अत्यधिक विवेक से बात करें न्यायाधीश : राष्ट्रपति

Last Updated 28 Nov 2021 01:05:08 AM IST

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को यहां कहा कि यह न्यायाधीशों का दायित्व है कि वे अदालत कक्षों में अपनी बात कहने में अत्यधिक विवेक का प्रयोग करें।


राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

उच्चतम न्यायालय द्वारा आयोजित संविधान दिवस कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कोविंद ने कहा कि भारतीय परंपरा में, न्यायाधीशों की कल्पना ‘स्थितप्रज्ञ’ (स्थिर ज्ञान का व्यक्ति) के समान शुद्ध और तटस्थ आदर्श के रूप में की जाती है।

उन्होंने कहा, ‘हमारे पास ऐसे न्यायाधीशों की विरासत का एक समृद्ध इतिहास है, जो दूरदर्शिता से पूर्ण और निंदा से परे आचरण के लिए जाने जाते हैं, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए विशिष्ट पहचान बन गए हैं।’

उन्होंने कहा, ‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि आपने अपने लिए एक उच्च स्तर निर्धारित किया है। इसलिए, न्यायाधीशों का यह भी दायित्व है कि वे अदालत कक्षों में अपने बयानों में अत्यधिक विवेक का प्रयोग करें। अविवेकी टिप्पणी, भले ही अच्छे इरादे से की गई हो, न्यायपालिका के महत्व को कम करने वाली संदिग्ध व्याख्याओं को जगह देती है।’

राष्ट्रपति ने अपने तर्क के समर्थन में डेनिस बनाम अमेरिका मामले में अमेरिकी उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश फ्रैंकफर्टर को उद्धृत किया, जिन्होंने कहा था कि अदालतें प्रतिनिधि निकाय नहीं हैं और ये लोकतांत्रिक समाज का अच्छा प्रतिबिंब बनने के लिए डिजाइन नहीं की गई हैं।

अमेरिकी न्यायाधीश को उद्धृत करते हुए कोविंद ने कहा कि अदालतों का आवश्यक गुण स्वतंत्रता पर आधारित तटस्थता है, और इतिहास सिखाता है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता तब खतरे में पड़ जाती है जब अदालतें भावना संबंधी जुनून में उलझ जाती हैं, और प्रतिस्पर्धी राजनीतिक, आर्थिक तथा सामाजिक दबाव के बीच चयन करने में प्राथमिक जिम्मेदारी लेना शुरू कर देती हैं।

सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment