मेक इन इंडिया के जरिए देंगे चीन को जवाब : अंगड़ी

Last Updated 05 Jul 2020 02:42:57 AM IST

देश की प्रगति में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इस दिशा में भारतीय रेलवे अहम भूमिका निभा रहा है।


रेल राज्यमंत्री सुरेश अंगड़ी से सहारा न्यूज नेटवर्क के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं एडिटर इन चीफ उपेन्द्र राय की खास बातचीत

रेल यातायात को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए कई बड़ी परियोजनाओं पर काम चल रहा है। आने वाले दिनों में यात्रियों को क्या-क्या नई सुविधाएं मिलेंगी और इससे देश की अर्थव्यवस्था कैसे आगे बढ़ेगी, इनसे जुड़े तमाम मुद्दों पर रेल राज्यमंत्री सुरेश अंगड़ी से सहारा न्यूज नेटवर्क के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं एडिटर इन चीफ उपेन्द्र राय ने विशेष बातचीत की। प्रस्तुत है विस्तृत बातचीत :

अंगड़ी साहब सबसे पहले आपको इस बात के लिए बधाई कि इंडियन रेलवे ने देश में पहली बार पटरी पर दो किलोमीटर लंबी सुपर एनाकोंडा रेल को बढ़ाकर एक नया रिकार्ड बनाया है। जाहिर सी बात है कि माल से लदी हुई 117 वैगन वाली इस मालगाड़ी का पटरी पर दौड़ना इंडियन रेलवे के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। आखिर इस ट्रेन की शुरु आत करने के पीछे रेलवे की क्या योजना है और भविष्य में इस तरह की कितनी और ट्रेनें चलाने की दिशा में काम हो रहा है?
इस परियोजना के पीछे हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की सोच है। उन्होंने भारत को पांच ट्रिलियन की इकोनामी बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए 130 करोड़ लोग प्रतिबद्ध हैं। इसके लिए मैं रेलवे कर्मचारियों को खासतौर पर बहुत बधाई देता हूं। इसका श्रेय हमारे यहां 24 घंटे काम करने वाले कर्मचारियों को जाना चाहिए। प्रधानमंत्री और हमारे रेल मंत्री पीयूष गोयल जी के सतत मार्गदशर्न से हम ये कर पा रहे हैं इसलिए इसका श्रेय उन्हें भी जाता है। उनकी योजना को पूरा करने के लिए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय और रेलवे मंत्रालय सतत प्रयास कर रहे हैं।

भारत-चीन सीमा विवाद के बाद पूरे देश में चीनी सामान के बहिष्कार को लेकर बहस जारी है। हाल ही में भारतीय रेलवे ने चीनी कंपनी के साथ 473 करोड़ रु पए का करार खत्म किया है। इस प्रोजेक्ट से कानपुर और दीनदयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन के बीच 417 किमी. की सिग्नलिंग और टेली कम्युनिकेशन का काम होना था। अब इस काम को कैसे पूरा किया जाएगा?
प्रधानमंत्री की सोच है कि जो हमारे साथ जैसा बर्ताव करेगा उसके साथ उसी तरह का व्यवहार किया जाएगा। जाहिर है जो हमारे साथ दोस्ती करेगा उसे निभाएंगे और जो बुरी नजर से देखेगा उसे उसी की भाषा में जवाब देंगे। इसके लिए मोदी जी पूरी तरह से तैयार हैं। मेक इन इंडिया को तरजीह देते हुए और भारत को बुरी नजर से देखने वालों को सबक सिखाने के लिए हमने यह कदम उठाया। मेक इन इंडिया को ध्यान में रखते हुए हम इस परियोजना पर जल्द काम शुरू करेंगे।

