पैतृक संपत्ति पर बेटी का बेटे के बराबर हक: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दूरगामी परिणाम वाले अपने फैसले में कहा कि हिंदू अविभाजित परिवार की पैतृक संपत्ति में बेटी का भी बेटे की तरह समान अधिकार होगा।
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) |
साथ ही कोर्ट ने कहा कि भले ही हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम 2005 के लागू होने के पहले ही उसके पिता की मृत्यु क्यों न हो गई हो।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने हिंदू उत्तराधिकार कानून में 2005 में किए गए संशोधन की व्याख्या करते हुए कहा कि यदि कानून संशोधन से पहले भी किसी पिता की मृत्यु हो गई हो तब भी उसकी बेटियों को पिता की संपत्ति में बराबर हिस्सा मिलेगा।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने अपने फैसले में कहा कि एक बेटी जीवन भर के लिए प्यारी बेटी होती है। इसीलिए उसे पिता की संपत्ति में पूरा अधिकार है।
उन्होंने कहा, "वन्स ए डॉटर, ऑलवेज ए डॉटर।"
उल्लेखनीय है कि 2005 में हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 में संशोधन किया गया था। इसके तहत पैतृक संपत्ति में बेटियों को बेटों के बराबर हिस्सा देने की बात कही गई थी। श्रेणी-एक की कानूनी वारिस होने के नाते संपत्ति पर बेटी का बेटे जितना हक है। शादी से इसका कोई लेना-देना नहीं है। इसकी व्याख्या की मांग की गई थी कि क्या संशोधन पूर्वप्रभावी होगा या नहीं।
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