भारत अपने कुछ एफटीए की समीक्षा कर सकता है

Last Updated 22 Jul 2020 10:01:23 PM IST

भारत सरकार ने संकेत दिया है कि भारत आर्थिक रूप से वांछित परिणाम नहीं देने वाले अपने कुछ मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) की समीक्षा कर सकता है।


विदेश मंत्री एस जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक समाचार चैनल पर भूराजनैतिक स्थिति पर चर्चा के दौरान कहा कि भारत ने विभिन्न देशों के साथ बीते वर्षों में एफटीए किए हैं जिनसे देश को अपनी क्षमताओं के निर्माण के मामले में अर्थव्यवस्था के लिए कोई खास लाभ नहीं हुआ है।

मुक्त व्यापार समझौता उन देशों के बीच एक तरजीही व्यवस्था है जिसमें सदस्य देश अपने स्वयं के बीच के व्यापार के टैरिफ को कम करते हैं जबकि गैर सदस्य देशों के साथ अपनी टैरिफ दरों को बनाए रखते हैं।

वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, भारत ने श्रीलंका (1998), अफगानिस्तान (2003), थाईलैंड (2004), सिंगापुर (2005), भूटान (2006), नेपाल (2009), दक्षिण कोरिया (2009), मलेशिया (2011) और जापान (2011) के साथ एफटीए हैं।

जयशंकर ने चर्चा के दौरान कहा, "अर्थव्यवस्था की स्थिति को देखें, विनिर्माण की स्थिति को देखें..फिर मेरी आखों से आंख मिलाकर कहें कि हां, इन एफटीए ने मुझे अच्छी तरह से सेवा दी है। आप ऐसा नहीं कह पाएंगे।"

हालांकि उन्होंने तुरंत ही यह भी जोड़ा कि सभी एफटीए एक जैसे नहीं हैं। मंत्री ने कहा कि दुनिया से संबंध बनाए रखने के जो तरीके हैं, वे जरूरी नहीं कि एफटीए केंद्रित हों।

उन्होंने कहा, "कोविड-19 के बाद दुनिया एक अधिक संरक्षणवादी अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रही है। या तो आप खेल में हैं या आप खेल में नहीं हैं..मैं कहूंगा कि व्यापक सावधानी का युग और बहुपक्षवाद पर बहुत अधिक निर्भरता, वह युग एक निश्चित सीमा तक हमारे पीछे चला गया है।"

जयशंकर ने कहा, "हमें और अधिक बाहर कदम रखना होगा, हमें और अधिक आश्वस्त होना होगा, हमें अपने हितों को बेहतर ढंग से स्पष्ट करना होगा, हमें जोखिम लेने की आवश्यकता है क्योंकि व्यवसाय या बैंकिंग जैसे जोखिमों को उठाए बिना आप आगे नहीं बढ़ सकते। यह वे विकल्प हैं जिन्हें हमें चुनना है और मुझे नहीं लगता कि इनसे बचने का कोई रास्ता है।"

उन्होंने भारत के पड़ोस को 'जटिल' बताते हुए कहा कि भारत अक्सर 'पंचिंग बैग' की तरह होता है। उन्होंने कहा कि संरचनात्मक संबंधों का निर्माण देशों की घरेलू राजनीति से पैदा हुई अस्थिरता की समस्या का समाधान कर सकता है।

विदेश मंत्री ने कहा, "अगर हमें अंतर्राष्ट्रीय स्थिति का लाभ उठाकर आगे बढ़ना है तो अवसरों का फायदा उठाना होगा।"

आईएएनएस
नई दिल्ली


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