INX मीडिया केस : अदालत ने चिदंबरम को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा
दिल्ली की एक अदालत ने आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को 19 सितंबर तक 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।
न्यायिक हिरासत में जेल ले जाए जाते चिदंबरम। |
उन्हें तिहाड़ ले जाया गया जहां उन्हें बैरक नंबर-7 में रखा जा सकता है। अदालत ने पूर्व वित्त मंत्री को उनकी दवाइयां अपने साथ जेल में ले जाने की अनुमति दी और निर्देश दिया कि उन्हें तिहाड़ जेल के अलग प्रकोष्ठ में रखा जाए, क्योंकि उन्हें जेड श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को आस्त किया कि चिदंबरम के लिए जेल में पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की जाएगी।
अदालत ने चिदंबरम की याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय को भी नोटिस जारी किया। इस याचिका में एजेंसी की ओर से दर्ज किए गए धनशोधन मामले में कांग्रेस नेता ने आत्मसमर्पण करने की मांग की थी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के 20 अगस्त के फैसले को चुनौती देने वाली चिदंबरम की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्हें अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया गया था।
चिदंबरम के अधिवक्ता ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने की सीबीआई की दलीलों का विरोध किया और कहा कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता घोटाले के कारण पैदा हुए धनशोधन मामले में पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में जाने के लिए तैयार हैं, जिसमें शीर्ष अदालत ने उन्हें अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया है।
सीबीआई की दो दिन की हिरासत अवधि समाप्त होने के बाद बृहस्पतिवार को चिदंबरम को दिल्ली की अदालत में पेश किया गया था। सीबीआई ने अदालत से कहा कि चिदंबरम को न्यायिक हिरासत में भेजा जा सकता है, क्योंकि वह एक ताकतवर नेता हैं इसलिए उन्हें आजाद नहीं छोड़ा जा सकता।
चिदंबरम को जेल क्यों भेजा जाना चाहिए : सिब्बल
चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल ने सीबीआई की दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि ऐसा कोई आरोप नहीं है कि चिदंबरम ने जांच को प्रभावित करने अथवा इसमें कोई बाधा उत्पन्न करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि आईएनएक्स मीडिया से संबंधित धनशोधन मामले में चिदंबरम प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में जाने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, ‘मुझे (चिदंबरम) जेल (तिहाड़) क्यों भेजा जाना चाहिए’ और इस बात के लिए दबाव दिया कि प्रवर्तन निदेशालय को उन्हें हिरासत में लेना चाहिए। सिब्बल ने कहा, ‘‘न्यायिक हिरासत का कोई औचित्य नहीं है।
चिदंबरम विदेशों में बैंकों को प्रभावित कर रहे थे : सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता
सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि शीर्ष अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज धनशोधन मामले में उनकी दलीलों को स्वीकार कर लिया है और सबूतों एवं गवाहों के साथ छेड़छाड़ करने की जबरदस्त आशंका है और विभिन्न देशों को भेजे गए अनुरोध पत्रों के जवाब का इंतजार है। विधि अधिकारी ने आरोप लगाया कि चिदंबरम विदेशों में बैंकों को प्रभावित कर रहे थे। वह जांच में असहयोग कर रहे थे और यदि उन्होंने प्रभावित किया, तो बैंक जांच में सहयोग नहीं भी कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘यह मामला गंभीर आर्थिक अपराध का है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है।’
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