मोदी की 'मन की बात' और मुंशी प्रेमचंद

Last Updated 30 Jun 2019 06:20:02 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव के बाद रविवार को अपने पहले मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में हिंदी-उर्दू के महान कथाशिल्पी मुंशी प्रेमचंद को याद किया। उन्होंने कहा कि प्रेमचंद की कहानियां आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

स्वागत सत्कार में फूलों की जगह किताबों के आदान-प्रदान पर जोर देते हुए अपने पहले मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में कहा कि उन्हें हाल ही में उपहार स्वरूप 'मुंशी प्रेमचंद की लोकप्रिय कहानियां' नामक किताब मिली थी। कार्यक्रम में उन्होंने प्रेमचंद की तीन प्रसिद्ध कहानियों का जिक्र भी किया।

उन्होंने कहा, "प्रेमचंद की कहानियों में समाज का यथार्थ चित्रण किया गया है। उनकी कहानियों का साहित्य सहज, सरल और मानवीय संवेदनाओं को व्यक्त करने वाला है।"

प्रेमचंद की कहानी 'नशा' का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा, "इसे (नशा) पढ़ते समय मुझे अपनी युवावस्था के दिन याद आ गए, जब आर्थिक विषमता व्याप्त थी। इस कहानी से सीख मिलती है कि अगर आप सावधान नहीं हैं तो बुरी संगत का असर आप पर कभी भी हो सकता है।"

नशा दो दोस्तों की कहानी है, जिसमें ईश्वरी एक जमींदार का बेटा है, वहीं बीर एक गरीब क्लर्क का बेटा है। बीर जमींदारी का धुर विरोधी है और उनके ऐश-ओ-आराम को अनैतिक समझता है। लेकिन एक बार वह ईश्वरी के घर जाता है, जहां ईश्वरी अपने घरवालों से उसका परिचय एक ऐसे जमींदार के रूप में कराता है, जो गांधीजी का अनुयायी होने के कारण निर्धन जैसा जीवन जीता है।

ईश्वरी के घर विलासी सत्कार मिलने पर बीर का स्वभाव बदल जाता है और उसमें भी वही आदतें आ जाती हैं, जिनका वह विरोधी था।

मोदी ने कहा कि प्रेमचंद की एक अन्य कहानी 'ईदगाह' ने भी उनके दिल को अंदर तक छू लिया।

उन्होंने कहा, "एक बालक हामिद का उसकी दादी के लिए प्रेम और छोटी उम्र में इतनी परिपक्वता। जब चार साल का हामिद मेले से अपनी दादी के लिए चिमटा लेकर पहुंचता है तो मानवीय संवेदनाएं सच मायने में अपने चरम पर होती हैं।"

उन्होंने 'ईदगाह' की आखिरी पंक्ति को काफी संवेदनापूर्ण बताते हुए कहा कि बच्चे हामिद ने बूढ़े हामिद का पाठ खेला था और बुढ़िया अमीना बालिका बन गई थी।

हामिद एक अनाथ बच्चा है, जो अपनी दादी अमीना के साथ रहता है। उनका गुजारा बहुत मुश्किलों से होता है। पास के शहर में ईद का मेला लगा है, जिसमें हामिद के सभी दोस्त जा रहे हैं। हामिद के पास मात्र तीन पैसे हैं, जो उसे उसकी दादी ने दिए हैं। वह मेला जाता है और अपनी पसंद के खिलौने व मिठाइयां न लेकर अपनी दादी के लिए रोटी पकड़ने वाला चिमटा खरीद लेता है, क्योंकि वह देखता है कि खाना बनाते समय उनकी उंगलियां जल जाती हैं।

मेले से वह घर लौटता है तो उसके हाथ में चिमटा देखकर दादी नाराज हो जाती है कि यह बच्चों की अच्छी चीज नहीं है। लेकिन जब हामिद उन्हें बताता है कि उसने चिमटा इसलिए खरीदा, क्योंकि उनकी उंगलियां जल जाती थीं, तो बूढ़ी अमीना की आंखें डबडबा उठीं। क्षणभर के लिए वह बच्ची बन जाती है, हामिद को पकड़कर रोने लगती है। वह सोचती है, हामिद को मेले में भी अपनी दादी का खयाल रहा, उसने बूढ़े हामिद का किरदार निभाया है।

मोदी ने कहा कि प्रेमचंद की एक अन्य कहानी 'पूस की रात' भी बहुत मार्मिक है, जिसमें जीवन की विडंबना का सजीव चित्रण देखने को मिलता है।

उन्होंने कहा, "कहानी में गरीब किसान अपनी फसल नष्ट होने के बावजूद इसलिए खुश है कि अब उसे सर्द रात में खेत में नहीं सोना पड़ेगा।"



खास बात यह है कि कथासम्राट मुंशी प्रेमचंद उसी जगह से संबंध रखते हैं, जहां से मोदी सांसद हैं। प्रेमचंद का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के लमही गांव में 31 जुलाई, 1880 को हुआ था।

प्रेमचंद की कहानियों में सामाजिक और आर्थिक विषमता, शोषण और कुरीतियां प्रमुख रूप से प्रतिबिंबित होती हैं। उन्होंने उपन्यास, कहानी, नाटक, समीक्षा, लेख, संपादकीय, संस्मरण आदि अनेक विधाओं में अपनी कलम चलाई। प्रेमचंद ने 'गोदान' जैसे कालजयी उपन्यास की रचना की, जो एक आधुनिक क्लासिक माना जाता है। प्रेमचंद का निधन 8 अक्टूबर, 1936 को हुआ था।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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