डेप्सांग-डेमचोक से पीछे हटने को राजी नहीं चीन
तवांग में चीनी सैनिकों की घुसपैठ और भारतीय सेना का उनको खदेड़ने की साया भारत-चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की बैठक पर पड़ गया।
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तवांग में मुंह की खाने के कारण चीन के कमांडर लद्दाख के डेप्सांग मैदान और डेमचोक से पीछे हटने पर सहमत नहीं हुए। इससे पहले 16 दौर की बैठकों में चीनी सेना अनेक पोस्ट खाली कर अपनी वास्तविक पोस्टों पर चले गये थे।
बीते 19 दिसम्बर को भारत-चीन कोर कमांडर स्तर की 17वीं दौर की बैठक हुई। इस बैठक में बातचीत आगे नहीं बढ़ी। इस बैठक का मुख्य एजेंडा दौलत बेग ओल्डी के दक्षिण में डेप्सांग मैदानों और चारिंग निंगलुंग नाला में भारतीय सेना के गश्ती अधिकारों को बहाल करने का था। लेकिन चीनी सेना डेप्सांग और पूर्वी लद्दाख में डेमचोक से पीछे हटने को तैयार नहीं हुई।
मई 2020 में चीनी सेना भारतीय सीमा में घुसपैठ पर अनेक चौकियों पर बैठ गई थी।
इस दौरान गलवान में दोनों सेनाओं के बीच हाथापायी हुई थी जिसमें भारत के 20 सैनिक शहीद हो गये थे और चीन की तरफ से 43 सैनिक मारे गये थे। तब क्षेत्र में शांति बनाये रखने, मई 2020 से पूर्व की यथास्थिति कायम करने के लिए कोर कमांडर स्तर से लेकर राजनायिक स्तर पर बैठकों का दौर चला जिसके कारण चीनी सेना गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स, और पैंगोंग त्सो के फिंगल-4 से पीछे हट गयी थी। 9 दिसंबर, 2022 को तवांग सेक्टर में यांग्त्ज़ी पठार में पीएलए ने घुसपैठ की थी, जिसे भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया था।
19 दिसम्बर को हुई कोर कमांडर बैठक में भारतीय कोर कमांडर और चीनी दक्षिण झिंजियांग सैन्य क्षेत्र के कमांडर ने निकट संपर्क में रहकर पश्चिमी क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने का फैसला किया, लेकिन पीएलए ने डेप्सांग मैदानों और सीएनएन ट्रैक जंक्शन मुद्दे को हल करने से इनकार कर दिया। पीएलए भारतीय सेना को डेपसांग बुल में और डेमचोक के दक्षिण में सीएनएन ट्रैक जंक्शन क्षेत्र में पीपी 10 से 13 तक गश्त करने से रोक रहा है। भारत इस क्षेत्र में पुन: गश्त शुरू करने के लिए चीनी सेना पर दवाब रहा है। यह क्षेत्र रणनीतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है।
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