निर्भया केस: फांसी का वक्त आ रहा करीब, दोषियों ने अब तक नहीं बताई अंतिम इच्छा

Last Updated 24 Jan 2020 09:43:36 AM IST

निर्भया के मुजरिमों को फांसी पर लटकाये जाने का 'डेथ-वारंट' जारी होने के बाद से, देश में जितना कौतूहल-कोलाहल मचा है। तिहाड़ जेल में फांसी-घर से चंद फर्लांग की दूरी पर फंदे पर झूलने की उल्टी गिनती कर रहे हत्यारे उतनी ही 'चुप्पी' साधे बैठे हैं।


निर्भया के गुनहगार (फाइल फोटो)

इसके पीछे का कारण या फिर हत्यारों की आगे की रणनीति क्या हो सकती है? इस सवाल का जबाब उन्हीं के पास हैं। अभी तक चार में से किसी भी मुजरिम ने तिहाड़ प्रशासन द्वारा पूछे जाने के बाद भी यह नहीं बताया है कि उनकी अंतिम इच्छा आखिर क्या-क्या है?

तिहाड़ जेल (दिल्ली जेल) के महानिदेशक संदीप गोयल ने कहा, "अदालत से डेथ-वारंट जारी होने के बाद जो कानूनी प्रक्रिया अमल में लानी चाहिए हम वो सब अपना रहे हैं। इसी के तहत चारों मुजरिमों से तिहाड़ जेल प्रशासन ने उनकी अंतिम इच्छा भी कुछ दिन पहले पूछी थी। अभी तक चार में से किसी ने भी कोई जबाब नहीं दिया है।"

संदीप गोयल ने कहा, "जेल प्रशासन ने चारों मुजरिमों से पूछा था कि डेथ-वारंट अमल में लाए जाने से पहले वे किससे, किस दिन, किस वक्त जेल में मिलना चाहेंगे? संबंधित के नाम, पते और संपर्क-नंबर यदि कोई हो तो लिखित में जेल प्रशासन को सूचित कर दें। ताकि वक्त रहते अंतिम मिलाई कराने वालों को जेल तक लाने का समुचित इंतजाम किया जा सके।"

जेल महानिदेशक के मुताबिक, "नियमानुसार दूसरी बात यह पूछी गयी थी चारों से कि क्या उन्हें अपनी कोई चल-अचल संपत्ति अपने किसी रिश्तेदार, विश्वासपात्र के नाम करनी है? अगर ऐसा है तो संबंधित शख्स/रिश्तेदार का नाम पता भी जेल प्रशासन को उपलब्ध करा दें। गुरुवार तक चार में से किसी भी मुजरिम ने फिलहाल दोनों ही सवालों का जवाब नहीं दिया है। जैसे ही उनका जवाब मिलेगा, जेल प्रशासन उसी हिसाब से इंतजाम शुरू कर देगा।"

तिहाड़ जेल के एक अन्य अधिकारी ने कहा, "चारों मुजरिमों ने चूंकि दोनों में से किसी भी सवाल का जवाब अभी तक लिखित रूप से नहीं सौंपा है। लिहाजा फिलहाल उनकी जेल में बाकी कैदियों की तरह ही सप्ताह में दो दिन परिवार वालों से मिलाई करा दी जा रही है। हां, फांसी की सजा अमल में लाए जाने वाले दिन से पहले उन्हें (मुजरिमों को) अंतिम बार किससे जेल में और कब मिलना है? यह फिलहाल लंबित ही है। हालांकि अगर फांसी लगने वाले दिन से पहले तक, समुचित समय के साथ मुजरिमों ने दोनों ही सवालों का जबाब नहीं दिया, तो जेल प्रशासन मान लेगा कि उन्हें कुछ नहीं कहना-सुनना है।"

आईएएनएस
नई दिल्ली


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