भारतीय पत्रकार ने कहा : वैश्विक मीडिया ने पाक प्रायोजित आतंकवाद की अनदेखी की

Last Updated 23 Oct 2019 05:16:03 PM IST

कश्मीर में मानवाधिकार संबंधी स्थिति पर चर्चा के दौरान एक अमेरिकी समिति के समक्ष एक भारतीय पत्रकार ने कहा कि विश्व के प्रेस ने पिछले 30 वर्ष में पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद को पूरी तरह नजरअंदाज किया है।




भारतीय पत्रकार आरती टीकू सिंह

अमेरिकी समिति के समक्ष एक भारतीय पत्रकार आरती टीकू सिंह के इस बयान पर अमेरिकी सांसद इल्हान उमर ने तीखी प्रतिक्रिया दी और उनकी पत्रकारिता की निष्पक्षता पर सवाल उठाए। इस आलोचना के बाद सिंह ने इल्हान पर ‘‘पक्षपातपूर्ण’’ होने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस की सुनवाई ‘‘पूर्वाग्रह से ग्रस्त, पक्षपातपूर्ण, भारत के खिलाफ और पाकिस्तान के समर्थन’’ में है।     

कांग्रेस के आमंत्रण पर उसके सामने गवाही के लिए अमेरिका पहुंची सिंह ने कहा, ‘‘संघर्ष के इन 30 वर्ष में पाकिस्तान द्वारा कश्मीर में इस्लामी जिहाद और आतंकवाद को दिए गए बढावे को दुनिया के प्रेस ने पूरी तरह नजरअंदाज किया। दुनिया में कोई मानवाधिकार कार्यकर्ता और कोई प्रेस नहीं है, जिसे लगता हो कि कश्मीर में पाकिस्तानी आतंकवाद के पीड़ितों के बारे में बात करना और लिखना उनका नैतिक दायित्व है।’’      

उमर ने सिंह की आलोचना करते हुए कहा कि जब प्रेस सरकार का मुखपत्र बन जाता है, तो यह उसकी सबसे खराब स्थिति होती है।    

सिंह ने दक्षिण एशिया में मानवाधिकार पर कांग्रेस में सुनवाई के दौरान प्रतिनिधि सभा की विदेशी मामलों की समिति की ‘एशिया, प्रशांत एवं निरस्त्रीकरण’ उपसमिति के अध्यक्ष ब्रैड शरमन से कहा, ‘‘यह बहुत अनुचित है।’’      

प्रतिनिधि सभा के दो मुस्लिम सदस्यों में से एक उमर ने सिंह पर कहानी के आधिकारिक पक्ष का प्रतिनिधित्व करने का आरोप लगाया, उनकी पत्रकारिता की निष्पक्षता पर सवाल उठाए तथा उन्हें बोलने नहीं दिया।      

उमर ने ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ के पत्रकार से कहा कि एक पत्रकार का काम जो कुछ भी हो रहा है, उसके बारे में वस्तुनिष्ठ सच पता करना चाहिए और लोगों को इसके बारे में बताना चाहिए।      

उमर ने कहा, ‘‘आपके पास ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ के बड़ी संख्या में पाठक हैं और आप पर सही खबर देने की बड़ी जिम्मेदारी है। मैं अवगत हूं कि रिपोर्टिंग में बात को जिस प्रकार बताया जाता है, वह सच्चाई को तोड़-मरोड़ सकता है। मुझे यह भी पता है कि कहानी का केवल आधिकारिक पहलू साझा करके इसे किस प्रकार सीमित किया जा सकता है। सरकार जब प्रेस की मुखपत्र होती है तो यह उसकी सबसे खराब स्थिति है।’’      

उमर ने कहा, ‘‘आपने अविसनीय एवं संदिग्ध दावा किया कि कश्मीर में भारत सरकार की कार्रवाई मानवाधिकारों के लिए अच्छी है। यदि यह मानवाधिकार के लिए अच्छा है, तो गोपनीय तरीके से क्या होता होगा।’’



सिंह ने कहा, ‘‘कश्मीर में मारे गए कश्मीरी मुसलमानों की संख्या बहुत है और पाकिस्तानी आतंकवादियों ने उन्हें बहुत पीड़ित किया है।’’

भाषा
वाशिंगटन


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