अदालतें सैरगाह नहीं कि जब मर्जी चले आए: सुप्रीम कोर्ट

Last Updated 19 Oct 2020 03:30:42 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकारें अपील दायर करने में जान-बूझकर देरी करती हैं, क्योंकि इन्हें अदालतें सैरगाह नजर आती हैं।


सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने पिछले दिनों मध्य प्रदेश सरकार की एक विशेष अनुमति याचिका खारिज करते हुए उस पर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।

कोर्ट ने इस दौरान तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य सरकारें अपील दायर करने में जान-बूझकर देरी करती हैं, ताकि उन्हें यह कहने का बहाना मिल जाये कि याचिका खारिज हो गई।

खंडपीठ ने कहा कि निर्धारित अवधि (लिमिटेशन पीरियड) की अनदेखी करने वाली राज्य सरकारों के लिए सुप्रीम कोर्ट सैरगाह की जगह नहीं हो सकती कि जब मन में आया, चले आये।

कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारों को ‘न्यायिक वक्त बर्बाद करने को लेकर खामियाजा भुगतना चाहिए’ और इसकी कीमत जिम्मेदार अधिकारियों से वसूली जानी चाहिए।

मध्य प्रदेश सरकार की ओर से ‘भेरू लाल मामले’ में 663 दिनों की देरी से अपील दायर की गई थी।

वार्ता
नयी दिल्ली


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