हंगामेदार बहस के बाद लोकसभा से नागरिकता कानून संशोधन विधेयक पारित

Last Updated 10 Dec 2019 01:30:13 AM IST

लोकसभा ने सोमवार को नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी। इसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान है। विधेयक के पक्ष में 311 और विरोध में 80 मत पड़े।


लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह संबोधित करते हुए।

इस विधेयक पर सदन में सात घंटे से अधिक समय तक चर्चा चली।
चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह विधेयक लाखों करोड़ों शरणार्थियों को यातनापूर्ण नरक जैसे जीवन से मुक्ति दिलाने का साधन बनने जा रहा है जो लोग भारत के प्रति श्रद्धा रखते हुए हमारे देश में आए, उन्हें नागरिकता मिलेगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि देश में एनआरसी आकर रहेगा और जब एनआरसी आएगा तब देश में एक भी घुसपैठिया बच नहीं पाएगा। किसी भी रोहिंग्या को कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा।

विपक्षी सदस्यों की आशंकाओं को खारिज करते हुए शाह ने कहा कि मैं सदन के माध्यम से पूरे देश को आास्त करना चाहता हूं कि यह विधेयक कहीं से भी असंवैधानिक नहीं है और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता। उन्होंने कहा कि यह विधेयक किसी धर्म के खिलाफ भेदभाव वाला नहीं है। तीन देशों के अंदर प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के लिए है जो घुसपैठिए नहीं, शरणार्थी हैं। उन्होंने अपनी बात दोहराई कि अगर इस देश का विभाजन धर्म के आधार पर नहीं होता तो मुझे विधेयक लाने की जरूरत ही नहीं पड़ती। शाह ने कहा कि नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री रहते हुए देश में किसी धर्म के लोगों को डरने की जरूरत नहीं है। यह सरकार सभी को सम्मान और सुरक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध है। जब तक मोदी प्रधानमंत्री हैं, संविधान ही सरकार का धर्म है।

उन्होंने बताया कि 1947 में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 23 फीसद थी। 2011 में 23 फीसद से कम होकर 3.7 प्रतिशत हो गयी। बांग्लादेश में 1947 में अल्पसंख्यकों की आबादी 22 फीसद थी जो 2011 में कम होकर 7.8 फीसद हो गई। शाह ने कहा कि भारत में 1951 में 84 फीसद हिन्दू थे जो 2011 में कम होकर 79 फीसद रह गए, वहीं मुसलमान 1951 में 9.8 फीसद थे जो 2011 में 14.8 फीसद हो गए। उन्होंने कहा कि इसलिए यह कहना गलत है कि भारत में धर्म के आधार पर भेदभाव हो रहा है। उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर भेदभाव न हो रहा है और ना आगे होगा।
कांग्रेस पर साधा निशाना : गृह मंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि मोहम्मद अली जिन्ना ने जिस द्विराष्ट्र नीति की बात की, उसे कांग्रेस ने क्यों स्वीकार किया। रोका क्यों नहीं। महात्मा गांधी ने विरोध किया था लेकिन कांग्रेस ने धर्म के आधार पर देश का विभाजन स्वीकार किया था।
उन्होंने कहा कि देश में पहले भी शरणार्थियों को नागरिकता दी जाती रही है। उसी क्रम में तीनों देशों को शरणार्थिेयों को नागरिकता देने वाला यह विधेयक लाया गया है। इस विधेयक की इन तीनों देशों के अल्पसंख्यकों के आधार पर व्याख्या की गयी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि म्यामार के रोहिंज्ञा मुसलमान बंगलादेश केजरिए भारत आते हैं और उन्हें कभी भी नागिरकता नहीं दी जा सकती हे।
गृहमंत्री ने देश के अल्पसंख्यकों को आस्त किया कि किसी भी अल्पसंख्यक को किसी भी स्थिति में डरने की जरूरत नहीं है। उनके पास राशन कार्ड है या नहीं है, उनके पास कोई पहचान पत्र है या नहीं है उसके बाद भी उनको डरने की आवश्यकता नहीं है। उन्हें भ्रमाया जा रहा है और जो भी शरणार्थी 31 मार्च 2014 से पहले भारत आए हैं उन सबको भारत की नागरिकता मिलेगी। उन्हें समझ लेना चाहिए कि इस विधेयक के पारित होने के साथ ही वे भारत के नागरिक हो गये हैं।
राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर-एनआरसी के फेल होने को उन्होंने गलत बताया और कहा कि एनआरसी के कारण एक भी घुसपैठिया नहीं बचेगा। चीन, नेपाल, श्रीलंका और म्यमार के शरणार्थियों को इसमें शामिल नहीं करने संबंधी सदस्यों के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह विधेयक एक समस्या के आधार पर लाया गया है। जिन देशों में धार्मिक आधार पर प्रताडना है वहां के धार्मिक अल्पसंख्यक नागरिकों के लिए ही विधेयक लाया गया है। पाकिस्तान, बंगलादेश और अफगानिस्तान के हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख, पारसी और ईसाई संप्रदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने के लिए यह विधेयक है।
उन्होंने कहा कि विधेयक के जरिये नागरिकता अधिनियम की अनुसूचि तीन में संशोधन कर इन तीनों देशों के उपरोक्त छह संप्रदायों के लोगों के लिए स्थायी नागरिकता के आवेदन की शर्तों को आसान बनाया गया है। पहले कम से कम 11 साल देश में रहने के बाद इन्हें नागरिकता के लिए आवेदन का अधिकार था। अब इस समय सीमा को घटाकर पाँच साल किया जा रहा है। इसमें कहा गया है कि 31 दिसंबर 2014 तक बिना वैध दस्तावेजों के इन तीन देशों से भारत में प्रवेश करने वाले या इस तिथि से पहले वैध रूप से देश में प्रवेश करने और दस्तावेजों की अवधि चूक जाने के बाद भी अवैध रूप से यहीं रहने वाले छह संप्रदायों के लोग नागरिकता के आवेदन के पत्र होंगे।

सहारा न्यूज ब्यूरो/भाषा
नई दिल्ली


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