परिवारवाद चिंताजनक : मोदी

Last Updated 27 Nov 2021 02:20:30 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए पारिवारिक पार्टियों को संविधान और लोकतंत्र के प्रति समर्पित लोगों के लिए चिंता का विषय बताया और दावा किया कि लोकतांत्रिक चरित्र खो चुके दल लोकतंत्र की रक्षा नहीं कर सकते हैं।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

संविधान दिवस पर संसद के केंद्रीय कक्ष में आयोजित कार्यक्रम को राष्ट्रपति के अलावा उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी संबोधित किया। इस कार्यक्रम का कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों ने बहिष्कार किया।

समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने किसी दल विशेष का नाम लिए बगैर इस आयोजन का बहिष्कार करने वाले दलों को भी आड़े हाथों लिया और इस पर चिंता जताते हुए कहा कि संविधान निर्माता बाबा साहेब आंबेडकर जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान का स्मरण ना करने और उनके खिलाफ ‘विरोध के भाव’ को यह देश स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि संविधान की भावनाओं को चोट पहुंचाए जाने की घटनाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, इसलिए हर वर्ष संविधान दिवस मनाकर राजनीतिक दलों को अपना मूल्यांकन करना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘अच्छा होता कि देश आजाद होने के बाद, 26 जनवरी के बाद (संविधान लागू होने के बाद) देश में संविधान दिवस मनाने की परंपरा शुरू होती।’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन कुछ लोग इससे चूक गए।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि जब वर्ष 2015 में उन्होंने संसद में बाबा साहब आंबेडकर की 125वीं जयंती पर संविधान दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा था, उस वक्त भी इसका विरोध किया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘विरोध आज भी हो रहा है.. उस दिन भी हुआ था।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह आयोजन किसी सरकार या राजनीतिक दल या किसी प्रधानमंत्री का नहीं था, बल्कि इसका आयोजन लोकसभा अध्यक्ष की ओर से किया गया था। भारत की संवैधानिक लोकतांत्रिक परंपरा में राजनीतिक दलों के महत्व का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वह संविधान की भावनाओं को जन-जन तक पहुंचाने का एक प्रमुख माध्यम भी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन संविधान की भावना को भी चोट पहुंची है, जब राजनीतिक दल अपने आप में अपना लोकतांत्रिक चरित्र खो देते हैं। जो दल स्वयं का लोकतांत्रिक चरित्र खो चुके हों, वह लोकतंत्र की रक्षा कैसे कर सकते हैं?’’ उन्होंने किसी दल का नाम लिए बगैर कहा कि यदि कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक आज के राजनीतिक दलों को देखा जाए तो भारत एक ऐसे संकट की तरफ बढ़ रहा है, जो संविधान के प्रति समर्पित ओर लोकतंत्र के प्रति आस्था रखने वाले लोगों के लिए चिंता का विषय है।

एसएनबी
नई दिल्ली


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