जाहिर सी बात है कि प्रधानमंत्री जी या फिर पीयूष गोयल जी से ये वार्ता होती होगी कि जो काम तत्काल प्रभाव से रेलवे के लिए चीन की कंपनी कर रही थी और उस कांट्रैक्ट को खत्म कर दिया गया तो वह काम देशहित में कराना जरूरी है। रातों रात वह काम मेक इन इंडिया से तो करा नहीं सकते तो क्या उन ठेकों को दूसरे देशों को देने की योजना बना रहे हैं या उन्हें फिलहाल कुछ समय के लिए होल्ड रखा जाएगा?
देखिए जब देश में कोरोना शुरू  हुआ था तो यहां एक भी पीपीई किट नहीं बनती थी। हम दूसरे देशों पर निर्भर थे लेकिन प्रधानमंत्री की अपील के बाद लोग गांव स्तर तक मास्क और सैनिटाइजर तैयार करके उसे एक्सपोर्ट करने की स्थिति में आ गए हैं। ऐसे ही हमारे देश के इंजीनियर यह काम करने में जुट जाएंगे तो यह 470 करोड़ रुपए का ठेका कोई बहुत बड़ा काम नहीं है। प्रधानमंत्री जी, पीयूष गोयल जी और मेरे मार्गदर्शन में आने वाले दिनों में यह काम तेजी से पूरा किया जाएगा। भारत आने वाले दिनों में दुनिया का एक सशक्त एक्सपोर्टर बनेगा। चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। हमारे लोग काम में लगे हुए हैं।

कोरोना के चलते रेल यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ है। देश के इतिहास में शायद यह पहला मौका रहा जब रेलवे का परिचालन पूरी तरह से ठप रहा। हालांकि बाद में कुछ ट्रेनें चलाई गई लेकिन अभी भी ट्रेनें पूरी तरह से पटरी पर नहीं दौड़ रही हैं। ऐसे में रेल यातायात कब तक बहाल होगा?
 देखिए प्रधानमंत्री के मार्गदशर्न में 67 लाख श्रमिक भाई-बहनों को घर पहुंचाया गया है। इस दौरान उनके खाने-पीने की पूरी व्यवस्था की गई। उन्हें मनरेगा में काम दिया है। ट्रेनों का सुचारु रूप से परिचालन करने के लिए होम मिनिस्ट्री, हेल्थ मिनिस्ट्री और अलग-अलग राज्यों की गाइडलाइन आने के बाद विचार-विमर्श किया जाएगा। जैसे ही सहमति बनेगी, परिचालन बहाल कर दिया जाएगा।

जो राज्य सरकारें स्पेशल ट्रेन डिमांड कर रही हैं उसके हिसाब से केंद्र उन्हें दे रहा है। मेरा कहना है कि रेलवे जो अपना टाइम टेबल छापता है, करीब 19000 से ज्यादा ट्रेन परिचालन में इस्तेमाल होती हैं। इस समय रेगुलर परिचालन जो टाइम टेबल के हिसाब से होता है वह बंद है, उसको चालू करने के बारे में क्या योजना है?
प्रधानमंत्री पहले ही बोल चुके हैं कि ये बीमारी नवम्बर तक रहेगी। सितम्बर तक हमारा थोड़ा ज्यादा प्रयास रहेगा। जिस राज्य में कोरोना के खिलाफ अच्छा काम हो रहा है।  वे राज्य आग्रह करेंगे तो वहां रेल परिचालन शुरू कर दिया जाएगा। तमिलनाडु, महाराष्ट्र और गुजरात की स्थिति ठीक नहीं है। पहले लोगों की सुरक्षा जरूरी है।

कोरोना संकट की वजह से रेलवे को काफी नुकसान हुआ है जबकि यह पहले से ही घाटे में चल रहा है। इस संकट के चलते रेलवे को लगभग कितना नुकसान हुआ है और इससे निपटने के लिए क्या सरकार कुछ योजना बना रही है?
प्रधानमंत्री जी ने 20 लाख करोड़ रुपए का पैकेज जारी किया है। इसमें से कुछ हिस्सा रेलवे को भी मिल सकता है। यदि भारत के 130 करोड़ लोगों ने ठीक से काम किया तो हमारी इंडस्ट्री बच जाएगी। इकोनॉमी बढ़ जाएगी और जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई हो जाएगी। इस दिशा में सभी लोग लगे हुए हैं। मीडिया भी इस दिशा में काम कर रहा है। लोगों को समझाने में आपका भी बहुत बड़ा योगदान है। यदि आपने उद्योग जगत और श्रमिकों को मेक इन इंडिया के महत्व को सही से समझा दिया तो देश प्रगति की राह पर आगे बढ़ने लगेगा।

