जिमखाना के प्रशासक ओम पाठक को हटाने का आदेश
एनसीएलटी ने जिमखाना के क्लब के विवादित प्रशासक ओम पाठक को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया है।
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ट्रिब्यूनल ने क्लब का प्रबंधन 15 सदस्यीय निदेशक मंडल को सौंपने का आदेश दिया है। यह निदेशक मंडल क्लब प्रबंधन पर लगे भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करेगा। इसकी रिपोर्ट हर तीन महीने में एनसीएलटी में पेश करनी होगी। जांच के आदेश के बाद भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं के आरोपियों में खलबली मच गई है।
गौरतलब है कि जिमखाना क्लब के पूर्व प्रबंधन पर करोड़ों रुपए की अनियमितता के आरोपों के बाद कंपनी कार्य मंत्रालय से प्रबंधन का विवाद चल रहा था। इसके तहत एनसीएलएटी ने बीते साल क्लब में प्रशासक नियुक्त करने के आदेश दिए थे। लेकिन लंबे समय तक क्लब में प्रशासक नियुक्त रहे विनोद यादव और ओम पाठक ने किसी भी आरोप की जांच तक शुरू करने का प्रयास भी नहीं किया।
उधर, केंद्र सरकार भी प्रशासक नियुक्त करने के बावजूद आरोपियों के खिलाफ कोई कठोर कदम उठाने में नाकाम रही। मामले में केंद्र का पक्ष कमजोर होने और ट्रिब्यूनल में चल रही सुनवाई में देरी को देखते हुए सॉलिसिटर जरनल तुषार मेहता पिछली तारीख पर खुद ट्रिब्यूनल में पेश हुए थे। इसके बाद सरकारी अमले में अफरा-तफरी मच गई थी। तभी से यह कयास लगाए जा रहे थे कि अब केंद्र इस मामले में सख्त कदम उठाएगा और आरोपियों के खिलाफ जांच शुरू हो जाएगी।
गौरतलब है कि जिमखाना के प्रशासक ओम पाठक अपनी कार्यशैली के कारण खुद विवाद का केंद्र बन चुके थे। उन्होंने जांच करने की जगह अपने व्यक्तिगत संबंधों का हवाला देकर भ्रष्टाचार के आरोपी पूर्व अध्यक्ष दिनेश सोनी को कई कमेटियों में नियुक्त कर दिया। नियमों को ताक पर रखकर क्लब के सदस्य और सचिव जेपी सिंह को वेतन के तौर पर लाखों रुपए का भुगतान भी कर दिया। इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री आवास की सुरक्षा खतरे में डालते हुए क्लब में मौजूद ऑर्गेनिक गार्डन को ध्वस्त कराकर वहां निर्माण कार्य भी कराने की कोशिश की थी।
यह आरोप भी सामने आया कि एनसीएलएटी के आदेश की अवहेलना कर उन्होंने एनडीएमसी चेयरमैन धम्रेद्र और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को क्लब में एमिनेंट श्रेणी की सदस्यता भी दे दी। उनके कामकाज के तरीकों से खफा क्लब के सदस्यों ने आम सभा के दौरान उनकी रिपोर्ट और अकाउंट भी खारिज कर दिए। इसी के साथ पाठक पर एक ऐसी एजेंसी को क्लब की सुरक्षा का ठेका देने का आरोप भी लगा, जिसने निविदा प्रक्रिया में भाग ही नहीं लिया था।
ऐसे तमाम आरोपों को लेकर क्लब के पूर्व सचिव आशीष खन्ना और पूर्व वित्तीय सलाहकार आरके मीणा ने एनसीएलटी में पूरा कच्चा चिट्ठा पेश कर दिया। शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान एनसीएलटी ने ओम पाठक को तुरंत प्रशासक के पद से हटाने का आदेश जारी कर दिया। इसी के साथ केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वह जल्द से जल्द 15 सदस्यों का निदेशक मंडल नियुक्त करे। यह निदेशक ही क्लब की गतिविधियों का संचालन करेगा और पूर्व प्रबंधन पर लगे आरोपों की जांच करेगा। ट्रिब्यूनल के आदेश के अनुसार निदेशक मंडल को हर तीन महीने में अपनी जांच रिपोर्ट ट्रिब्यूनल में पेश करनी होगी।
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