श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित हुआ चंद्रयान-2, चला चांद की ओर
भारत ने ‘अनगिनत सपनों को चांद पर ले जाने’ के उद्देश्य से अपने दूसरे चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-2’ का सोमवार को यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया।
![]() श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-2 (दाएं) जब सफलतापूर्वक प्रक्षेपित हो गया तो राजधानी में स्क्रीन पर इस दृश्य को देख रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खड़े होकर जोश में ताली बजाकर इस अभियान की सफलता का स्वागत किया। फोटो : प्रेट्र |
‘बाहुबली’ नाम के सबसे ताकतवर रॉकेट जीएसएलवी-मार्क 3 एम 1 ने प्रक्षेपण के करीब 16 मिनट बाद यान को पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया। मिशन के तहत चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में रोवर उतारकर अन्वेषण और अध्ययन किया जाएगा। रोवर की सात सितंबर को ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराए जाने की योजना है, जो इस अभियान का सबसे महत्वपूर्ण और जटिल चरण होगा।
इसरो का यह अब तक का सबसे जटिल और सबसे प्रतिष्ठित मिशन है। यदि सब कुछ सही रहता है, तो रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत चांद की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने वाला चौथा देश बन जाएगा। ‘चंद्रयान-2’ मिशन भारत के लिए इसलिए भी बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में अभी तक कोई देश नहीं पहुंचा है।
चंद्रयान-2 ने अपराह्न दो बजकर 43 मिनट पर चांद की ओर उड़ान भरी। इसरो ने 18 जुलाई को यान के प्रक्षेपण की नई तारीख की घोषणा करते हुए कहा था, ‘‘चंद्रयान-2 अनगिनत सपनों को चांद पर ले जाने के लिए तैयार है। 22 जुलाई, 2019 को अपराह्न दो बजकर 43 मिनट पर प्रक्षेपण के लिए हमारे साथ जुड़िए।’’ 43.43 मीटर लंबे जीएसएलवी मार्क 3 एम 1 ने आसमान में छाए बादलों को चीरते हुए प्रक्षेपण के 16 मिनट 14 सेकेंड बाद 3,850 किलोग्राम वजनी ‘चंद्रयान-2’ को पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया।
इसी के साथ ही यान ने भारत के महत्वाकांक्षी मिशन के पहले चरण को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया। वैज्ञानिक अब अगले 48 घंटों में मिशन के विभिन्न अभियान चरणों को अंजाम देंगे। वैज्ञानिकों ने प्रक्षेपण का कार्यक्रम दोबारा निर्धारित करते समय कक्षीय चरणों में कुछ बदलाव किया है और पृथ्वी संबंधी चरण के लिए पहले की 17 दिन की अवधि को बढ़ाकर 23 दिन कर दिया है।
चंद्रमा पर क्या करेगा चंद्रयान-2
चंद्रमा पर पानी की मात्रा का अनुमान लगाना, उसके जमीन, उसमें मौजूद खनिजों एवं रसायनों तथा उनके वितरण का अध्ययन करना, उसकी भूकंपीय गतिविधियों का अध्ययन और चंद्रमा के बाहरी वातावरण की ताप-भौतिकी गुणों का विश्लेषण
- अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का एक पैसिव पेलोड भी इस मिशन का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य पृथ्वी और चंद्रमा की सटीक दूरी पता लगाना है
- ऑर्बिटर चंद्रमा की सतह का निरीक्षण करेगा और पृथ्वी तथा ‘चंद्रयान-2’ के लैंडर ‘विक्रम’ के बीच संकेत प्रसारित करेगा
- आठ वैज्ञानिक प्रयोगों के साथ ऑर्बिटर एक वर्ष की अवधि के लिए अपने मिशन को जारी रखेगा
क्या है खास
- स्वदेशी तकनीक से निर्मित ‘चंद्रयान-2’ में कुल 14 पेलोड। आठ ऑर्बिटर में, चार पेलोड लैंडर ‘विक्रम’ और दो पेलोड रोवर ‘प्रज्ञान’ में। - 3,850 किलोग्राम वजन है चंद्रयान-2 का, लागत 978 करोड़ रुपये
- लैंडर ‘विक्रम’ का नाम डॉ. विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है। इसे चंद्रमा की सतह पर भारत की पहली सफल लैंडिंग के लिए डिजाइन किया गया है। करीब 14 दिन तक आंकड़े जुटाने का काम करेगा
- 27 किलोग्राम वजनी ‘प्रज्ञान’ का मतलब संस्कृत में ‘बुद्धिमता’ है। ‘प्रज्ञान’ नाम का रोवर कृत्रिम बुद्धिमता संचालित 6-पहिया वाहन है
चंद्रयान-2 कब और कहां
- 22 जुलाई 2019 को अपराह्न 2 बजकर 43 मिनट पर ‘बाहुबली’ राकेट जीएसएलवी-मार्क 3 के जरिए सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित
- प्रक्षेपण के करीब 16 मिनट बाद पृथ्वी की कक्षा में जीएसएलवी-मार्क 3 एम 1 ने सफलतापूर्वक किया स्थापित, पहला चरण पूरा
- पहले 23 दिन पृथ्वी की कक्षा में रहने के बाद चंद्रयान को चंद्रमा की कक्षा में स्थानांतरित करने वाले वक्र पथ पर डाला जाएगा। 30वें दिन यह चंद्रमा की कक्षा में पहुंच जाएगा
- वहां अगले 13 दिन तक चंद्रयान चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर की ऊंचाई वाली कक्षा में चक्कर लगाएगा
- 43वें दिन लैंडर चंद्रमा की सतह पर उतरने के लिए ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा, जबकि ऑर्बिटर उसी कक्षा में चक्कर लगाता रहेगा
- 44वें दिन से लैंडर की गति कम की जाएगी और 48वें दिन वह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मैनजिनस सी और सिम्पेलियस एन क्रेटरों के बीच उतरेगा
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