न्यायालय का 370 खत्म करने को चुनौती देने वाली याचिकायें वृहद पीठ को सौंपने से इंकार

Last Updated 02 Mar 2020 06:10:43 PM IST

उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल पांच अगस्त को संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान खत्म करने के केन्द्र के फैसले की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सोमवार को सात सदस्यीय संविधान पीठ को सौंपने से इंकार कर दिया।


उच्चतम न्यायालय

न्यायमूर्ति एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि इस मामले को वृहद पीठ को सौंपने की कोई वजह नहीं है।       

संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत शामिल है।

गैर सरकारी संगठन पीपुल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज, जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन और इस मामले हस्तक्षेप के लिये आवेदन दायर करने वाले एक व्यक्ति ने इस मामले को बृहद पीठ को सौंपने का अनुरोध किया था। इनका कहना था कि अनुच्छेद 370 के बारे में 1959 के प्रेम नाथ कौल बनाम जम्मू कश्मीर और 1970 के संपत प्रकाश बनाम जम्मू कश्मीर के शीर्ष अदालत के दो परस्पर विरोधी फैसले हैं, इसलिए पांच न्यायाधीशों की पीठ इसकी सुनवाई नहीं कर सकती है।    

संविधान पीठ ने याचिकाकर्ताओं की इस दलील से असहमति व्यक्त करते हुये कहा कि उसकी राय में इन फैसलों में कोई परस्पर विरोधाभास नहीं था।      

पीठ ने कहा कि अत: पीयूसीएल, बार एसोसिएशन और हस्तक्षेप करने वाले व्यक्ति की इस मामले को वृहद पीठ को सौंपने का अनुरोध अस्वीकार किया जाता है।    

शीर्ष अदालत इस तर्क से भी सहमत नहीं था कि प्रेम नाथ कौल मामले में सुनाये गये फैसले पर न्यायालय ने संपत प्रकाश मामले में विचार नहीं किया था।      
शीर्ष अदालत ने भी कहा कि उसे इन याचिकाओं को वृहद पीठ को सौंपने का कोई कारण नजर नहीं आता है।      

जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने संबंधी संविधान के अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधान खत्म करने के केन्द्र सरकार के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में राजनीतिक दलों, कार्यकर्ताओं, वकीलों और लोगों ने व्यक्तिगत रूप से अनेक याचिकायें दायर कर रखी हैं। इन सभी ने जम्मू कश्मीर पुनर्गठन कानून, 2019 को भी चुनौती दी है जिसके अंतर्गत राज्य को दो हिस्सों में विभक्त करके जम्मू कश्मीर और लद्दाख को केन्द्र शासित प्रदेश बना दिया गया है।   

  

संविधान पीठ द्वारा यह आदेश सुनाये जाने के बाद कुछ वकीलों ने अनुरोध किया कि मुख्य मामले पर सुनवाई के लिये तारीख निर्धारित कर दी जाये।       

पीठ ने कहा कि सबरीमला मामले में नौ सदस्यीय संविधान पीठ की सुनवाई पर अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को रद्द करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई निर्भर करेगी। सबरीमला मामले में होली के अवकाश के बाद सुनवाई शुरू होने की उम्मीद है।

भाषा
नयी दिल्ली


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