नुकसान की भरपाई के लिए मदद नहीं कर रहा केंद्र: बघेल
कोरोना संकट से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने कई बड़े उपाय किए हैं। इसके तहत राज्यों को वित्तीय मदद पहुंचाने के लिए कई पैकेज दिए गए हैं लेकिन कांग्रेस शासित राज्य पर्याप्त सहयोग नहीं मिलने का आरोप लगा रहे हैं।
सहारा न्यूज नेटवर्क के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं एडिटर इन चीफ उपेन्द्र राय एवं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल |
कोरोना से निपटने की व्यवस्था और राज्य की माली हालत के बारे में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से सहारा न्यूज नेटवर्क के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं एडिटर इन चीफ उपेन्द्र राय ने विशेष बातचीत की। प्रस्तुत है विस्तृत बातचीत-
कोरोना संकट और लंबा लॉकडाउन‚ फिर अनलॉक की प्रक्रिया‚ आपने हालात को संभालने के लिए तेजी से कदम से उठाए। इस दौरान क्या–क्या परेशानियां सामने आई और आपने क्या–क्या कदम उठाए?
कोरोना संकट विदेश से आया और यह वैश्विक महामारी है। विदेश से आने वालों पर हमने शुरुआत से ही नजर रखी। एक से 13 मार्च तक जितने भी लोग बाहर से आए हमने उन्हें चिन्हित किया। उनके आंकड़े लिए कुछ लोगों के टेस्ट किए गए जिनमें से कुछ पॉजिटिव पाए गए। इसके अलावा तब्लीगी जमात की वजह से तेजी से केस बढ़े। वहीं कोटा से आने वाले छात्रों को भी हमने होम क्वारेंटाइन किया। कुछ लोग छिप भी गए थे उन्हें ढूंढने का काम भी किया गया। इसके बाद केंद्र सरकार ने मजदूरों के आने की अनुमति दी लेकिन रेल की पर्याप्त व्यवस्था नहीं की गई। सात लाख से ज्यादा मजदूर छत्तीसगढ़ में वापस आए। इनकी भी जांच करना और क्वारेंटाइन करना एक महत्वपूर्ण काम था। ढाई हजार कोरोना वायरस के मामले हमारे सामने आए। इनमें 830 पॉजिटिव पाए गए और 12 की अभी तक मृत्यु हुई है। हमने काफी मेहनत की और हमें इसमें सफलता मिली है।
इसका दूसरा पहलू आर्थिक है। हमने शुरुआत से ही ध्यान रखा। मनरेगा के तहत सबसे पहले मजदूरों को रोजगार देने वाला राज्य हमारा ही रहा है। एक समय सबसे ज्यादा मजदूरों को हमने इसमें काम दिया था। वहीं राजीव गांधी न्याय योजना के तहत हमने 10‚000 रुपए गरीबों के खाते में डाले। इसके तहत हमने 21 मई को राजीव जी की शहादत के दिन पहली किस्त भेजी। दूसरी किस्त उनके जन्मदिन पर हम उन लोगों के खाते में भेजेंगे। छत्तीसगढ़ में वन संपदा सबसे ज्यादा है। दुकानें बंद थीं। ऐसे में हमने स्व सहायता समूह के जरिए खरीदारी की। बड़ी तादाद में पैसा आदिवासियों के पास गया। हमने उनके सामान को खरीदा। हमारे 100 फीसद उद्योग 80 फीसद क्षमता से काम करते रहे।
कोरोना के कारण राज्य को कितना आर्थिक नुकसान हुआ और इसकी भरपाई करने के लिए आपकी क्या योजना है?
छत्तीसगढ़ एक उत्पादक राज्य है। हमें 1500 करोड़ रुपए का नुकसान हर महीने हो रहा है और केंद्र से कोई सहायता नहीं मिल रही है। हम लोन ले सकते हैं और हमें संविधान के अनुच्छेद के तहत इसका अधिकार भी है। हमने केंद्र सरकार से निवेदन किया था कि राज्य सरकारों को इस बार थोड़ा ज्यादा लोन दिया जाए लेकिन कोई सहयोग केंद्र से नहीं मिला। वहीं एमएसएमई के लिए भी हमने पैसे की मांग की। कहने के लिए 20 लाख करोड़ का पैकेज रखा गया है लेकिन किसी एक व्यक्ति को इस से अभी तक लाभ नहीं मिला।
आपने कहा था कि केंद्र सरकार ने बिना सोचे–समझे लॉकडाउन लागू कर दिया जिससे मजदूर‚ किसान‚ उद्योग और व्यापार ठप हो गए। इसके बाद पार्टी लाइन के मुताबिक आपने भी गरीब परिवारों को 10‚000 रुपए की तत्काल मदद देने और छह महीने तक 7500 रुपए की रकम देने की मांग की। इस बारे में क्या कहेंगे आप?
