संसद भवन के मुख्य द्वार के सम्मुख ध्यानमुद्रा में बैठे नजर नहीं आएंगे बापू

Last Updated 03 Nov 2020 04:29:59 AM IST

संसद के आगामी बजट सत्र से संसद भवन के प्रांगण में ध्यान मुद्रा में महात्मा गांधी की प्रतिमा नजर नहीं आएगी। विपक्षी दल बात-बात में सरकार के खिलाफ धरना देने और नारेबाजी करने के लिए महात्मा गांधी की शरण में नहीं जा पाएंगे।


महात्मा गांधी की प्रतिमा

नए भवन के निर्माण के लिए रास्ता देने के लिए प्रतिमा को गेट नंबर 7 के समीप स्थापित किया जाएगा।
नया संसद भवन प्लॉट नंबर 118 में बनाया जाएगा। सोमवार से टाटा प्रोजेक्ट ने इस प्लॉट की घेराबंदी शुरू कर दी है, क्योंकि प्लॉट तिकोना है इसलिए विजय चौक से लेकर रेडक्रॉस सोसाइटी चौराहे तक और रेडक्रॉस सोसाइटी से रायसीना रोड चौराहा और रायसीना रोड चौराहे से विजय चौक गेट तक 10 फीट ऊंची बैरिकेटिंग की जाएगी, ताकि निर्माण कार्य के दौरान धूल बाहर न फैले। निर्माण कार्य का शिलान्यास दिसम्बर के दूसरे हफ्ते में प्रधानमंत्री करेंगे।
वर्तमान संसद भवन और नए संसद भवन का मुख्य दरवाजा आमने-सामने होगा। इन दोनों भवनों के बीच में महात्मा गांधी की विशाल 16 फुट ऊंची मूर्ति आ रही है इसलिए इस मूर्ति को गेट नंबर 7 के पास या संसद भवन लाइब्रेरी एवं एनेक्सी के बीच में स्थानांतरित किया जाएगा। संसद भवन के गेट नंबर 1 के ठीक सामने संसद भवन की तरफ मुंह करके ध्यान मुद्रा में बैठे महात्मा गांधी की प्रतिमा मूर्तिकार राम सुतार ने बनाई थी और शिवराज पाटिल के लोकसभा अध्यक्ष कार्यकाल के दौरान 1993 में यहां पर स्थापित की गई थी। मूर्तिकार राम सुतार बुजुर्ग हो गए हैं, अब उनका काम उनके सुपुत्र अनिल सुतार देख रहे हैं। सुतार ने बताया कि महात्मा गांधी जी की मूर्ति बनाने का प्रोजेक्ट सीपीडब्ल्यूडी ने उनके पिता को सौंपा था। मूल रूप से यह मूर्ति इंडिया गेट के कैनोपी की जगह लगनी थी, लेकिन राजनीतिक विवाद होने के कारण मूर्ति वहां स्थापित नहीं कि जा सकी, तब शिवराज पाटिल ने मूर्ति को संसद भवन प्रांगण में लगाने का प्रस्ताव किया था।

अनिल सुतार बताते हैं कि संसद भवन में लगी प्रतिमा में से 16 उनके पिता ने बनाई है जिनमें जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, भगत सिंह, छत्रपति शिवाजी आदि प्रमुख हैं। शिवराज पाटिल ने तत्कालीन राज्य सभा उपसभापति नजमा हेपतुल्ला और भाजपा नेता अटल बिहारी बाजपेयी को मूर्ति स्थापना की जगह तलाश करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। बाजपेयी ने ही सुझाव दिया था कि मूर्ति और महात्मा गांधी की प्रतिष्ठा को ध्यान में रखते हुए इसे गेट नंबर 1 के ठीक सामने लगाया जाना चाहिए।  सूत्रों का कहना है कि मूर्ति के लिए वह स्थान चुना जा रहा है जहां तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन अपनी आराध्य देवी अहिल्याबाई होल्कर की मूर्ति स्थापित करना चाहती थीं। मूर्ति के लिए संसदीय लाइब्रेरी के समीप स्थान भी तय हो गया था और प्लेटफार्म भी बन गया था लेकिन विपक्ष की नाराजगी के कारण मूर्ति को स्थापित नहीं किया जा सका फिर उस प्लेटफार्म को सीपीडब्ल्यूडी के हॉर्टकिल्चर विभाग ने पहाड़ी नुमा आकार देकर घास लगा दी। इसी स्थान पर महात्मा गांधी की ताम्र प्रतिमा स्थापित की जाएगी। महात्मा गांधी के अलावा चौधरी देवीलाल और पंडित मोतीलाल नेहरू की आदमकद प्रतिमा को भी स्थानांतरित किया जाएगा
गेट नंबर 7 होगा मुख्य द्वार : नए भवन के निर्माण के लिए संसद का मुख्य द्वार अब मुख्य द्वार नहीं रहेगा। मुख्य प्रांगण का एक हिस्सा आज से बंद हो गया है। अगले सत्र से संसद का मुख्य दरवाजा गेट नंबर 7 यानी उपसभापति का प्रवेश द्वार होगा और प्रधानमंत्री एवं अन्य वीआईपी के लिए प्रवेश नॉर्थ ब्लॉक की तरफ से खोला जाएगा जो अभी बंद है।

सहारा न्यूज ब्यूरो/रोशन
नई दिल्ली


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