अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ नेशनल कांफ्रेंस पहुंची सुप्रीम कोर्ट

Last Updated 10 Aug 2019 03:13:51 PM IST

नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) ने जम्मू कश्मीर के संवैधानिक दर्जे में बदलाव को शनिवार को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी और दलील दी कि इन कदमों से वहां के नागरिकों से जनादेश प्राप्त किये बगैर ही उनके अधिकार छीन लिये गये हैं।


सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

याचिका में दलील दी गयी कि संसद द्वारा स्वीकृत कानून और इसके बाद राष्ट्रपति की ओर से जारी आदेश ‘असंवैधानिक’ है, इसलिए उन्हें ‘अमान्य और निष्प्रभावी’ घोषित कर दिया जाए।     

मोहम्मद अकबर लोन और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) हसनैन मसूदी ने यह याचिका दायर की है। दोनों ही लोकसभा में नेशनल कांफ्रेंस के सदस्य हैं।     

लोन जम्मू कश्मीर विधानसभा के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हैं और मसूदी जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं, जिन्होंने 2015 में अपने फैसले में कहा था कि अनुच्छेद 370 संविधान का स्थायी प्रावधान है।     

उन्होंने जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 और इसके बाद जारी राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती दी है।     

जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों में विभाजित करने के केंद्र के फैसले को चुनौती देते हुए दोनों सांसदों ने इस अधिनियम और राष्ट्रपति के आदेश को ‘असंवैधानिक, अमान्य और निष्प्रभावी’ घोषित करने के संबंध में निर्देश देने का अनुरोध किया है।     

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि कानून और राष्ट्रपति का आदेश ‘अवैध और संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत जम्मू कश्मीर के लोगों को दिये गये मौलिक अधिकारों का हनन’ है।    

दोनों सांसदों ने कहा कि शीर्ष न्यायालय को अब यह देखना चाहिए कि क्या केंद्र सरकार राष्ट्रपति शासन की आड़ में समुचित प्रक्रिया और कानून के शासन के अहम तत्वों को नजरअंदाज कर इसके विशिष्ट संघीय स्वरूप को ‘एकपक्षीय’ तरीके से खत्म कर सकती है।     

याचिका में कहा गया, ‘‘इसलिए यह मामला भारतीय संघवाद, लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और संघीय ढांचे के प्रहरी के तौर पर शीर्ष न्यायालय की व्यवस्था के मूल तक जाता है।’’     

उन्होंने दलील दी कि भारत संघ में जम्मू कश्मीर रियासत के शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक विलय को सुनिश्चित करने के लिये अनुच्छेद 370 को बेहद ध्यानपूर्वक तैयार किया गया था।     

जम्मू कश्मीर से दोनों सांसदों ने वकील महेश बाबू के माध्यम से याचिका दायर कर अपनी दलील पेश की कि राष्ट्रपति का आदेश और अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म करने से संबंधित नया कानून ‘असंवैधानिक’ है।     

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित क्षेत्रों- जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करने से संबंधित अधिनियम को अपनी मंजूरी दे दी। यह कानून 31 अक्टूबर को प्रभाव में आयेगा।     

31 अक्टूबर को देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के तौर पर मनाया जाता है, जिन्होंने स्वतंत्रता के बाद 565 रियासतों को भारत संघ में मिलाने में अहम भूमिका निभायी थी।     

इस सप्ताह की शुरुआत में संसद ने इस अधिनियम पर अपनी स्वीकृति दी थी।    

भाषा
नयी दिल्ली


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