कोविड डेथ : मुआवजा दावे के लिए 4 हफ्ते नाकाफी
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि कोरोना के कारण हुई मौत के मामले में प्राधिकारियों से अनुग्रह राशि के भुगतान का दावा करने के लिए केंद्र द्वारा चार हफ्तों की समयसीमा देना संभवत: पर्याप्त नहीं है क्योंकि मृतक के परिवार अपने परिजन को खोने के कारण व्यथित होंगे।
![]() सुप्रीम कोर्ट |
न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्न की पीठ ने संकेत दिया कि ऐसे सभी लोगों को 60 दिन का समय दिया जाएगा जो निर्धारित तिथि पर मुआवजे के लिए आवेदन देने के पात्र हैं और भविष्य के दावाकर्ताओं को 60 दिनों का वक्त दिया जाएगा। पीठ ने कहा, यह (चार हफ्ते) शायद उचित समय सीमा नहीं है क्योंकि संबंधित परिवार शोकाकुल होंगे और चार हफ्ते का समय शायद सही वक्त नहीं है। अगर कोई मौत होती है तो परिवार को उस दुख से उबरने में वक्त लगेगा और फिर वह दावा जताएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को कोरोना से मौत के लिए मुआवजे के फर्जी दावों का पता लगाना चाहिए क्योंकि उसे आपदा प्रबंधन कानून, 2005 के तहत शक्तियां दी गई हैं। फर्जी दावों के सत्यापन के लिए सव्रेक्षण के नमूने देने का अनुरोध करने वाली केंद्र की अर्जी के संबंध में पीठ ने कहा, यह दो-तीन राज्यों पर केंद्रित हो सकता है, जहां मौत के पंजीकरण और दावों में भिन्नता है।
सुनवाई की शुरुआत में केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोरोना वायरस के कारण हुई मौत पर प्राधिकारियों से मुआवजा मांगने का दावा करने के लिए चार हफ्ते की समयसीमा तय करने का सुझाव दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया और वह 23 मार्च को आदेश देगा।
इससे पहले केंद्र ने एक अर्जी दायर कर कोरोना के कारण हुई मौत पर प्राधिकारियों से मुआवजे का भुगतान करने का दावा करने के लिए चार हफ्ते की समयसीमा तय करने का अनुरोध किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना के कारण जान गंवाने वाले लोगों के परिवार के सदस्यों को मिलने वाली 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि पाने के लिए झूठे दावों पर चिंता जताई थी और कहा था कि उसने कभी सोचा भी नहीं था कि इसका ‘दुरुपयोग’ किया जा सकता है।
| Tweet![]() |