उप्र सरकार के पायलट पर गिरी गाज
नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने उत्तर प्रदेश सरकार के पायलट कैप्टन प्रज्ञेश मिश्रा का लाइसेंस छह माह के लिए निलंबित कर दिया है। उनके खिलाफ यह कार्रवाई दस जून 2020 को की गई है।
![]() उत्तर प्रदेश सरकार के पायलट कैप्टन प्रज्ञेश मिश्रा |
डीजीसीए के मुताबिक 25 अक्टूबर 2019 को लखनऊ लोकल उड़ान के दौरान कैप्टन प्रज्ञेश मिश्रा ने पायलट इन कमांड की अनुमति के बिना ही आरटी कम्युनिकेशन को अपने हाथों में ले लिया जबकि एयरक्राफ्ट में ऐसी कोई आपात स्थिति नहीं थी। कैप्टन प्रज्ञेश मिश्रा ने जिस स्थिति को लेकर दखलंदाजी की थी उसे चालक दल एटीसी से बात कर पहले ही सुलझा चुका था। डीजीसीए के सूत्रों के अनुसार कैप्टन मिश्रा के इस कृत्य की वजह से विमान की सुरक्षा को भारी खतरा उत्पन्न हो गया था। जिस समय यह घटना हुई उस समय उत्तर प्रदेश सरकार का यह विमान 10,000 फुट के नीचे उड़ रहा था और ‘ऑटो पायलट’ मोड में नहीं था। सूत्रों का कहना है कि ऐसा ही प्रकरण 2018 की जेट एयरवेज की लंदन-मुंबई फ्लाइट में भी हुआ था, जिसमें दोनों पायलट बीच यात्रा के कॉकपिट से बाहर निकल आए थे। उस फ्लाइट की जांच के पश्चात पायलट और को पायलट को 5 वर्ष के लिए निलंबित किया गया था।
डीजीसीए के सूत्रों का कहना है कि कैप्टन मिश्रा पर पूर्व में भी इसी तरह की गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगते रहे हैं।
उन पर यह भी आरोप लगा है कि प्रदेश सरकार के नागरिक उड्डयन विभाग में बिना वरिष्ठतम पायलट हुए ही उन्होंने स्वयं को इस विभाग का न सिर्फ ऑपरेशन मैनेजर बनाए रखा बल्कि सभी नियमों को दर-किनार कर दो तरह के विमानों (हेलीकाप्टर व वायुयान) को उड़ाने का काम कई वर्षो तक किया। कैप्टन मिश्रा पर यह भी आरोप है कि इन्होंने अपने बारे में सही जानकारी छुपाकर अपने लिए ‘एयरपोर्ट एंट्री पास’ भी हासिल किया था। इसकी शिकायत नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो के महानिदेशक से की और जांच के बाद सभी आरोपों को सही पाये जाने पर इसका ‘एयरपोर्ट एंट्री पास’ भी हाल ही में रद्द किया गया। सूत्रों के अनुसार कैप्टन मिश्रा पर आय से अधिक संपत्ति के भी आरोप भी है, जिसकी जांच चल रही है। प्रवर्तन निदेशालय ने भी मिश्रा के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में जांच को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र भेजकर सूचित किया है। प्रवर्तन निदेशालय ने यह पत्र 25 मई 2020 को लिखा है।
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