुटेगा

Last Updated 06 Apr 2023 11:33:22 AM IST

संसद सत्र (Parliament session) के बाद भी विपक्ष मुद्दे के आधार पर एकजुटता बनाने के प्रयास जारी रखेगा। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने बुधवार को संसद भवन (Parliament House) में विपक्षी नेताओं की बैठक में इस बात पर जोर दिया कि मुद्दे के आधार पर विपक्ष को आगे भी विमर्श जारी रखना चाहिए।


संसद सत्र के बाद भी मुद्दे के आधार पर विपक्ष साथ जुटेगा (फाइल फोटो)

संसद का बजट सत्र (budget session of parliament) बृहस्पतिवार को समाप्त हो रहा है। अभी यह कहना जल्दबाजी होगा कि संसद सत्र के दौरान विपक्ष की बैठकों में शामिल होने वाली तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress), सपा (SP), बीआरएस (BRS) और आप (AAP) आगे भी कांग्रेस के नेतृत्व वाली बैठकों में शामिल होंगे। बुधवार को संसद भवन में राज्यसभा में विपक्ष के नेता खड़गे के कक्ष में हुई बैठक में 12 दलों के नेता उपस्थित हुए थे।

इनमें सपा, आप, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, माकपा, राजद, शिवसेना, भाकपा, जद (यू), आईयूएमएल, आरएसपी के नेता शामिल हुए थे। NCP से किसी नेता के इस बैठक में शामिल नहीं होने से तरह-तरह की चर्चा भी है।

कहा जा रहा है कि अब NCP अडाणी मामले (Adani Issue) में जेपीसी की मांग (JPC demand in Adani case) से सहमत नहीं है।

एनसीपी इसी से संतुष्ट है कि कोर्ट की निगरानी में अडाणी मामले की जांच होगी। अब तक विपक्ष की बैठकों में एनसीपी का प्रतिनिधित्व वंदना चव्हाण कर रही थीं। उनके विषय में कहा जाता है कि वह पारिवारिक कारणों से दिल्ली नहीं आ पा रही है लेकिन बुधवार को विपक्ष की बैठक में एनसीपी की गैरहाजिरी की वजह यह नहीं है।

संसद भवन में मुद्दे के आधार पर होने वाली विपक्ष की बैठकों में छोटे-बड़े दल मिलाकर 18 दल तक शामिल होते रहे हैं। विपक्षी नेता कहते हैं कि इतनी बड़ी संख्या में विपक्षी दलों को अपने साथ जोड़े रखने के लिए कांग्रेस को अपना रुख में लचीलापन लाना होगा। कांग्रेस के सपा, तृणमूल कांग्रेस, बीआरएस इत्यादि के साथ कुछ न कुछ स्थानीय मतभेद हैं।

शिवसेना (Shivsena) के साथ सावरकर (Savarkar) के मुद्दे वाले मतभेद को कांग्रेस ने कदम पीछे खींचकर हल कर लिया है। कांग्रेस के अध्यक्ष खड़गे के विषय में विपक्षी नेता बताते हैं कि वह सहयोगियों और विपक्षी दलों के प्रति लचीलेपन के पक्षधर हैं। उनकी ही पहल का नतीजा है कि संसद भवन में अधिक संख्या में विपक्षी दल एक साथ आ सके।

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