सहारा के विरुद्ध नेटफ्लिक्स की याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने नेटफ्लिक्स द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) खारिज कर दी। याचिका में बिहार के अररिया की सिविल अदालत के 28 अगस्त के निर्णय को चुनौती दी गई थी।
![]() सहारा के विरुद्ध नेटफ्लिक्स की याचिका खारिज |
अररिया की दीवानी अदालत ने नेटफ्लिक्स और उसके निर्माताओं, निदेशकों, कर्मचारियों, अधिकारियों तथा अन्य सहयोगियों पर रोक लगा दी थी कि वे ‘बैड ब्वॉय बिलेनियर्स’ सीरीज व प्रोमो को किसी भी माध्यम अथवा तकनीक से जनता में जारी, प्रेषित, वितरित, प्रदर्शित, मंचित या सूचित नहीं करें।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सिविल कोर्ट के फैसले को सीधे शीर्ष अदालत में नहीं दी जा सकती चुनौती
चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे, जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एएस बोपन्ना तथा जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन की बेंच ने नेटफ्लिक्स को राहत के लिए उपयुक्त फोरम का रुख करने के लिए कहा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिविल कोर्ट के फैसले को सीधे शीर्ष अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती। नेटफ्लिक्स ने एक ट्रांसफर पिटीशन भी दायर की है, जिसमें अदालत ने नोटिस जारी किया है।
सहारा समूह इकाई और सहारा के सेक्टर मैनेजर ने अररिया की जिला अदालत में इनजंक्शन सूट दायर किया था कि नेटफ्लिक्स को वेब सीरीज जारी करने से रोका जाए, जो उनके चेयरमैन और व्यावसायिक इकाइयों के विरुद्ध है। यह न केवल मानहानि करती है, बल्कि उनकी कम्पनी की निजता और ट्रेडमार्क्स को ठेस पहुंचाती है। सहारा ने भी नेटफ्लिक्स और उसके निदेशकों-अभिषेक नाग, रेजिनाल्ड शॉन टामसन, नेहा सिन्हा और निर्माताओं- निक रीड, रेवा शर्मा, इकबाल किदवई के खिलाफ सूचना तकनीक अधिनियम 2000, भारतीय दंड संहिता तथा ट्रेडमार्क्स एक्ट के अंर्तगत विभिन्न आपराधिक जुर्म का हवाला देते हुए आपराधिक शिकायत दर्ज कराई है।
मजिस्ट्रेट ने उनकी शिकायत पर अपराधों का संज्ञान लिया और गवाहों के बयान दर्ज कराए हैं। मजिस्ट्रेट से अनुरोध किया गया है कि आपराधिक शिकायत और गवाहों के बयान के आधार पर नेटफ्लिक्स के अधिकारियों के खिलाफ समन जारी किए जाएं।
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