हाथरस कांड: सुप्रीम कोर्ट का फैसला- इलाहाबाद हाई कोर्ट करेगी CBI जांच की निगरानी

Last Updated 27 Oct 2020 01:04:12 PM IST

हाथरस में पिछले महीने हुए एक दलित लड़की से कथित सामूहिक दुष्कर्म और फिर उसकी हत्या के मामले की सीबीआई जांच की निगरानी इलाहाबाद हाई कोर्ट करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ये फैसला सुनाया।


सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि हाथरस मामले के सभी पहलुओं, जिसमें पीड़िता के परिवार और गवाहों की सुरक्षा शामिल है, को इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा देखा जाएगा। मुख्य न्यायाधीश एस.ए. बोबडे ने हाथरस में कथित सामूहिक दुष्कर्म की घटना की सीबीआई जांच की निगरानी इलाहाबाद हाोईकोर्ट को सौंपी।

मामले को दिल्ली स्थानांतरित करने के लिए पीड़िता परिवार के वकील की दलील के बारे में, शीर्ष अदालत ने कहा कि शिफ्टिंग का फैसला बाद में किया जाएगा। पीठ ने कहा कि इस मुद्दे को खुला रखा गया है और जांच पूरी होने के बाद यदि आवश्यक हुआ तो इसे उठाया जाएगा।

शीर्ष अदालत ने कहा कि चूंकि सीबीआई घटना की जांच कर रही है, इसलिए मुकदमे की निष्पक्षता के बारे में कोई आशंका नहीं होनी चाहिए।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर, शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से आदेश में दर्ज पीड़िता और उसके परिवार के विवरण को मिटाने का अनुरोध किया है।

अदालत का शीर्ष आदेश एक सामाजिक कार्यकर्ता की याचिका पर आया है, जिसने हाथरस मामले में सीबीआई जांच की निगरानी की मांग की थी।

15 अक्टूबर को, उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ने हाथरस पीड़िता के परिवार की सुरक्षा के लिए किसी भी एजेंसी को नियुक्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का स्वागत किया, लेकिन कहा कि इसे राज्य पुलिस की निष्पक्षता पर सवाल नहीं उठना चाहिए।

डीजीपी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अगुवाई वाले बेंच के सामने कहा, "यह अदालत परिवार की सुरक्षा के लिए किसी भी एजेंसी की प्रतिनियुक्ति कर सकती है। हम किसी भी चीज के विरोध में नहीं हैं।"

शीर्ष अदालत ने इस पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।

इंटरवेनर का प्रतिनिधित्व कर रहीं वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह की दलीलों पर साल्वे की यह प्रतिक्रिया आई।

जयसिंह ने शीर्ष अदालत से पीड़िता परिवार की सुरक्षा केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल को सौंपने और इसे उत्तर प्रदेश पुलिस से ट्रांसफर करने का आग्रह किया।

बता दें कि हाथरस जिले के एक गांव में 14 सितंबर को 19 साल की एक दलित लड़की के साथ चार युवकों ने कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म किया था। इसके कई दिनों बाद दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल में इलाज के दौरान पीड़िता ने दम तोड़ दिया।

प्रशासन ने 30 सितंबर को पीड़िता के घर के नजदीक ही उसकी रातों-रात अंत्येष्टि कर दी थी। पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया था कि स्थानीय पुलिस ने उनकी इच्छा के पूछे बिना ही अंतिम संस्कार कर दिया। शव को देखने तक नहीं दिया। वहीं पुलिस का कहना है कि परिवार की इच्छा के मुताबिक ही अंतिम संस्कार किया गया।

योगी आदित्यनाथ सरकार ने पहले इस मामले की जांच एसआईटी को सौंपी थी। बाद में राज्य सरकार ने मामले की सीबीआई से जांच की सिफारिश की। अब मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला सुनाया।
 

आईएएनएस
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment