राज्यसभा में विपक्ष के भारी विरोध और हंगामे के बीच पास हुआ कृषि बिल

Last Updated 20 Sep 2020 01:59:50 PM IST

राज्यसभा ने कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सरलीकरण) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को मंजूरी दी।


कृषि से जुड़े विधेयकों पर रविवार को राज्यसभा में चर्चा के दौरान विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया।

नारेबाजी करते विपक्षी दलों के सांसद उपसभापति के आसन तक पहुंच गए। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर उस वक्त विपक्ष के सवालों का जबाव दे रहे थे। हंगामे के चलते राज्यसभा की कार्यवाही कुछ देर के लिए बाधित रही।

इससे पहले उच्च सदन में केंद्रीय कृषि मंत्री द्वारा चर्चा के लिए लाए गए दो अहम विधेयक, कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक 2020 और कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 पर विपक्षी दलों के सांसदों ने पुरजोर विरोध करते हुए दोनों विधेयकों को किसानों के हितों के खिलाफ और कॉरपोरेट को फायदा दिलाने की दिशा में उठाया गया कदम करार दिया। दोनों विधेयकों को लोकसभा की मंजूरी मिल चुकी है।

सरकार द्वारा रविवार को राज्यसभा में तीन में से दो विवादास्पद कृषि विधेयकों को पेश करने के बाद उच्च सदन में उस समय हंगामा हुआ, जब वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के एक सदस्य ने विपक्षी कांग्रेस पार्टी के लिए 'दलाल' शब्द का इस्तेमाल कर दिया।

सदन में बोलते हुए वाईएसआरसीपी के सांसद वीवी रेड्डी ने कहा कि कांग्रेस के पास इन विधेयकों का विरोध करने का कोई कारण नहीं है। उन्होंने कांग्रेस को 'दलालों की पार्टी' कहा।

इस टिप्पणी से पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस सदस्य आनंद शर्मा भड़क उठे और उन्होंने रेड्डी से माफी की मांग की।

कांग्रेस ने विवादास्पद विधेयकों को किसानों के लिए 'मौत का वारंट' कहा।

कांग्रेस सदस्य प्रताप सिंह बाजवा, जो पंजाब से आते हैं और बिल के सबसे मुखर विरोधियों में से एक हैं, ने कहा, "हम किसानों के इन मौत के वारंट पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे। कृषि बाजार एक राज्य का विषय है।"

उन्होंने लोकसभा द्वारा पारित विधेयकों के समय का मुद्दा भी उठाया, जिसमें कहा गया था कि जब भारत कोरोनोवायरस महामारी और एलएसी पर तनाव का सामना कर रहा है, तब बिल लाने की जरूरत समझ से परे है।

इस बीच, माकपा सांसद के.के. रागेश ने विधेयकों को 'कॉर्पोरेट की स्वतंत्रता' कहा। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को हमारे कॉर्पोरेट की दया पर छोड़ रही है। यह किसानों की नहीं बल्कि कॉर्पोरेट की आजादी है।

इससे पहले, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020 और कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 प्रस्तावित किया। उच्च सदन में उपस्थित होने के लिए भाजपा ने अपने सभी सदस्यों को 3-लाइन का व्हिप जारी किया था।
 

आईएएनएस/भाषा
नई दिल्ली


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