कोरोना की वजह से निजी और सरकारी सेक्टर बेहाल हैं। रेलवे एकमात्र ऐसा विभाग है जो अलग-अलग जोन के लिए भर्तियां निकाल रहा है। संकट के वक्त में रेलवे की ये पहल सराहनीय है। फिलहाल रेलवे में कितनी वेकैंसी हैं और उन्हें कब तक भरा जाएगा?
भर्तियां जोन के आधार पर होती हैं। इसके लिए आरआरबी और आरआरसी के जरिए परीक्षा होती है। इसमें पास होने वाले युवाओं को काम दिया जाता है। इसी के साथ मैं सभी देशवासियों से विनती करता हूं कि सिर्फ  सरकारी नौकरी ढूंढने के बजाय जॉब क्रिएटर बनें। जॉब सीकर नहीं। हमारे देश में अब पढ़ाई के बाद नौकरी के पीछे भागना जरूरी नहीं है बल्कि काम सीखने की जरूरत है। कोई भी काम छोटा नहीं होता। जैसे आप लोग टीवी वाले हैं, आपके यहां भी सभी का काम अलग-अलग होता है। देश में अवसर बहुत हैं। मैं सभी से विनती करता हूं कि जो भी स्किल आपको पंसद हो, उसके लिए केंद्र और राज्य सरकारें संसाधन मुहैया कराएंगी। हाल ही में गडकरी जी ने पांच साल में पांच करोड़ युवकों को रोजगार देने का ऐलान किया है। अगर देश के सभी लोग इसमें जुट जाएंगे तो प्रधानमंत्री के पांच ट्रिलियन इकोनॉमी के सपने को हम जरूर पूरा करेंगे।

कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों के बीच रेलवे ने चार राज्यों में बेड की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 204 कोचों की तैनाती की है। साथ ही जरूरत पड़ने पर 5000 और कोच तैयार करने की भी बात सामने आई है। क्या रेलवे यह सब अपने खर्च पर कर रहा है, अगर नहीं तो फिर इसका खर्च कौन उठा रहा है?
देखिए, गृह मंत्री अमित शाह जी ने कहा है कि जिन गांवों में अस्पताल नहीं हैं या स्वास्थ्य विभाग जरूरत पूरी नहीं कर पाता तो वहां रेलवे की मदद ली जाएगी। इसके लिए 5000 कोच तैयार किए हैं। जिस भी प्रदेश में जरूरत होगी वहां लोगों को आइसोलेशन में रखने के लिए यह व्यवस्था की गई है। इसका खर्च केंद्र सरकार देगी और अगर उसने नहीं दिया तो रेलवे उसका खर्च उठाएगी। हमारे देश के लोगों के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा जरूरी है। हम इसी दिशा में काम कर रहे हैं। लोगों की सेवा करने में हमारे सभी रेलवे कर्मचारी काम कर रहे हैं उन्हें मैं बधाई देता हूं।

