चीनी खुफिया एजेंसी में भी बैठे पाकिस्तानी

Last Updated 20 Nov 2021 01:26:52 AM IST

अभी तक ड्रैगन अपने खुफिया ऑफिस में पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों को तैनात कर रहा था, लेकिन अब वह पाक दूतावास और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई के दफ्तर में चीनी खुफिया व सैन्य अधिकारियों के लिए जमीन तलाशने लगा है। पाकिस्तानी दूतावास से चीन, भारत के बारे में सूचना ले रहा है।


चीनी खुफिया एजेंसी में भी बैठे पाकिस्तानी

खुफिया एजेंसी ने इस बात का खुलासा सरकार को दिए अपनी रिपोर्ट में किया है। सामान्यत: सम्बंध घनिष्ठ होने पर देश एक दूसरे से सुरक्षा संबंधी जानकारियां साझा करते हैं, लेकिन कोई देश अपनी सेना के मुख्यालय में दूसरे देश के सैन्य अफसरों की तैनाती करे, यह गले उतरने वाली बात नहीं है। मगर यह सच है, चीन और पाकिस्तान के आपसी रिश्तों के बारे में। सेना के साथ-साथ अब दोनों देशों की खुफिया एजेंसियों के बीच भी तालमेल बढ़ गया है।

खुफिया सूत्रों के अनुसार चीनी पीएलए के हेडक्वार्टर में पाकिस्तानी सैन्य अफसर की तैनाती के बाद अब चीनी इंटेलिजेंस एजेंसी के दफ्तर में भी पाक सेना के अफसर की तैनाती कर दी गई है। यह बदलाव साफ संकेत दे रहा है कि कुछ विशेष कारणों से पीएलए और पाकिस्तानी सेना के बीच सहयोग एकीकरण में बदलने लगा है। खुफिया जानकारियों को साझा करने के दोनों देशों के बीच के समझौते के चलते पीएलए हेडक्वार्टर (ज्वाइंट स्टाफ डिपार्टमेंट) और मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्योरिटी यानी चीन की इंटेलिजेंस एजेंसी (एमएसएस) में ही पाकिस्तान के कर्नल रैंक के एक-एक अधिकारी को तैनात किया गया है। इससे पहले सिर्फ  पीएलए हेडक्वार्टर में ही पाक सैन्य अफसर की तैनाती की गई थी। सूत्रों के मुताबिक पाक सेना के दो लाइजनिंग अफसर वेस्टर्न थियेटर कमांड, जो भारतीय सीमा से लगती है और साउथ थियेटर कमांड के हेडक्वार्टर में भी तैनात किए गए हैं। पिछले कुछ समय में पीएलए के अलग-अलग फार्मेशन में पाकिस्तानी सैन्य अफसरों की तैनाती कई गुना बढ़ गई है।

खुफिया सूत्रों के मुताबिक बीजिंग के पाकिस्तानी दूतावास में तो डिफेंस अटैची के अलावा एक दर्जन से अधिक सैन्य अफसरों की मौजूदगी है। सूत्रों के मुताबिक ये सभी चीन के साथ हो रहे सैन्य समझौते और अन्य प्रोजेक्ट के संबंध में लाइजनिंग के लिए मौजूद हैं। गिलगित- बालटिस्तान में मौजूद स्कार्दू एयर बेस पर नए रनवे का काम हो या फिर फाइटर एयरक्राफ्ट, ड्रोन, रडार, एयर डिफेंस सिस्टम की सप्लाई हो या फिर बिजली उत्पादन के लिए बड़े डैम बनाना। ये सभी काम सुचारू रूप से चलें और पाकिस्तान के हितों को कोई नुकसान न हो, इसको मॉनिटर करने के लिए सैन्य अफसरों की तैनाती पाकिस्तान के लिए जरूरी थी। साथ ही अफगानिस्तान को पिछले पांच साल से बीआरआई प्रोजेक्ट में शामिल करने की कोशिशों पर जो पूर्णविराम लगा हुआ था, वह अफगानिस्तान पर तालिबान के काबिज होने के बाद अब काफी हद तक दूर होता नजर आ रहा है।

पाकिस्तान अफगानिस्तान का रास्ता खोल सकता है। लिहाजा, चीन ने भी अपनी दोनों बाहें खोलकर अपने सैन्य और इंटेलिजेंस एजेंसियों के दफ्तरों में पाकिस्तानी अफसरों की एंट्री करा दी। यही नहीं, खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी की खुफिया एजेंसी एमएसएस ने तो नेपाल में आईएसआई एजेंटों के साथ साठ-गांठ की खबरें भी हैं। खुफिया रिपोर्ट में ये जानकारी सामने आई है कि भारत और नेपाल की सीमा पर भारतीय तैयारियों और मौजूदगी की जानकारी के लिए चीनी खुफिया एजेंसी नेपाल में मौजूद पाकिस्तानी आईएसआई एजेंटों से जानकारी जुटा रही है। बहरहाल, चीन के सैन्य हेडक्वार्टर में पाकिस्तानी सैन्य अफसरों की मौजूदगी यह साफ बता रही है कि दोनों देश किस तरह से एकजुट होकर काम कर रहे हैं और यह आने वाले दिनों में भारत के लिए मुसीबत का सबब बन सकता है।

एसएनबी
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment