देश को बढ़ानी होगी सशस्त्र बलों की क्षमता : नरवणे

Last Updated 10 Nov 2021 02:00:27 AM IST

थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे ने दो पड़ोसी देशों के साथ भारत के सीमा विवाद के मद्देनजर सशस्त्र बलों के क्षमता विकास को राष्ट्रीय अनिवार्यता करार देते हुए मंगलवार को कहा कि विध्वंसकारी प्रौद्योगिकियां आधुनिक दुनिया के चरित्र में तेजी से बदलाव ला रही हैं।


थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे (File photo)

जनरल नरवणे ने गांधीनगर स्थित राष्ट्रीय रक्षा विविद्यालय (आरआरयू) और भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग और भू-सूचना विज्ञान संस्थान (बिसाग-एन) के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के अवसर पर कहा कि आधुनिक युद्ध की चुनौतियों का सामना करने के लिए शैक्षणिक ताकत को परिचालन समझ के साथ समृद्ध करने की आवश्यकता है।

यह कार्यक्रम गांधीनगर के आरआरयू परिसर में आयोजित किया गया था। जनरल नरवणे ने कहा, विध्वंसकारी प्रौद्योगिकियां आधुनिक दुनिया के चरित्र को पहले से कहीं ज्यादा तेजी से बदल रही हैं। हमने दुनिया भर में हालिया संघर्षं में इन प्रौद्योगिकियों के निर्णायक प्रभाव को देखा है।

उन्होंने कहा, हमारे दो पड़ोसियों के साथ उत्तर और पूर्व में हमारी सक्रिय और विवादित सीमाओं को देखते हुए, सशस्त्र बलों की क्षमता का विकास एक राष्ट्रीय अनिवार्यता है।

सेना प्रमुख ने आगे कहा कि अन्य देशों के साथ विशिष्ट प्रौद्योगिकियों पर निर्भरता विशेष रूप से संघर्ष के समय में महत्वपूर्ण कमजोरियां पैदा करती हैं और बिसाग-एन के साथ भारतीय सेना का सहयोग इन चुनौतियों का समाधान अंदरुनी तरीके से करने की दिशा में एक लंबा रास्ता तय करेगा।

नौसेना को मिली चौथी स्कोर्पिन पनडुब्बी ‘वेला’

फ्रांस के सहयोग से देश में ही प्रोजेक्ट-75 के तहत बनाई जा रही चौथी पनडुब्बी मंगलवार को नौसेना को सौंप दी गई। इस परियोजना के तहत स्कोर्पिन डिजाइन की छह पनडुब्बी बनाई जा रही हैं।

इन पनडुब्बियों का निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) मुंबई में किया जा रहा है। इस पनडुब्बी को ‘वेला’ नाम दिया गया है और इसे 2019 में 6 मई को लॉन्च किया गया था।

कोविड प्रतिबंधों के बावजूद इस पनडुब्बी के बंदरगाह तथा समुद्री चरण के हथियार और सेंसर संबंधी सभी परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे किये जा चुके हैं।

भाषा/वार्ता
गांधीनगर/नई दिल्ली


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