जम्मू-कश्मीर के हालात पर गृहमंत्री अमित शाह की दो टूक, सावधान हो जाएं आतंकी व अलगाववादी
घाटी सहित जम्मू-कश्मीर के प्रत्येक हिस्से के लोगों के विकास के प्रति नरेन्द्र मोदी सरकार की प्रतिबद्धता जताते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि राज्य में ‘आतंकवाद एवं अलगाववाद’ को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा तथा ऐसे लोगों को ‘कठोरता एवं कठिनाइयों’का सामना करना पड़ेगा।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (file photo) |
शाह ने जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि छह महीने बढ़ाने संबंधी संकल्प तथा जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2019 पर एक साथ हुई चर्चा के जवाब में राज्यसभा में यह बात कही। गृह मंत्री के जवाब के बाद सदन ने इस संकल्प और विधेयक को ध्वनि मत से पारित कर दिया। लोकसभा इन्हें पहले ही पारित कर चुकी है।
इससे पहले गृह मंत्री शाह ने चर्चा का उल्लेख करते हुए कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार की आतंकवाद के प्रति ‘कतई बर्दाश्त नहीं करने ’ की नीति है और हम उसको हर पल निभाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। शाह ने स्पष्ट किया कि कश्मीर एक पुरानी समस्या है और इसके समाधान के लिए हमें नई सोच अपनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार मानती है कि घाटी के लोगों का विकास हो तथा वहां के लोगों का भी देश के बाकी हिस्सों की तरह विकास हो सके। उन्होंने कहा, ‘‘किंतु हम आतंकवाद एवं अलगाववाद को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि जो भारत के संविधान को नहीं मानता, हम उसे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर सकते। ऐसे लोगों के साथ कठोरता भी बरती जाएगी और उन्हें कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ेगा।’’
अनुच्छेद 356 को लेकर कांग्रेस पर बोले : चुनी हुई राज्य सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाने संबंधी अनुच्छेद 356 के प्रयोग पर विपक्ष के कई सदस्यों की आपत्ति पर शाह ने कहा कि हम भी मानते, जानते और सहमत हैं कि अनुच्छेद 356 का कम से कम प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में अभी तक 132 बार 356 का प्रयोग हुआ। कांग्रेस सरकार के शासनकाल में 93 बार इसका प्रयोग किया। उन्होंने कहा कि हमने तो इसका प्रयोग ‘परिस्थितिजन्य’ किया है। लेकिन कांग्रेस ने केरल में सबसे पहले इसका इस्तेमाल कर इस प्रावधान के दुरुपयोग का रास्ता खोला था। उन्होंने कहा कि उस समय पंडित जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री थे।
चुनाव आयोग जब भी तैयार होगा, केन्द्र सरकार चुनाव कराने में देरी नहीं करेगी : चर्चा के दौरान कई दलों के सदस्यों ने इस बात पर भी सवाल उठाए कि जब राज्य में लोकसभा चुनाव करवाए गए, तो उसी समय विधानसभा के चुनाव क्यों नहीं करवाए गए। इसका उल्लेख करते हुए शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की स्थिति में हम सभी दल अभी तक ऐसी स्थिति का निर्माण नहीं कर पाए हैं, जिसमें विधानसभा चुनाव के प्रत्याशियों को सुरक्षा मुहैया कराई जा सके। सुरक्षा एजेंसियों ने दोनों चुनाव एक साथ कराए जाने पर प्रत्याशियों को सुरक्षा मुहैया कराने में असमर्थता जताई थी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि चुनाव आयोग राज्य में विधानसभा चुनाव करवाने के लिए तैयार होता है, तो हम एक भी दिन की देरी नहीं करेंगे।
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