न्याय स्कीम से बहुत फर्क पड़ा है। 19 लाख किसानों को हमने यह पैसा दिया और 3000 ट्रैक्टर बिक गए। मोटरसाइकिल ट्रकों में भरकर आई और बिक गई। जब आप पैसा देते हैं तो लोगों के पास खरीदने की ताकत आती है। बाजार में खरीदारी करते हैं तो उद्योग और व्यापार चलता है। इसीलिए न्याय स्कीम कामयाब स्कीम है।
आप जमीन से जुड़े नेता हैं। आम लोगों के बीच‚ आम लोगों के संपर्क में रहे हैं। आपका अनुभव क्या कहता है‚ लॉकडाउन के दौरान आम लोगों को क्या–क्या परेशानियां हुई होंगी जो सरकार तक नहीं पहुंच पाई?
हमारी कोशिश यही है कि किसी को भी किसी किस्म की दिक्कत न हो। सब्जी के दाम बढ़े थे तो हमने मजदूरों की व्यवस्था की। ट्रांसपोर्ट के हालात को ठीक किया। मंडियों को चालू रखा। इसी तरह आटा कम न हो‚ इसके लिए हमने फ्लोर मिल चालू किए। राइस मिल हमारे यहां लगातार चलते रहे। इसी तरह अन्य प्लांट भी लगातार चलते रहे। बड़े उद्योग तो चल ही रहे थे। छोटे उद्योगों को भी हमने जल्दी–जल्दी शुरू किया। लॉकडाउन इसका समाधान नहीं था।
आपने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर छत्तीसगढ़ को ‘गरीब कल्याण रोजगार अभियान' में तत्काल शामिल करने का अनुरोध किया है। इस योजना में छत्तीसगढ़ के सभी जिलों को शामिल करने की मांग की गई है। आपको क्या उम्मीद है?
हमने पत्र लिखा था लेकिन इस पत्र का अभी तक कोई जवाब नहीं आया है। पूरे देश में 110 आकांक्षित जिले हैं जो सबसे ज्यादा पिछड़े जिलों की सूची में शामिल हैं। इनमें से 10 जिले छत्तीसगढ़ में आते हैं। हमें कम से कम इन्हीं जिलों के लिए सहायता मिल जाती तो बड़ी बात होती है। हमारे यहां बड़ा आदिवासी क्षेत्र भी आता है। 40 फीसद से ज्यादा लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करते हैं। ऐसे संकट काल में केंद्र सरकार से ऐसे असहयोग की अपेक्षा नहीं थी।
छत्तीसगढ़ एक ऐसा राज्य है जहां पर प्राकृतिक संसाधनों का खजाना है। आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए हमें अपने निर्यात को बढ़ाना है। यह भी कहा जा रहा है कि कोयले का निर्यात बढ़ाने पर काम किया जाएगा और कोयले का भंडार छत्तीसगढ़ में है। क्या इससे आपका राजस्व बढ़ेगा?