बिल्कुल, सभी बधाई के पात्र हैं। बहुत सराहनीय काम हुआ है। प्रवासी श्रमिकों को उनके घर पहुंचाना एक बड़ा टास्क था जो रेलवे ने बखूबी किया। इसके लिए अभी तक टोटल कितनी ट्रेनें चलाई गई और कितने मजदूरों को स्पेशल ट्रेन के जरिए घर पहुंचा चुके हैं?
रेलवे ने 4000 से ज्यादा ट्रेनें चलाकर 67 लाख श्रमिकों को घर पहुंचाया है। इस दरम्यान स्वास्थ्य सुरक्षा संबंधी सभी मानकों का पूरा खयाल रखा गया। हालांकि एक-दो जगह कुछ दिक्कतें आई होंगी। रेलवे ने जिम्मेदारी के साथ श्रमिकों को उनके राज्य में पहुंचाने का काम किया है। संबंधित राज्यों के अलग-अलग विभागों ने स्टेशन से उन लोगों को गंतव्य तक पहुंचाया। इसका पूरा श्रेय प्रधानमंत्री जी को जाना चाहिए। वह गांव और गरीब के बारे में सोचते हैं। उन्होंने रेलवे को निर्देश दिया था कि आपको कितनी भी दिक्कते आएं लेकिन सभी प्रवासी घर पहुंचने चाहिए। पीयूष गोयल जी ने भी कहा कि हमें गरीबों के लिए काम करने का अवसर मिला है। इसके बाद रेलवे बोर्ड के साथ हम दोनों ने मिलकर इस काम को पूरा किया।

प्रवासी मजदूरों को लेकर पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र सरकार की ओर से रेलवे पर कई आरोप लगाए गए। ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर संवादहीनता के लिए आप किसे जिम्मेदार मानते हैं?
इस मामले में पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र सियासत कर रहे थे। मैंने महाराष्ट्र और बंगाल सरकार से विनती की कि यह सियासत का समय नहीं है। अमित शाह जी ने भी अपील की। पीयूष गोयल जी के नेतृत्व में हमने राजनीति से ऊपर उठते हुए महाराष्ट्र में सेवाएं दीं। बाद में बंगाल में भी सेवाएं दी गई। हमारे श्रमिक भाइयों का जीवन ज्यादा जरूरी था लेकिन उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी ने राजनीति की, राहुल गांधी ने राजनीति की। यह देश का दुर्भाग्य है कि 100 साल पुरानी पार्टी के लोग ऐसे समय में राजनीति कर रहे हैं। बीजेपी के एक-एक कार्यकर्ता ने घर-घर जाकर लोगों की सेवा की। इस पर मुझे गर्व है।

महामारी के मद्देनजर रेलवे में सफर को लेकर नियमों में कई बदलाव किए गए हैं। इस बारे में जरा विस्तार से बताएं कि अब किस तरह की एसओपी बन रही है। इसे जारी रखने का जो फैसला किया गया है उसमें कब तक बदलाव आएगा और एक सामान्य पैसेंजर को रेलवे में बैठकर जाने के लिए क्या-क्या ध्यान रखना होगा?
आने वाले समय में कोरोना की वजह से सभी की लाइफस्टाइल बदल जाएगी। अभी तक लोग सोचते थे कि सिर्फ  पैसा कमाने से जिंदगी बन जाती है लेकिन कोरोना आने के बाद लोगों को पता चल गया है कि जिंदगी सबसे जरूरी है। मुझे विदेशों से कई लोगों ने फोन किया कि हमें कुछ भी करके वापस भारत बुला लो। इसके बाद मैंने उनसे पूछा कि आप लोग वहां क्यों गए थे। सभी का जवाब था कि पैसे के लिए। लेकिन अब उन्हें वहां उतनी सुविधा नहीं मिल रही इसलिए वे भारत आकर सुरक्षित रहना चाहते हैं। तब सरकार ने इस दिशा में पहल की। अब रेलवे में भी हमने कई व्यवस्थाएं की हैं। पहले रेलवे स्टेशन पर एक व्यक्ति को छोड़ने 10 लोग आते थे लेकिन अब हमें सोशल डिस्टेंसिंग भी मैंटेन करनी है। जाने से पहले यात्रियों की टेस्टिंग की जाएगी और संदिग्ध को डाक्टर के पास भेजा जाएगा। पूरी तरह से स्वस्थ व्यक्ति को ही रेल में यात्रा की अनुमति दी जाएगी। मैंने लोगों से विनती की है कि जैसे आप एयरपोर्ट पर जाते हैं वैसे ही अब रेलवे में जाएं। जैसे एयरपोर्ट के लिए एक-डेढ़ घंटा पहले जाते हैं वैसे ही यहां भी समय से पहले आकर टिकट चेक कराएं, सोशल डिस्टेंसिंग मैंटेन करते हुए गंतव्य पर जाएं।

