चीन निर्मित ड्रोन व अमेरिकी कार्बाइन ने खड़ी की सुरक्षा एजेंसियों के समक्ष चुनौती

Last Updated 23 Jun 2020 05:36:13 AM IST

बीते शनिवार सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ के सतर्क जवानों द्वारा भारत-पाक सीमा के हीरानगर सेक्टर में पाकिस्तान से आए एक ड्रोन को मार गिराने को एक कामयाबी के तौर पर देखा जा सकता है, लेकिन चीन निर्मित हैक्सा कॉप्टर ड्रोन से बरामद हथियारों की खेप कई सवाल खड़े करती है।


चीन निर्मित ड्रोन व अमेरिकी कार्बाइन ने खड़ी की सुरक्षा एजेंसियों के समक्ष चुनौती

पहला अहम सवाल ये है कि पाकिस्तान में भारत-पाक सीमा के हीरानगर सेक्टर को ही हथियारों की तस्करी के लिए क्यों चुना। आखिर यह हथियार इस इलाके में किसे हासिल करने थे और फिर आतंकियों द्वारा इसका कहां इस्तेमाल होना था। सूत्रों का कहना है कि इन सवालों को लेकर बीएसएफ, राज्य पुलिस तथा खुफियां एजेंसी जांच में जुट गई हैं।
बताया गया कि गत दो दिन लगातार हीरानगर सेक्टर तथा सांबा के कुछ इलाकों में सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों द्वारा सघन तलाशी अभियान और जानकारियां एकत्र की गई, लेकिन उन सूत्रधारों की बाबत अभी कामयाबी नहीं मिल पाई, जिन ओजीडब्ल्यू अथवा आतंकियों को यह हथियार हासिल करके कहीं पहुंचाने थे। बात केवल इतनी नहीं है, बल्कि जिस प्रकार हथियारों की खेप में अमेरिका निर्मित एम-4 कार्बाइन मशीनगन के अलावा सात चीन निर्मित ग्रेनेड आदि बरामद हुए, उससे यह भी सवाल उठने लाजिमी हैं कि आखिर अमेरिकी हथियार तथा चीनी ड्रोन व गोला-बारूद पाकिस्तान की दिशा से भारत में तबाही मचाने के लिए भेजा जा रहा है। ऐसा नहीं है कि मशीनगन कोई पहली बार ड्रोन के साथ जब्त की गई हो, बल्कि दो दिन पहले दक्षिण कश्मीर के ही कुलगाम में सुरक्षा बलों के हाथों में मुठभेड़ में मारे गए एक आतंकी से भी यही आधुनिक घातक हथियार मिला था।

थोड़ा और पीछे जाएं तो 31 जनवरी को जम्मू के बाहरी हिस्से नगरोटा के वन टोल प्लाजा पर विदेशी मूल के आतंकियों को मुठभेड़ में मार गिराए जाने के बाद भी यही अमेरिका निर्मित घातक हथियार जब्त हुआ था। तब भी यह बात उठी थी कि मारे गए तीनों आतंकी विदेशी मूल के थे और संभवत: वह भारत-पाक सीमा के हीरानगर सेक्टर से ही घुसपैठ करके आए होंगे।
सूत्रों का कहना है कि जिस प्रकार हमारे देश के रिश्ते अमेरिका और अरसा पूर्व तक चीन से काफी बेहतर रहे हैं। ऐसी स्थिति में इन मुल्कों के हथियार मिलना वास्तव में एक चिंता की बात लगती है। पाकिस्तान जो कि लंबे अरसे से भारत के खिलाफ आतंकवाद के जरिए प्रॉक्सी युद्ध लड़ रहा है, जिसमें उसे भारी शिकस्त भी मिल रही है, लेकिन इस युद्ध में मारे गए आतंकियों के पास से यह अत्याधुनिक घातक असला भी मिल रहा है।
सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान की बौखलाहट तो घाटी में मारे गए आतंकियों से तो बनी हुई है। यही वजह है कि शनिवार जब सीमा सुरक्षा बल के जांबाज जवानों ने हीरानगर सेक्टर के पन्सर के रफुआ गांव में जब महज 150 से 200 फीट उड़ रहे भारतीय क्षेत्र में आ घुसे पाकिस्तानी ड्रोन को मार गिराया तो उसके बाद उसी दिन पाकिस्तान रेंजर्स ने इसी सेक्टर की भारत की बोबिया सुरक्षा चौकी पर भी गोलाबारी की। माना जा रहा है कि पाकिस्तान को कहीं न कहीं चीन की अब खुली शह मिलनी शुरू हो गई है। यही वजह है कि ड्रोन भी चीन निर्मित और उसमें बरामद हैंड ग्रेनेड भी चीन निर्मित मिले।
सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि हथियारों की यह संभवत: खेप घाटी के अलावा देश के अन्य हिस्सों को जैश के आतंकियों के लिए भेजे जाने वाली हो सकती है। इस बात पर भी हैरानगी जताई जा रही है कि हीरानगर सेक्टर जो काफी अरसे से यहां की भौगोलिक स्थिति यानी खड्ढों, नदी व बई नाले व जंगलांत के कारण घुसपैठ का एक मुफीद रूट बना हुआ है तो फिर इस समूचे इलाके में ऐसे कौन से सुराग हैं कि ड्रोन से हथियारों की खेप भी इसी इलाके में दी जाने वाली लगती है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में सुरक्षा एजेंसियां उन देशद्रोही. ओजीडब्ल्यू, स्लीपर सेल आदि तक पहुंचने में कामयाब होगी, जो हीरानगर सेक्टर में विदेशी आतंकियों की घुसपैठ से लेकर घातक हथियारों की तस्करी के मामले में एक ‘स्वर्ग’ मानते हैं।

सहारा न्यूज ब्यूरो/सतीश वर्मा
जम्मू


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