जब भाजपा विपक्ष में थी तब उसने नीलामी करने की बात कही थी। उसके बाद वह सत्ता में आई और लंबे समय तक रही लेकिन उन्होंने सिर्फ एक बार नीलामी की। उसके बाद विभिन्न राज्यों के विद्युत मंडलों को कोयला खदानें दे दीं। हमें 2300 से 3200 रुपए का जो प्रीमियम मिलना था वह महज 100 रुपए रह गया। इससे आने वाले 30 वर्षों में हमें 90 लाख करोड़ रुपए का नुकसान होगा। अब बिजली की खपत भी उतनी नहीं है जितनी पहले होती थी। बिजली की खपत एक चौथाई रह गई है। निश्चित तौर पर रेट और कम हो जाएगा। वहीं वन संपदा और महत्वपूर्ण जगहों की खदानों को भी दे दिया गया जिसके लिए हमने विरोध किया था। यहां एलीफेंट कॉरिडोर भी है और हमने कहा था कि इन जगहों को नहीं दिया जाना चाहिए।
पूर्व सीएम रमन सिंह ने आपको पत्र लिख कर किसानों से जुड़े विशेष अध्यादेश को लागू करने का आग्रह किया है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि पांच जून को केंद्र सरकार की ओर जारी किसान हितैषी अध्यादेश का पालन नहीं हो पा रहा है जिसमें किसानों को देशभर में कहीं भी अपनी फसल बेचने की छूट दी गई है।
हमारे यहां बहुत छोटी जमीन के किसान हैं जो दो से पांच एकड़ की जमीन पर खेती किसानी करते हैं। ये किसान अपनी फसलों को बेचने के लिए दूसरे राज्यों में तो जाएंगे नहीं। इन्हें अपनी ही मंडियों में फसल को बेचना है। जिस बात का जिक्र रमन सिंह कर रहे हैं उसका फायदा सिर्फ व्यापारियों को मिलेगा किसानों को नहीं। यह अध्यादेश किसानों के हित में नहीं है। पंजाब में भी इसे लेकर एक सर्वदलीय बैठक हुई है। हम भी सभी के साथ मिल बैठकर बात करेंगे और इसके बारे में केंद्र सरकार को लिखेंगे।
गोपालन‚ गोबर प्रबंधन और पर्यावरण सुरक्षा के लिए छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना की शुरुआत की गई है। इससे किसानों और पशुपालकों को किस तरह फायदा हो रहा है?
यह पूरे हिंदुस्तान में अपने आप में पहला और अनूठा प्रयोग है। एक समय था जब अर्थव्यवस्था का आधार किसान माने जाते थे‚ लेकिन अब खेती किसानी को घाटे का सौदा माना जाता है। वहीं आवारा पशु भी एक समस्या है जिन से सड़कों पर आए दिन एक्सीडेंट होते हैं और खेतों को भी खासा नुकसान होता है। इन्हीं सारी चीजों को ध्यान में रखते हुए हमने पशुपालन को पुनर्स्थापित करने के लिए योजना शुरू की है। अब हम गोबर खरीदेंगे जिससे कंपोस्ट बनाएंगे और भी कई अन्य काम किए जाएंगे। इससे लोगों को पैसा मिलेगा और वह मवेशियों को अपने घर में ही रखेंगे। लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा और पर्यावरण भी बचेगा। रासायनिक खादों का इस्तेमाल कम होगा। 21 जुलाई को हरेली त्योहार के बाद हम इसकी शुरुआत करेंगे। किस मूल्य पर गोबर खरीदना है‚ यह मंत्रिमंडल की बैठक के बाद हम तय करेंगे।
सियासत में आपकी छवि एक ईमानदार और अनुशासन प्रिय नेता की है। आप जो फैसले लेते हैं उस पर अमल भी कराते हैं। इस बारे में क्या कहेंगे आप?
पिछली सरकार में अधिकारियों की ही सरकार बन गई थी। मेरा यह कहना है कि चाहे अधिकारी हो या राजनेता हम सब जनता की सेवा के लिए हैं राज करने के लिए नहीं। जनता के हित की योजनाओं को सही तरीके से लागू करना हमारी जिम्मेदारी है। यदि आप कर पा रहे हैं तो ठीक नहीं तो कहीं और जाइए। ऋण माफी से लेकर तमाम योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने में हमने सफलता हासिल की। कोरोना काल में भी हमारे प्रशासन ने बहुत मुस्तैदी से काम किया है। कुल मिलाकर मिलजुल कर काम करने से ही प्रदेश का विकास होगा।
छत्तीसगढ़ हायर सेकेंडरी बोर्ड की 10वीं और 12वीं की परीक्षा के टॉपर छात्रों को आपने खुद फोन कर उन्हें शाबासी दी और उनका हौसला बढ़ाया। जब आपने टॉपर्स से बात की तो जाहिर है उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा होगा लेकिन बच्चों की खुशियों को बांटकर आपको कैसा लगा?