बड़ी संख्या में ट्रेनों के रद्द होने या कई ट्रेनों के स्टेशनों पर न रुकने की वजह से बड़े पैमाने पर टिकट रिफंड हो रहे हैं। ऐसे में बल्क रिफंड को लेकर क्या व्यवस्था की गई है, यात्रियों को उनका पैसा कितने दिनों में वापस मिल पा रहा है?
अगर टिकट रद्द हो जाता है तो हमने व्यवस्था की हुई है कि उनका पैसा सीधे उनके खाते में चला जाता है। आज टेक्नोलाजी बहुत अच्छी आ गई है। आने वाले समय में इसका उपयोग करके हमारे यात्री अपने घर सुरक्षित पहुंच सकते हैं। रेलवे की जिम्मेदारी उन्हें उनके घर सुरक्षित पहुंचाना है। पीयूष गोयल जी ने भी कई बार मीटिंग के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिए कि जिन यात्रियों का पैसा वापस करना है वह जल्द किया जाएगा।

भारतीय रेलवे स्टेशनों को संवारने का काम तेजी से कर रहा है। बताया जा रहा है कि रेलवे इसके लिए पीपीपी मॉडल पर काम कर रहा है। अभी तक कितने स्टेशनों को नए फील और लुक के साथ संवारा गया है और आगे कितने और स्टेशनों को नया लुक दिया जाएगा?
अभी हमने 50 रेलवे स्टेशन को पीपीपी मॉडल पर दिया है। आज की पीढ़ी की ये सोच है कि हमारे रेलवे स्टेशन भी अच्छे होने चाहिए, ये गंदे नहीं दिखने चाहिए। हमारे इंजीनियर और रेलवे कर्मचारी इस काम में जुट गए हैं। आने वाले दिनों में हम खूबसूरत स्टेशन बनाकर दुनिया के बेहतर रेलवे स्टेशनों से प्रतिस्पर्धा करेंगे। इसके अलावा हमारी मालगाड़ी भी कम से कम 50 किमी प्रति घंटा की गति से चलनी चाहिए। पहले यह 20 किमी की गति से जाती थीं। गति बढ़ने से हमारी इंटस्ट्री को फायदा होगा। हमारी मालगाड़ी की गति कम थी जिससे चार-पांच दिन लग जाते थे, गंतव्य तक पहुंचने में और देरी होती थी। उद्यमियों को कम खर्च में निर्यात करने में आसानी हो उस दिशा में हम काम कर रहे हैं। डेडीकेटेड फ्रेट कारिडोर के पूरा होने के बाद इसमें बहुत बड़ा सकारात्मक बदलाव आएगा। प्रधानमंत्री की सोच है कि हमारे शिपयार्ड, रोड को और रेलवे को कनेक्ट करके लोगों को काम करने के लिए बेहतर अवसर दिया जाएगा। जब अटल जी प्रधानमंत्री थे तो देश में सड़कों का जाल बिछाया। अब मोदी जी रेलवे को सभी मार्गों से जोड़ने का काम कर रहे हैं।

