जेएंडके : केंद्र का फैसला, 15 साल से रहने वाला माना जाएगा राज्य का निवासी
मंत्रिमंडल ने जम्मू कश्मीर में प्रशासनिक सेवाओं में नियुक्ति के लिए नए नियमों के तहत जारी मूल निवास प्रमाणपत्र की नियमावली से संबंधित प्रशासनिक आदेश जारी किए जाने को बुधवार को स्वीकृति प्रदान की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (file photo) |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में जम्मू कश्मीर प्रशासनिक सेवा (विकेन्द्रीकरण एवं नियोजन) अधिनियम के संबंध में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (राज्य के कानूनों की स्वीकृति) द्वितीय आदेश 2020 को जारी किए जाने को स्वीकृति प्रदान की गई। इसके फैसले के बाद कोई व्यक्ति जो जम्मू कश्मीर में कम से कम 15 साल रहा है और 10वीं या 12वीं की परीक्षा यहां के किसी संस्थान से पास कर चुका है तो वह जम्मू-कश्मीर का निवासी कहलाने का हकदार होगा। मूल निवास के नए नियमों से राज्य से बाहर रह रहे कश्मीरी पंडितों को जम्मू कश्मीर के मामलों में उनके अधिकार दिलाएगा।
मंत्रीमंडल ने फैसला जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 की धारा 96 के तहत किया है। इस फैसले के बाद जारी आदेश जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में हर सरकारी नौकरी में मूल निवास प्रमाणन की शर्तों को अद्यतन करके उनके क्रियान्वयन को सुनिश्चित करता है। प्रशासन ने नए मूल निवास प्रमाणपत्र (प्रक्रिया) नियमावली 2020 को लागू कर दिया है। इसी के साथ प्रदेश में स्थानीय नागरिक प्रमाण पत्र की जगह मूल निवास प्रमाणपत्र जारी करने के लिए 15 दिन का समय निर्धारित किया गया है। पीओके के इलाकों से 1947 में पलायन करके आए पांच लाख से अधिक शरणार्थी, सफाई कर्मचारी और दूसरे राज्यों में शादी करने वाली महिलाओं के बच्चे भी अब मूल निवास प्रमाणपत्र के हकदार होंगे।
जेकेएनपीपी ने किया नए नियमों के विरोध में प्रदर्शन
जम्मू कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी (जेकेएनपीपी) ने मूल निवासी को लेकर नए नियमों के विरोध में बुधवार को भाजपा नीत केंद्र सरकार का पुतला जलाया। पार्टी ने उन प्रावधानों पर फिर से विचार करने की मांग की जिसके तहत बाहरी लोग केंद्र शासित प्रदेश के मूल निवासी बन जाएंगे।
जेकेएनपीपी ने इसे थोपा गया कानून बताया और कहा कि अधिसूचना पूर्ववर्ती राज्य की जनभावना के खिलाफ है। जेएंडके के मूल निवासी के नए नियमों को लेकर सरकार की आलोचना करते हुए जेकेएनपीपी अध्यक्ष और पूर्व मंत्री हषर्देव सिंह यहां अपने कार्यालय के बाहर निकले और विरोध के तौर पर केंद्र की भाजपा सरकार का पुतला जलाया।
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