दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए बनेगा आयोग, केंद्र ने जारी किया अध्यादेश
केन्द्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि वह प्रदूषण पर नियंत्रण के लिये अध्यादेश लायी है और इसे जारी कर दिया गया है।
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कानून एवं न्याय मंत्रालय द्वारा जारी इस अधिसूचना में कहा गया है कि यह आयोग वायु गुणवत्ता सूचकांक से संबंधित समस्याओं के समाधान, समन्वय, अनुसंधान और पहचान करने की दिशा में काम करेगा।
एनसीआर और इसके आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता एक चिंता का कारण बनी हुई है और अब इस पर एक ठोस कदम उठाया जाना आवश्यक हो गया है। आयोग के पास इन क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता के संरक्षण, सुधार से संबंधित उपाय, इसके लिए निर्देश देने और इसकी शिकायतों पर कार्रवाई करने का अधिकार होगा।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने इस अध्यादेश के बारे में जानकारी दी।
पीठ ने इस पर कहा कि दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की वजह से हो रहे वायु प्रदूषण का मुद्दा उठाये जाने के मामले में कोई निर्देश देने से पहले वह अध्यादेश देखना चाहेगी।
पीठ ने कहा, ‘‘हम कोई आदेश पारित करने से पहले अध्यादेश पर गौर करना चाहेंगे। याचिकाकर्ता भी इसे देखना चाहेंगे। अगले शुक्रवार को इसे सूचीबद्ध किया जाये।’’
अधिसूचना में कहा गया कि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत गठित समिति ने एनसीआर में वायु प्रदूषण के खतरे से निपटने के लिए उपाय किए गए हैं, लेकिन उपायों के लागू किए जाने में वैधानिक नियमों में कमी के चलते वायु की गुणवत्ता चिंता का विषय बनी हुई है।
अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि कई कारकों के चलते होने वाले इस वायु प्रदूषण की निगरानी, इनसे निपटने और इस पर शोध के लिए समेकित और संयुक्त दृष्टिकोण होना जरूरी है।
आयोग में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से एक-एक सदस्य होंगे। इनके अलावा, एक अध्यक्ष, पर्यावरण मंत्रालय का प्रतिनिधि और कई अन्य लोगों सहित राज्यों के प्रतिनिधि भी होंगे।
न्यायालय ने 26 अक्टूबर को दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारक पराली जलाये जाने की रोकथाम के लिये पड़ोसी राज्यों द्वारा उठाए गए कदमों की निगरानी के वास्ते शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश मदन बी लोकुर की अध्यक्षता में एक सदस्यीय समिति नियुक्त करने का अपना 16 अक्टूबर का आदेश सोमवार को निलंबित कर दिया था।
न्यायालय ने 16 अक्टूबर को दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की तेजी से बिगड़ रही स्थिति पर चिंता व्यक्त की थी और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) मदन लोकुर की एक सदस्यीय समिति नियुक्त की थी, जिसे पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की रोकथाम के लिये उठाये गये कदमों की निगरानी करनी थी। न्यायालय ने उस दिन केन्द्र, उत्तर प्रदेश और हरियाणा की आपत्तियों को दरकिनार कर दिया था।
न्यायालय ने पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण और दिल्ली तथा संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों को लोकुर समिति का सहयोग देने का निर्देश दिया था ताकि वह स्वयं पराली जलाये जाने वाले खेतों में जाकर वस्तुस्थिति का जायजा ले सकें। इस समिति को शुरू में हर पखवाड़े अपनी रिपोर्ट न्यायालय को सौंपने का आदेश दिया गया था।
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