विवाह के बिना पैदा हुए बच्चे भी पारिवारिक संपत्ति पाने के हकदार: सुप्रीम कोर्ट

Last Updated 15 Jun 2022 08:47:57 PM IST

केरल हाईकोर्ट के एक आदेश को खारिज करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि बिना शादी किए लंबे समय तक एक साथ रहने वाले जोड़े के 'नाजायज' बच्चों को भी पारिवारिक संपत्ति का हिस्सा मिल सकता है।


सुप्रीम कोर्ट

शीर्ष अदालत उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ दायर एक याचिका पर विचार कर रही थी जिसमें वादी के माता-पिता ने शादी में शामिल नहीं होने का हवाला देते हुए एक कथित नाजायज बच्चे के संपत्ति हिस्से के दावे को खारिज कर दिया था।

हालांकि, यह देखते हुए कि युगल लंबे समय से एक साथ रह रहे थे, शीर्ष अदालत ने कहा कि उनका रिश्ता एक शादी के समान ही है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों की शादी भले ही न हुई हो, लेकिन दोनों लंबे समय तक पति-पत्नी की तरह ही साथ रहे हैं। ऐसे में अगर यह साबित हो जाता है कि बच्चा उन्हीं दोनों का ही है, तो बच्चे का पिता की संपत्ति पर पूरा हक है।

पीठ ने अपने फैसले में स्पष्ट करते हुए कहा, "यह अच्छी तरह से स्थापित है कि पुरुष और महिला पति-पत्नी के रूप में लंबे समय तक एक साथ रहते हैं, तो इसे विवाह जैसा ही माना जाएगा।" बेंच ने साफ किया कि, इस तरह का अनुमान साक्ष्य अधिनियम की धारा 114 के तहत लगाया जा सकता है।

शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा, "यह अच्छी तरह से तय है कि अगर एक पुरुष और एक महिला पति और पत्नी के रूप में लंबे समय तक एक साथ रहते हैं, तो विवाह के पक्ष में एक अनुमान होगा। साक्ष्य अधिनियम की धारा 114 के तहत ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है।"

इसने यह भी कहा कि ट्रायल कोर्ट ने रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों की जांच करने पर कहा था कि दामोदरन और चिरुथाकुट्टी दंपति लंबे समय से साथ रह रहे थे।

वादी के अनुसार, दामोदरन ने 1940 में चिरुथाकुट्टी से शादी की थी। हालांकि, उनके विवाह का कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है। प्रथम वादी कृष्णन का जन्म वर्ष 1942 में हुआ था।

जस्टिस एस. अब्दुल नजीर और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ द्वारा पारित आदेश में कहा गया है, "पक्षकारों के बीच विवाद पैदा होने से बहुत पहले वादी द्वारा पेश किए गए दस्तावेज अस्तित्व में थे। सबूत के साथ ये दस्तावेज दामोदरन और चिरुथकुट्टी के बीच पति और पत्नी के रूप में लंबे समय तक साथ रहने की अवधि को दर्शाते हैं।"

अदालत ने अपने पहले के आदेश का भी जिक्र किया, जिसमें यह कहा गया था कि 'कानून वैधता के पक्ष' में रहता है।

आईएएनएस
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment