हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुआई वाली मनोहर खट्टर सरकार ने 18 दिनों की देरी के बाद गुरुवार को पहला मंत्रिमंडलीय विस्तार करते हुए उसमें 10 विधायकों को शामिल किया है।
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इन मंत्रियों में सहयोगी दल जननायक जनता पार्टी (जजपा) के एक विधायक, एक मात्र महिला और एक निर्दलीय शामिल हैं। मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को मिलाकर 14 सदस्य हैं, जिनमें से दो पद भविष्य में विस्तार के लिए रखे गए हैं।
राज्यपाल सत्यदेव नरायन आर्य ने यहां राजभवन में लगभग एक घंटे तक चले सामान्य समारोह में छह कैबिनेट मंत्रियों और चार राज्य मंत्रियों (स्वतंत्र प्रभार) को शपथ दिलाई।
सरकार में अब मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (65) के अलावा भाजपा के आठ मंत्री हैं। खट्टर का यह लगातार दूसरा कार्यकाल है।
मंत्रिपरिषद में अंबाला कैंट से छह बार विधायक रहे अनिल विज (पिछली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री), पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और तीन बार से विधायक कंवर पाल गुज्जर (अन्य पिछड़ा वर्ग) और भाजपा के दलित चेहरा बनवारी लाल (पूर्व राज्यमंत्री) हैं।
खट्टर और विज पंजाबी समुदाय से आते हैं।
मंत्रिमंडल के दो अन्य सदस्यों में भाजपा के दो बार विधायक रहे मूल चंद शर्मा और पहली बार विधायक बने जे.पी. दलाल हैं।
मंत्रिमंडल में एकमात्र महिला मंत्री भाजपा की कमलेश धांडा (जाट समुदाय) हैं। राज्य में 28 प्रतिशत जाट जनसंख्या है। उनके पति नरसिंह धांडा भी पूर्व मंत्री रहे हैं।
जजपा के धनक को राज्यमंत्री के तौर पर शामिल किया गया है।
मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले एकमात्र निर्दलीय विधायक रंजीत चौटाला हैं। वे देवी लाल कैबिनेट में भी मंत्री थे।
भाजपा से पहली बार विधायक बने और भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान संदीप सिंह को मंत्री बनाया गया है।
मंत्रिमंडल विस्तार से एक दिन पहले राज्यपाल ने राजस्व और आपदा प्रबंधन, आबकारी और कराधान और उद्योग समेत 11 विभाग दुष्यंत को आवंटित किए थे।
मुख्यमंत्री ने गृह, वित्त, शहरी निकाय और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग अपने पास रखे थे।
खट्टर और दुष्यंत ने 27 अक्टूबर को यहां पद की शपथ ली थी।
हरियाणा की 90 सीटों वाली विधानसभा में भाजपा ने 40 सीटें जीती थीं और वह बहुमत से छह सीटें कम रह गई थी।
जजपा के 10 विधायकों के अलावा सात निर्दलीय विधायकों ने भी भाजपा को समर्थन दिया था, जिसके बाद भाजपा के पास 57 विधायक हो गए हैं।
भाजपा के आठ पूर्व मंत्रियों- कैप्टेन अभिमन्यु, ओ.पी. धनकर, राम बिलास शर्मा, कविता जैन, कृष्ण लाल पवार, मनीष ग्रोवर, करन देव कांबोज और कृष्ण कुमार वेदी को इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।
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