आमतौर पर रेलवे स्टेशन पर गंदगी का आलम देखने को मिलता है। इस वजह से खासकर विदेशी सैलानियों के मन में अच्छा संदेश नहीं जाता है। हालांकि पहले से हालात काफी सुधरे भी हैं। ऐसे में हम ये जानना चाहेंगे कि वह वक्त कब आएगा जब हम स्टेशन पर जाएं तो विदेशों जैसा चमचमाता और फाइव स्टार जैसा देखने को मिले?
इस दिशा में काम शुरू हो गया है। गुजरात में यह काफी आगे बढ़ रहा है। एक जमाना था जब रेलवे स्टेशन पर जाने पर हम नाक बंद कर लेते थे। मोदी जी ने स्वच्छता मिशन को आगे बढ़ाने के लिए खुद झाडू उठाई है। जब उन्होंने ऐसा किया तो पूरा देश स्वच्छता में लग गया। रेलवे को भी निर्देश हैं कि स्वच्छता को प्राथमिकता दी जाए। इससे बदलाव देखने को मिल रहा है। अब युवा पीढ़ी रेलवे स्टेशनों पर सेल्फी लेते दिख जाएगी। हम कह सकते हैं कि इस ओर हमारा पूरा ध्यान है। आप किसी भी स्टेशन पर जाएंगे तो वह साफ-सुथरा दिखेगा। आप दिल्ली के रेलवे स्टेशन जाकर देख सकते हैं। इसके लिए हम मोदी जी को पूरा श्रेय देते हैं। आने वाले समय में आप देखेंगे कि हमारे रेलवे स्टेशन अंतरराष्ट्रीय स्तर के होंगे।

हाल ही में रेलवे ने 12,000 हार्स पावर का पहला स्वदेशी इंजन तैयार किया है। यह कारनामा करने वाला भारत दुनिया का छठा देश बन गया है। रेलवे के लिए यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। ऐसे इंजन का इस्तेमाल माल ढ़ुलाई के लिए ही होगा या इसका यात्री ट्रेनों में भी उपयोग किया जाएगा?
देखिए, हमारा रेलवे बोर्ड है, टेक्नीकल टीम है। जहां-जहां भी आवश्यकता पड़ेगी हम इसे इस्तेमाल में लाएंगे। हम अपनी टीम के इंजीनियरों का अभिनंदन करते हैं जिन्होंने मिलकर 12,000 हार्स पावर का इंजन बनाया है। हमारी यह टीम काफी सक्षम है। जहां भी काबिलियत दिखाने की जरूरत पड़ती है ये लोग बहुत उम्दा काम करते हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का रेलवे को लेकर विजन क्या है?
देश में पहली बार किसान रेल शुरू करके किसानों की फसल को बाजार तक पहुंचाने पर काम हो रहा है। इसका श्रेय मोदी जी के विजन को जाता है। गरीब, युवा और उद्योग के लिए रेलवे कैसे और उपयोगी हो इसके लिए काम हो रहा है। हमारा काम सिर्फ  यात्रियों को लाना-ले जाना ही नहीं है। मालगाड़ी को और आधुनिक बनाकर कारोबारियों को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिले, इस पर भी रेलवे पूरा ध्यान दे रहा है। देश की आर्थिक उन्नति और निर्यात को बढ़ावा मिले इसके लिए भी रेलवे सतत प्रयत्नशील है।

प्रधानमंत्री जी में आप क्या विशेषता पाते हैं, वह इतने खास क्यों हैं?
प्रधानमंत्री की सोच है कि देश के गरीब से गरीब आदमी के जीवन स्तर में सुधार आए और वह आत्मनिर्भर बने। लोग सशक्त हों और गर्व से कहें कि हम भारतीय हैं। यह अवसर मोदी जी ने दिया है। हमारे कर्नाटक के एक गरीब आदमी का जिक्र जब प्रधानमंत्री मन की बात कार्यक्रम में करते हैं तो उसे भी लगता है कि सरकार हमारी है और हमारा ख्याल रखती है।

आत्मनिर्भर भारत अभियान कितना सफल होगा, आप क्या मानते हैं?
यह जरूर सफल होगा। इस अभियान को सफल बनाने के लिए लोग तैयार हैं।  प्रधानमंत्री जनता से खुद को कनेक्ट करते हैं। राष्ट्र के नाम संबोधन में वह सबको बराबर स्थान देते हुए कोरोना काल में कानून का पालन करने के लिए कहते हैं कि प्रधानमंत्री हों या गांव का प्रधान ये सब पर लागू होता है। देश में उन्नति हो और इसके लिए वह पूरे मन से लगे रहते हैं। यह विशेषता प्रधानमंत्री जी में है।



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