कार्यवाही के वक्त कड़क रहने वाले वेंकैया विदाई पर हुए भावुक
राज्यसभा में कार्यवाही का संचालन करते वक्त हमेशा सख्त रहने वाले सभापति एम. वेंकैया नायडू सोमवार को सदन में अपनी विदाई के वक्त भावुक हो गए।
![]() सभापति एम. वेंकैया नायडू |
विदाई भाषण ही नहीं, सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किए जाने के बाद उसे छोड़ते वक्त भी वह भावुक रहे। जब सांसद उनकी विदाई के मौके पर उनकी प्रशंसा में ज्यादा देर बोल रहे थे तो वह हमेशा की तरह सख्ती से नहीं रोक रहे थे।
सबसे खास बात यह है कि इस मौके पर भी उन्होंने संसद और सांसदों की जनता में बनने वाली छवि की फिक्र की। नायडू ने संसद की मर्यादा, आदर और अनुशासन की बात कही। उन्होंने इस पर भी अपने विचार रखे कि सदन में अक्सर इस बात की शिकायत की जाती है कि विधेयकों को जल्दबाजी में या बिना चर्चा के पारित कर दिया जाता है। सभापति ने कहा, सदन में ऐसी स्थिति आनी ही क्यों चाहिए कि विधेयक को जल्दबाजी में या बिना चर्चा पारित कराया जाए।
सभापति ने कहा, उन्होंने सभी पक्षों को अवसर देने का पूरा प्रयास किया और अपना बेस्ट देने का भी प्रयास किया। छात्र और खेत में काम करने वाले व्यक्ति भी सदन की कार्यवाही देखते हैं। वह चाहते हैं कि सदन की कार्यवाही चले। इसीलिए उनकी सांसदों को सलाह है कि सदन की छवि की फिक्र की जानी चाहिए। सभापति ने कहा, पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है और भारत गतिमान है। इसी क्रम में वह बोले कि उच्च सदन का सदस्य होने के नाते राज्यसभा के सदस्यों की जिम्मेदारी भी अधिक होती है। सभापति ने प्रधानमंत्री, सदन के नेता, विपक्ष के नेता, मंत्रियों, सदस्यों और सहयोगी स्टाफ के प्रति आभार जताया।
राघव जी, पहला प्यार भूल नहीं जाना
आप सदस्य राघव चड्ढा ने भी उच्च सदन में सभापति के रूप में नायडू के योगदान को याद किया। उन्होंने सदन में आने के अपने पहले दिन के अनुभव को याद करते हुए कहा, हर व्यक्ति को अपना पहला अनुभव याद होता है। स्कूल का पहला दिन, पहलांिप्रंसिपल, पहली टीचर, पहला प्यार। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने अपने संसदीय जीवन की शुरुआत की तो उसमें पहले सभापति नायडू ही थे, इसलिए वह सदैव उन्हें याद रखेंगे। राघव ने जब अपनी बात खत्म की तो नायडू ने प्रश्न किया, राघव, मेरे ख्याल से प्यार एक ही होता है ना? एक बार, दो बार, तीसरी बार..ऐसा होता है..नहीं ना।..पहला ही प्यार होता है ना?’ नायडू ने भी हंसते हुए कहा, ‘पहला प्यार अच्छा होता है, वही हमेशा रहना चाहिए.. जिंदगी भर वही रहना चाहिए।’
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