6 दिसम्बर,भारत के स्वाभिमान का प्रतीक : कामेश्वर चौपाल
अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के पहले कार सेवक, 1989 में मंदिर शिलान्यास कार्यक्रम में पहली ईंट रखने वाले और वर्तमान में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने 6 दिसम्बर 1992 की घटना को भारत के स्वाभिमान का प्रतीक बताया।
![]() अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के पहले कार सेवक, 1989 में मंदिर शिलान्यास कार्यक्रम में पहली ईंट रखने वाले और वर्तमान में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल |
उन्होंने कहा कि 6 दिसम्बर को देशभर से अयोध्या आए कारसेवक काफी गुस्से में थे और किसी की भी सुन नहीं रहे थे।
उन्होंने कहा, 6 दिसम्बर को हम लोग अयोध्या में ही मौजूद थे। संख्या तो नहीं बता सकता लेकिन भगवान राम की नगरी भक्तों से भरी हुई थी। देश के हर कोने से लोग उस दिन वहां मौजूद थे। सबके मन में एक ही भाव था कि प्रभु राम की जन्मभूमि को इस बार कलंक से मुक्त करके ही जाएंगे। लोगों के मन में बहुत गुस्सा था।
इससे पहले भी कार सेवा के लिए कई बार देश भर से लोगों को बुलाया था। वो हर बार आते थे और ऐसे ही चले जाते थे। कई बार ऐसा लगा कि अदालत के जरिए कोई फैसला आ जाएगा, तो कई बार यह कहा गया कि बातचीत के माध्यम से मसला सुलझने जा रहा है, लेकिन कुछ हो नहीं हो पा रहा था।
सरकार तो पहले से ही इसे उपेक्षा के भाव से देख रही थी और देश के बहुसंख्यक समाज से जुड़े इस मुद्दे के महत्व को ही नकार रही थी। लोगों के मन में इन सारी बातों को लेकर क्रोध था और यह लगातार बढ़ता ही जा रहा था।
चौपाल ने कहा कि आडवाणी और तमाम बड़े नेता लोगों से लगातार भगवान राम की मर्यादा का पालन करने की अपील कर रहे थे। वो कह रहे थे कि भगवान राम की मर्यादा को खंडित नहीं करना है। राम ने अपने जीवन में अनुशासन का ही पाठ दिया था और हम सबको इसी रास्ते पर चलना है।
उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल में गोलीबारी तो एक छोटी घटना थी क्योंकि 492 वर्षों तक राम भक्तों को यातनाएं सहनी पड़ी थी। इसे लेकर 78 बार लड़ाईयां भी हुई और 4 लाख से अधिक राम भक्तों ने अपना बलिदान दिया।
6 दिसम्बर 1992 को जो कुछ भी अयोध्या में हुआ वह इन सबका सम्मिलित गुस्से का प्रकटीकरण था। देशभर से अयोध्या पहुंचे नौजवानों के मन में यह घर कर गया था कि इस बार सिर्फ भाषण सुन कर नहीं लौटना है।
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि हर राष्ट्र के जीवन में ऐसा स्वाभिमान का एक काल आना चाहिए क्योंकि राष्ट्र बिना सम्मान, स्वाभिमान और मान बिंदू के सुरक्षित नहीं रह सकता है। मुझे यह भी लगता है कि 6 दिसम्बर को अयोध्या में लोगों को जो क्रोध आया वो क्रोध अगर काफी पहले आया होता तो इस देश में कभी विदेशियों को पैर रखने की जगह नहीं मिलती, यहां आक्रांता टिक नहीं पाते और देश कभी गुलाम नहीं होता।
देश को अपमान और लूट का केंद्र नहीं बनना पड़ता। उन्होंने कहा कि राम मंदिर का सपना सिर्फ मेरा नहीं था बल्कि देश के सभी लोगों ने इसे देखा था।
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