घट रहा है सबके हिस्से का पानी
सरकार ने सोमवार को बताया कि प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता 2001 में 1,816 घन मीटर थी जो 2011 में घट कर 1,544 घन मीटर रह गई।
घट रहा है सबके हिस्से का पानी |
जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने राज्यसभा को प्रश्नकाल के दौरान यह जानकारी दी।
उन्होंने साथ ही जल संकट से निपटने के लिए वष्रा जल संरक्षण पर भी जोर दिया। पूरक प्रश्नों के जवाब में शेखावत ने कहा, जल संरक्षण हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है। जागरूकता के माध्यम से जल संरक्षण को जन आंदोलन में बदलने की जरूरत है। कई देशों में नाले नालियों के पानी को पेय जल बनाने के लिए पुन:चक्रित (रीसाइकिल) किया जा रहा है लेकिन भारत में ऐसी कोई जरूरत फिलहाल नहीं है। शेखावत ने कहा ‘पानी राज्य का विषय है और जलापूर्ति की योजना, निधि की व्यवस्था, कार्यान्वयन एवं रखरखाव मुख्यत: राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है।
उन्होंने बताया कि नीति आयोग के दस्तावेज ‘नए भारत की रणनीति’ के अनुसार, बढ़ती आबादी की वजह से देश में प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता 2011 में घट कर 1,544 घन मीटर रह गई जो कि 2001 में 1,816 घन मीटर थी। उन्होंने कहा कि जलसंरक्षण पर और पानी की कमी के दौरान प्राथमिकता के आधार पर ग्रामीण क्षेत्रों की पेयजल जरूरत पूरी करने के लिए पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने 20 मई 2019 को राज्यों को परामर्श जारी किया है।
रास में उठा नदियों को जोड़ने का मुद्दा
देश में बढ़ते जलसंकट के बीच राज्यसभा में सांसदों ने शून्यकाल के दौरान सोमवार को जल उपलब्धता की असमानता से निपटने के लिए नदियों को आपस में जोड़ने का मुद्दा उठाया। भाजपा के सांसद सत्यनारायण जटिया व अन्नाद्रमुक के सदस्य एके सेल्वराज ने एक इलाके में स्थायी रूप से बाढ़ व दूसरे में सूखे की समस्या से निपटने के लिए छोटी नदियों को प्रमुख नदियों से जोड़ने का मुद्दा उठाया। ज्यादातर क्षेत्रों में भूजल में तेजी से गिरावट से स्थिति भयावह हो गई है।
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