वार्ता के लिए माहौल बनाने का दायित्व ओली सरकार का : नेपाल के साथ नक्शा विवाद पर सूत्रों ने कहा

Last Updated 16 Jun 2020 01:23:44 AM IST

भारत और नेपाल के बीच बातचीत के लिए अनुकूल माहौल तैयार करने का दायित्व वहां की के पी शर्मा ओली सरकार का है क्योंकि नया राजनीतिक नक्शा जारी कर मुश्किल हालात पैदा करने के लिए वही जिम्मेदार है जिसमें भारतीय क्षेत्र दर्शाए गए हैं।


वार्ता के लिए माहौल बनाने का दायित्व ओली सरकार का : नेपाल के साथ नक्शा विवाद पर सूत्रों ने कहा

आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को यह बात कही।
उन्होंने कहा कि भारत के आकलन के अनुसार नेपाल द्वारा नए राजनीतिक नक्शे को जारी करना और इसके लिए नेपाली संसद के निचले सदन से कानूनी स्वीकृति हासिल करना घरेलू राजनीति में फायदा पाने का ‘अदूरदर्शी’ एजेंडा है।
सूत्रों ने नेपाल के इस तर्क को खारिज कर दिया कि भारत ने सीमा विवाद पर बातचीत के लिए उसके प्रस्ताव पर जवाब नहीं दिया।
उन्होंने कहा कि भारत ने नेपाल को पिछले कुछ सप्ताहों में कई बार इस मुद्दे पर बातचीत के लिए तैयार होने की बात कही है जिसमें नेपाल सरकार द्वारा नए नक्शे पर संविधान संशोधन विधेयक लाने से ठीक पहले दोनों देशों के बीच विदेश सचिवों की बातचीत शामिल है।
इस संबंध में एक सूत्र ने कहा, ‘‘जब संविधान संशोधन विधेयक पेश किया जा रहा था और उससे पहले भी, भारत ने विदेश सचिवों के बीच फोन बातचीत और वीडियो कॉन्फ्रेंस की तथा विदेश सचिवों के दौरों की पेशकश की। हालांकि नेपाली पक्ष ने प्रस्ताव पर उत्तर नहीं दिया।’’

उन्होंने नया नक्शा जारी करने और इससे जुड़े घटनाक्रमों को सीमित राजनीतिक एजेंडे को आगे बढाने के मकसद से की गयी खुद के लाभ वाली कार्रवाई बताया।
सूत्रों ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि ओली सरकार ने नेपाल के लोगों को बातचीत के भारत के प्रस्ताव के बारे में क्यों नहीं बताया।
उन्होंने कहा कि अब प्रधानमंत्री ओली की जिम्मेदारी है कि वार्ता के लिहाज से अनुकूल माहौल बनाने के लिए सकारात्मक और ठोस कदम उठाएं।
दोनों देशों के संबंधों में तनाव उस समय आ गया जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लिपुलेख दर्रे को उत्तराखंड के धारचूला से जोड़ने वाली एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सड़क का आठ मई को उद्घाटन किया था।
नेपाल ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और उसने कुछ दिन बाद देश का नया राजनीतिक नक्शा पेश किया जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा के विवादास्पद क्षेत्रों को उसके भूभाग में दिखाया गया है जिसे भारत अपना कहता रहा है।
ओली के नेतृत्व वाली कम्यूनिस्ट सरकार ने शनिवार को इस नए नक्शे को संसद के निचले सदन से सर्वसम्मति से पारित करा लिया था जबकि भारत ने कड़े शब्दों में स्पष्ट कर दिया था कि ‘‘कृत्रिम रूप से बढा-चढाकर’’ पेश किए गए क्षेत्रीय दावे स्वीकार करने योग्य नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि ओली सरकार द्वारा नया नक्शा जारी करना भारत के साथ सीमा विवाद का राजनीतिकरण करने का प्रयास था और यह दर्शाता है कि नेपाल दशकों पुराने मुद्दों को बातचीत के जरिए हल करने को लेकर गंभीर नहीं है।
सूत्र ने कहा, ‘‘नेपाल सरकार की नक्शा बदलने की एकपक्षीय कार्रवाई और संविधान संशोधन का हड़बड़ी में किया गया प्रयास प्रधानमंत्री ओली और उनकी सरकार के सीमा विवाद को राजनीतिक रूप देने के इरादे को दर्शाता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘नक्शा जारी करना और उसे कानूनी स्वीकृति प्रदान करने से ही पूरी तरह स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि नया नक्शा राजनीतिक फायदे का एक औजार है क्योंकि यह न तो तथ्यों और न ही साक्ष्यों से प्रेरित है।’’
सूत्रों ने कहा कि दोनों देशों के बीच करीब 1,750 किलोमीटर लंबी सीमा का 98 प्रतिशत हिस्सा रेखांकित है और दोनों पक्षों के बीच कालापानी तथा सुस्ता को लेकर मतभेद हैं।
सूत्रों ने ओली के उस दावे को भी खारिज कर दिया कि नेपाल में कोविड-19 के मामले उन लोगों की वजह से बढ रहे हैं जो भारत से वापस लौटे हैं।
उन्होंने कहा कि यह गलत दावा है।
सूत्रों ने कहा कि सीमा विवाद के बावजूद भारत कोविड-19 की रोकथाम समेत अनेक क्षेत्रों में नेपाल की मदद के लिए प्रतिबद्ध है।

भाषा
नयी दिल्ली


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