अजीत पवार ने इसलिए की है पीएम मोदी की तारीफ

Last Updated 05 Apr 2023 01:45:51 PM IST

महाराष्ट्र के कद्दावर नेता और पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष शरद पवार के भतीजे अजीत पवार अपने बयानों और कुछ निर्णयों से हमेशा चौंकाते रहे हैं।


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं अजीत पवार (फाइल फोटो)

कभी डिप्टी सीएम बनने की ख्वाहिश में भाजपा को समर्थन देकर अपने चाचा को असमंजस में डाल चुके अजित पवार ने एक बार फिर कुछ ऐसा बयान दिया है, जिससे पार्टी में गुटबाजी  शुरू हो गई है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ कर पार्टी के अंदर एक संकट पैदा कर दिया है। एक तरफ एनसीपी मुखिया शरद पवार कांग्रेस के साथ खड़े होकर लगातार मोदी सरकार पर हमले बोल रहे हैं, विपक्षी एकता को मजबूत करने में लगे हैं तो दूसरी तरफ उनके भतीजे ने मोदी की तारीफ कर पूरी पार्टी को ही सोचने पर मजबूर कर दिया है।

अजित पवार ने प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री दिखाने वाले बयान को लेकर कहा है कि उनकी डिग्री मांगना या उनकी
 डिग्री दिखाने की बात करना बकवास है। मोदी अपनी डिग्री के बलबूते पर ना तो चुनाव जीते हैं और ना ही देश के प्रधानमंत्री बने हैं। उन्होंने कहा कि 2014 में देश की जनता ने मोदी के करिश्मे को देखकर भाजपा को वोट दिया था।लिहाजा जो लोग मोदी की डिग्री पर सवाल उठा रहे हैं, वो लोग राह से भटक गए हैं। उन्हें मोदी से सवाल पूछना ही है तो उनसे महंगाई पर सवाल पूछना चाहिए, युवाओं के रोजगार पर सवाल पूछना चाहिए। उनकी डिग्री को लेकर सवाल पूछना देश की जनता को गुमराह करने के बराबर है।  

अजित पवार का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब पूरा विपक्ष एक साथ मिलकर मोदी सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है। मोदी सरकार पर तरह-तरह के आरोप लगा रहा है। यहां तक की विपक्ष ने मोदी पर  सीबीआई और ईडी का गलत इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया है। अजित पवार के चाचा शरद पवार खुद विपक्षी एकता को मजबूत करने की कोशिश में लगे हुए हैं। ऐसे में एनसीपी नेता और शरद पवार के भतीजे का  मोदी को लेकर दिया गया यह बयान, राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है।

 अजित पवार ने आखिर इस समय मोदी की तारीफ क्यों की है। इसके पीछे की असली वजह जानना बहुत जरूरी है। दरअसल 2019 विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा था। शिवसेना एक समझौते के तहत पहले महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज होना चाह रही थी। उधव ठाकरे खुद मुख्यमंत्री बनना चाह रहे थे। भाजपा को उनकी शर्त मंजूर नहीं हुई। भाजपा चाहती थी कि पहले उनकी तरफ से कोई मुख्यमंत्री बने।  बहुत दिनों तक इसको लेकर मीटिंग चलती रही। जब बात नहीं बनी तो शिवसेना भाजपा से अलग हो गई। उसके बाद देवेंद्र फडणवीस ने अजित पवार को डिप्टी सीएम बनने का प्रस्ताव दिया। यहा बता दें कि अजित पवार पर 70000 करोड़ के घोटाले का आरोप लगा था।

अजीत पवार 2009 से 2014 तक महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम रहे। उस समय कांग्रेस और एनसीपी की सरकार थी। सिंचाई विभाग की जिम्मेदारी अजित पवार के पास थी। उसी समय उन पर पर 70000 करोड़ रुपए घोटाले का आरोप लगा था। एंटी करप्शन ब्यूरो ने दो हजार अट्ठारह में अजीत पवार को जिम्मेदार ठहराया था। जांच के दौरान यह पाया गया था कि 3000 ऐसे प्रोजेक्ट थे, जिन्हें बिना टेंडर के जरिए पारित करा दिए गए थे। अजीत पवार बुरी तरह फंसे हुए थे। ऐसे में 2019 में जब भाजपा और शिवसेना की बात नहीं बनी तो देवेंद्र फडणवीस ने कथित तौर पर यह कहकर अजित पवार को अपने साथ शामिल कर लिया कि उनके सारे केस वापस कर लिए जाएंगे। उन्हें जांच में क्लीन चिट दे दी जाएगी। नतीजा यह हुआ कि रातो रात अजित पवार के खिलाफ चल रही सारी जांचें बंद कर दी गईं। उसके बाद अजीत पवार ने महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम जबकि देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली थी। उधर अजित पवार के उस निर्णय से उनके चाचा शरद पवार बेहद नाराज हो गए थे।

शरद पवार की दखलंदाजी के बाद 48 घंटे के अंदर ही अजित पवार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन उसके पहले अजीत पवार अपने मकसद में कामयाब हो गए थे। यानी वह अपने खिलाफ लगे सारे आरोपों से मुक्त हो चुके थे। अभी कुछ दिनों पहले ही अजीत पवार ने देवेंद्र फडणवीस पर 500 करोड़ रुपए घोटाले का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 2019 में 500 करोड़ रुपए का विज्ञापन बगैर पारित कराए ही प्रकाशित करवा दिया था, जिसकी जांच होने के बाद विज्ञापन कंपनियों के भुगतान रोक दिए गए थे, लेकिन जब से एकनाथ शिंदे के साथ मिलकर भाजपा की सरकार बनी तो उन कंपनियों के भुगतान कर दिया गए। अजीत परिवार का देवेंद्र फडणवीस पर लगाया गया यह आरोप न सिर्फ भाजपा बल्कि शिंदे सरकार को भी नागवार गुजरा था। ऐसे में अजित पवार को लगने लगा था कि कभी ना कभी उनके खिलाफ भी जांच हो सकती है। उनकी पुराने फाइलें खोली जा सकती हैं। लिहाजा उन्होंने कुछ जुगत लगाने की कोशिश की, और इस कोशिश में उन्होंने मोदी की तारीफ कर डाली।

 मोदी की तारीफ कर अजित पवार भले ही सुर्खियां बटोर रहे हों, लेकिन पार्टी के अंदर खलबली मची हुई है। उधर विपक्ष नहीं समझ पा रहा है कि जब सारा विपक्ष एक साथ मिलकर मोदी सरकार के खिलाफ खड़ा हुआ है तो अजीत पवार, मोदी की तारीफ क्यों कर रहे हैं। उधर भाजपा की कोशिश है कि विपक्ष के जितने भी नेता टूट कर उनके साथ आ जाते हैं तो उनकी स्थिति और मजबूत हो जाएगी। अजित पवार ने मोदी की तारीफ कर भले ही अपनी पार्टी को सोचने पर मजबूर कर दिया हो , अपने ही चाचा को असमंजस में डाल दिया हो ,लेकिन यह देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि क्या भाजपा या प्रधानमंत्री मोदी, अजित पवार को माफ करते हैं या उनके घोटालों की फाइलों को पुनः खोलकर उसकी जांच शुरू करवाते हैं।

शंकर जी विश्वकर्मा
नई दिल्ली


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