अल्पसंख्यकों पर राज्यवार विचार हो : सुप्रीम कोर्ट
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि जिला स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान करने का निर्देश देने के लिए दायर अर्जी कानून के ‘विपरीत’ है, क्योंकि धार्मिक और भाषायी अल्पसंख्यकों पर विचार राज्य स्तर पर होना चाहिए।
![]() उच्चतम न्यायालय |
न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूर्ति एसआर भट्ट की पीठ ने यह टिप्पणी राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम-1992 को चुनौती देने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए की।
इस याचिका में शीर्ष अदालत से यह भी अनुरोध किया गया है कि वह केंद्र को निर्देश दे कि जिला स्तर पर ‘अल्पसंख्यकों’ को परिभाषित करे और उनकी पहचान के लिए दिशानिर्देश जारी करे।
उच्चतम न्यायालय ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता से कहा कि इस याचिका पर सुनवाई नहीं की जाएगी।
यह याचिका मथुरा निवासी देवकीनंदन ठाकुर ने दायर की थी। पीठ को सूचित किया गया कि अलग अर्जी राज्य स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान करने के लिए दिशानिर्देश बनाने हेतु दायर की गई है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि ठाकुर द्वारा दायर अर्जी को अन्य लंबित याचिका के साथ सितंबर के पहले में उचित अदालत के समक्ष सूबीबद्ध किया जाएगा।
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