शिवसेना युवाओं में 'बढ़ती अलगाववादी प्रवृत्ति' से चिंतित
शिवसेना ने युवाओं में बढ़ती अलगावादी प्रवृत्तियों को लेकर चिंता जाहिर की है जो देश को इराक या अफगानिस्तान की तरह कभी नहीं खत्म होने वाले उथल-पुथल में ले जा सकती है।
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केंद्र पर अप्रत्यक्ष रूप से हमला करते हुए शिवसेना ने गुरुवार को जानना चाहा कि बीते पांच सालों में 'देश को तोड़ने' जैसी बातें क्यों बढ़ गई हैं, क्यों अत्यधिक शिक्षित लोग 'अलगाववादी भाषा' में बात कर रहे हैं, इनमें आईआईटी बांबे में पढ़ा और जेएनयू से डॉक्टरेट कर रहा शरजील इमाम भी शामिल है और 'इनके दिमाग में जहर कौन भर रहा है?'
पार्टी ने अपने 'सामना' व 'दोपहर का सामना' के संपादकीय में कहा, "यह किसी एक शरजील या दूसरे कन्हैया कुमार का सवाल नहीं है, बल्कि पूरा रुझान युवाओं को अलगाववाद की तरफ धकेलता दिखता है। महाराष्ट्र में प्रसिद्ध बुद्धिजीवियों और कार्यकर्ताओं पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया है। देश की सामाजिक और धार्मिक एकता व्यावहारिक रूप से खत्म हो चुकी है।"
इसमें चेताया गया है कि हिंदुओं और मुसलमानों को बांटने के प्रयास किए जा रहे हैं और देश को अफगानिस्तान, इराक की तरह कभी न खत्म होने वाले नागरिक उथल-पुथल में डुबोने की कोशिश हो रही है।
सेना ने कहा कि 'राजनीतिक प्रयोगशालाओं' में किए जाने वाले प्रयोगों में 'राष्ट्रीय एकजुटता' के विचार का नाश हो रहा है।
शरजील इमाम को एक 'अलगाववादी सांप' बताते हुए शिवसेना ने कहा कि इसके बयानों ने देश भर में सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ चल रहे आंदोलन को बदनाम करने का काम किया है।
संपादकीय में कहा गया है कि 'पूरे देश में आंदोलन चल रहा है लेकिन कहीं पर किसी ने भी राष्ट्रविरोधी बात नहीं की है। लेकिन, इस सांप ने जिसका नाम शरजील इमाम है, इसने अपने राष्ट्रविरोधी बयानों से पूरे आंदोलन को बदनाम किया। इसकी सीएए विरोधी आंदोलनकारियों ने पूरे देश में निंदा की है। इस पर राजनीति करने के बजाए, ऐसे 'कीड़ों' को कुचल देना चाहिए।'
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