जम्मू में नेताओं की नजरबंदी समाप्त
जम्मू में सभी राजनीतिक नेताओं की नजरबंदी समाप्त कर दी गई है, मगर कश्मीर में अभी भी नेताओं को नजरबंद रखा गया है।
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नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां), कांग्रेस और जम्मू-कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी (जेकेएनपीपी) जैसे राजनीतिक दलों के नेताओं को जम्मू में मुक्त कर दिया गया है। भारत सरकार की ओर से पांच अगस्त को जम्मू एवं कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को रद्द करने के बाद एहतियातन इन नेताओं को नजरबंद किया गया था।
नेकां नेता देवेंद्र राणा व एसएस सलाथिया, कांग्रेस के रमन भल्ला और पैंथर्स पार्टी के नेता हर्षदेव सिंह की नजरबंदी समाप्त कर दी गई है।
जम्मू में राजनीतिक नेताओं को रिहा करने का कदम 24 अक्टूबर को होने वाले खंड विकास परिषद के चुनावों की घोषणा के बाद उठाया गया है।
नेकां के फारूक अब्दुल्ला व उमर अब्दुल्ला, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती, जम्मू कश्मीर पीपुल्स कांफ्रेंस के नेता सज्जाद गनी लोन को हालांकि अभी भी उनके घरों में नजरबंद रखा गया है।
राज्य का विशेष दर्जा वापस लेकर इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू एवं कश्मीर व लद्दाख में बांटने के बाद लगभग 400 राजनीतिक नेताओं को या तो हिरासत में लिया गया था, या उन्हें घर में नजरबंद रखा गया था।
नेताओं की हिरासत व नजरबंदी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विभिन्न याचिकाएं भी दायर की गई हैं।
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