चीन का गरूर तोड़ेगा ‘क्वाड’
सीमा पर आंखें तरेर रहे चीन का गरूर तोड़ने के लिए चार ताकतवर देश एक साथ उसे सबक सिखाने के लिए आ गए। चार देशों अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया , जापान और भारत के समूह ‘क्वाड’ के चक्कर में ड्रैगन ऐसा फंसेगा जो आने वाले काफी दिनों तक याद रखेगा।
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उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार सागर में चीन की घेराबंदी करने के लिए क्वाड के नेता आपस में संपर्क में है।
जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे से भी चीन की हरकतों को लेकर बात की है। गौरतलब है आवे की पहल पर ही वर्ष 2007 में इस समूह का गठन किया गया था तब इसे समुद्री डाकुओं से निपटने के लिए बनाया गया था। बाद में वर्ष 2017 में अमेरिका ने इसे और आक्रामक रूप दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एशिया प्रशांत क्षेत्र में चीन की दादागिरी को रोकने के लिए चारों देशों के अपने समकक्ष नेताओं के साथ 2018 व 2019 में इसे और मजबूत तथा आक्रामक बनाने की पहल की थी। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री मोदी चार देशों के इस समूह का दायरा भी बढ़ाये जाने के लिए प्रयासरत हैं।
दक्षिण चीन महासागर में चीनी की दादागिरी से चारों ही देश परेशान हैं और सागर में चीन के दबदबे को कम करने के लिए इन 4 देशों के साझा हित भी हैं। पिछले काफी दिनों से चीन जहां लद्दाख सीमा पर भारत के साथ संघर्ष के हालात पैदा कर रहा है वही जापान और अमेरिका को धौंस दिखा रहा है। इतना ही नहीं ऑस्ट्रेलिया पर भी अपनी दादागिरी झाड़ रहा है। चीन की हरकतों से परेशान इन चारों देशों ने अब तय कर लिया है चारों ही देश न केवल सागर में बल्कि जमीन और आकाश में भी एक दूसरे पर संकट पड़ने पर चीन के खिलाफ उस देश के साथ खड़े नजर आएंगे। सूत्रों के अनुसार चीन के खिलाफ क्वाड को और नजदीक लाने में भारतीय कूटनीति की महत्वपूर्ण भूमिका है । कूटनीतिक प्रयासों के चलते ही चारों देश अब एक साथ चीन के खिलाफ खड़े नजर आ रहे हैं ।
उल्लेखनीय है कि जब इसका गठन हुआ था तब चीन को लेकर विचारों में भिन्नता थी और अपने गठन के बाद यह समूह मात्र औपचारिक बन कर रह गया था लेकिन अमेरिका में राष्ट्रपति ट्रंप और ऑस्ट्रेलिया में मेलकम टर्नबुल तथा भारत में मोदी के प्रधानमंत्री के बनने के बाद तीनो ही नेताओं ने इस ग्रुप के महत्व को समझा और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ मिलकर इसे और प्रभावी बनाने की दिशा में काम किए। सूत्रों के अनुसार समूह के बढ़ते प्रभाव से चीन की नींद उड़ी हुई है और उसी हताशा का ही नतीजा है कि उसने पिछले दिनों समूह के महत्वपूर्ण सदस्य ऑस्ट्रेलिया को सबक सिखाने के लिए वहां पर साइबर हमला किया।
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