एक सभ्य समाज में आतंकवाद, द्वेष और विभाजनकारी प्रवृत्तियों का कोई स्थान नहीं : उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने आज युवा विद्यार्थियों से अपने निवास पर मुलाकात कर बातचीत की।
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इस दौरान मानवता की प्रगति के लिए विश्व शांति की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा एक सभ्य समाज में, आतंकवाद, द्वेष तथा विभाजनकारी प्रवृत्तियों के लिए कोई स्थान नहीं है।
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने राजनीति सहित सभी क्षेत्रों में महिलाओं को पर्याप्त भागीदारी देने की वकालत की।
विद्यार्थियों द्वारा विभिन्न विषयों पर पूंछे गए प्रश्नों का उत्तर देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, यद्यपि विरोध करना लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन हिंसक विरोध से देश के हितों को नुकसान पहुंचता है। भारत न केवल अपनी संस्कृति पर गौरव करता है बल्कि सभी संस्कृतियों और मतों का सम्मान करता है। हम वसुधैव कुटुंबकम के आदर्श का पालन करने वाले हैं।
यह सभी युवा विद्यार्थी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ डेमोक्रेटिक लीडरशिप के युवा विद्याथीर्यों से उन्होंने कहा, भारत विश्व का सबसे धर्मनिरपेक्ष देश है जहां, किसी भी मजहब का कोई भी नागरिक देश के सर्वोच्च पद पर आसीन हो सकता है।
किसी की धार्मिक आस्था या धार्मिक विभूति को नीचा दिखाना, उस भारतीय संस्कृति के विरुद्ध है जिसमें विविधता को सौहार्द के साथ स्वीकार और समाविष्ट किया जाता है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि किसी को किसी भी मत के विरुद्ध तल्ख और अपमानजनक वक्तव्य नहीं दिया जाना चाहिए। यह स्वीकार्य नहीं है।
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