यह बेहद खुशी का लम्हा होता है। खासतौर पर यह जानकर कि सभी बच्चे जमीन से जुड़े हुए परिवारों से हैं जिस बच्चे ने 12वीं में टॉप किया है। उसके पिता पान का ठेला लगाते हैं। वहीं एक व्याख्याता की बच्ची ने शत–प्रतिशत अंकों की प्राप्ति की है। यह सभी बच्चे सामान्य परिवारों के हैं लेकिन मेरिट में अपनी जगह बना रहे हैं। प्रतिभा कहीं भी हो सकती है। ऐसे ही बच्चों में कल के अच्छे नागरिक मिलेंगे और अपनी जिम्मेदारियों को समझेंगे।
छत्तीसगढ़ में सबसे बड़ी तादाद आदिवासियों की है। इनकी जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए किस तरह के प्रयास आप कर रहे हैं?
इनके विकास का मूल तीन बातों में हैं। विकास‚ विश्वास और सुरक्षा। विकास के लिए हम कई काम कर रहे हैं। कई योजनाओं को चला रहे हैं जिसमें शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर विशेष योजनाएं हैं। कुपोषण के खिलाफ हम लगातार काम कर रहे हैं। पिछली सरकार के समय में आदिवासियों का विश्वास खो गया था। हम उस विश्वास को लौटाने पर काम कर रहे हैं। लोहंडीगुड़ा में टाटा को जमीन दी गई थी जिसे वापस दिलवाना ऐसा ही एक प्रयास है। तेंदूपत्ता के लिए सबसे ज्यादा पैसा हम दे रहे हैं। इसी तरह वनोपज में भी वृद्धि पर काम कर रहे हैं और उसका उचित मूल्य आदिवासियों को दिलवाया जा रहा है। नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा की दृष्टि से भी कदम उठाए जा रहे हैं।
नक्सलवाद छत्तीसगढ़ की एक बहुत बड़ी समस्या है। केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की जिम्मेदारी है कि इस समस्या को खत्म करें लेकिन अभी तक सारे प्रयास नाकाम ही दिखाई देते हैं। इसकी वजह क्या है?
मैंने जैसा कहा विश्वास‚ विकास और सुरक्षा ये तीन बहुत ही महत्वपूर्ण विषय हैं। इसके लिए इनसे लगातार बातचीत करना बहुत जरूरी है। चाहे आदिवासी हों‚ पत्रकार हों‚ युवा हों‚ हम सभी से लगातार बात कर रहे हैं। नक्सलियों के कमांडर छत्तीसगढ़ के न होकर अन्य राज्यों के हैं। ऐसे लोगों से बात करने का कोई मतलब नहीं है। मेरा कहना है जो संविधान पर विश्वास करता है उसे अपने हथियार त्याग कर बात करने के लिए आगे आना चाहिए। आप गौर कर सकते हैं कि हमारे शासनकाल में नक्सलवादी घटनाओं में काफी कमी आई। जो एनकाउंटर हुए हैं उनमें आदिवासी नहीं मारे गए हैं बल्कि नक्सलवादियों के बड़े रैंक के लोग या कमांडर ही मारे गए।
हाल में मुझे छत्तीसगढ़ जाने का मौका मिला। नेशनल हाईवे की स्थिति अच्छी है। खासतौर पर रायपुर से बिलासपुर का रास्ता केंद्र ने बहुत बढ़िया बनाया है। स्टेट हाईवे का क्या हाल है? क्या यह भी उसी स्तर पर बने हैं?
अभी तक दो ही नेशनल हाईवे थे। अब कुछ की तादाद बढ़ी है। आप अंबिकापुर से बनारस या रायगढ़ से झारखंड की तरफ जाएं तो आपको नेशनल हाईवेज की हालत पता लग जाएगी। इस विषय पर मेरी गडकरी जी से बात हुई थी कि नेशनल हाईवे का काम ठप पड़ा हुआ है। जिन ठेकेदारों को काम आवंटित किए गए थे वह दिवालिया हो गए हैं और काम नहीं कर रहे हैं। मैंने गडकरी जी से आग्रह किया था कि इसका काम शुरू करवाया जाए। स्टेट हाईवे नेशनल हाईवेज के मुकाबले कहीं ज्यादा बेहतर स्थिति में हैं।
केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार के बीच किस तरह का संबंध रहता हैॽ केंद्र से आपको कितना सहयोगात्मक रवैया देखने को मिलता है?
हम अपने हक के लिए हमेशा बात करते रहते हैं लेकिन बड़े दुख की बात है कि कोरोना वायरस महामारी के इस काल में भी हमें केंद्र सरकार से जो सहयोग मिलना चाहिए था वह नहीं मिला।
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